पीएम नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन पर लगे अशोक स्तंभ का 11 जुलाई को अनावरण किया। संसद भवन की छत पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने को लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। इतना ही नहीं, अब तो अशोक स्तंभ के शेर को लेकर लोग पीएम मोदी पर तंज कस रहे हैं। आप नेता संजय सिंह, सपा नेता आईपी सिंह ने सवाल उठाये तो भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इस पर जवाब दिया है।

संजय सिंह ने लिखा कि “मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूं कि राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये कि नही बोलना चाहिये।” वहीं सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा कि “मूर्ति कला देश में रसातल में पहुंच गई है नई संसद ऊंटपटांग बनाया गया है। जबकि अशोक स्तम्भ हजारों साल पुराना सौम्य और शानदार है। अशोक स्तम्भ कम बाज चिड़िया ज्यादा नजर आ रहा है। मोटी रकम गुजराती ठेकेदार खा गया होगा।”

आप नेता संजय सिंह को जवाब देते हुए भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने लिखा कि “संजय सिंह जी, भगवंत मान जी वाली दवाई पीकर ट्वीट मत किया कीजिये, आप झेल नहीं पाते। अशोक चिन्ह के शेर को आदमखोर कह कर आप केवल खुद की बची खुची इज्जत का केजरीवाल बनवा रहे हो।”

लोगों की प्रतिक्रियाएं: लाला नाम के यूजर ने लिखा कि ‘नीचे से फ़ोटो है वो और साइज़ में बड़ा है तो लग रह वैसा। इसमें देखो सामने से अब तो नहीं लग रहा खूंखार।’ शिवम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘एक तो भाई आपकी बात 130 करोड़ लोग सुन नहीं रहे, दूसरा ये कि शेर दहाड़े या देखे, शेर-शेर ही रहता है केजरीवाल या संजय सिंह नहीं बन जाता।’

आनंद नाम के यूजर ने लिखा कि ‘कुछ नहीं मिला तो यही सही, किसी को इस बात से समस्या है कि पूजा क्यों करवाई तो किसी को बनावट में ही खामी मिल गयी। ‘भारत विविधताओं का देश’ ऐसे ही थोड़ी कहा गया है।’ विजयेन्द्र मिश्रा ने लिखा कि ‘केवल ट्विटर बाजी करने से काम नही चलेगा, मोदी को कोर्ट में ले जाओ वरना जनता कही का नहीं छोड़ेगी।’ सिराजुद्दीन अहमद नाम के यूजर ने लिखा कि ‘इस पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर होना चाहिए कि नहीं। मोदी कोई राजा नहीं, उनका मर्जी नहीं चलेगा।’  

बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ट्वीट कर लिखा कि संसद के नए भवन के शीर्ष पर स्थापित राष्ट्रीय चिन्ह का माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने लोकार्पण किया। नया संसद भवन जहां नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करेगा वहीं यह राष्ट्रीय चिन्ह हमें भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाए रखने को प्रेरित करता रहेगा। कांस्य से बने इस राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह की ऊंचाई 21 फीट, वजन 9500 किलो तथा व्यास 3.3 से 4.3 मीटर है। हमारा प्रयास है कि संसद के नए भवन का निर्माण कार्य भी अतिशीघ्र पूर्ण कर इसे देश की जनता के समर्पित करें।