आरएसएस चीफ मोहन भागवत मेघालय दौरे पर पहुंचे। मेघालय के शिलांग में एक सभा को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने हिंदू धर्मं को लेकर ऐसा बयान दिया है जिस पर विवाद हो सकता है। मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाला हर एक नागरिक हिंदू है। इतना ही नहीं, मोहन भागवंत ने यह भी कहा है कि हिंदू धर्म के लोग दूसरे देश गए लेकिन उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया।

क्या बोले मोहन भागवत?

मोहन भागवत ने कहा कि हमरे पूर्वज बहुत बड़े-बड़े काम किये हैं। जब जाने-आने के साधन नहीं था तो हिमालय पार कर जापान तक गए, साइबेरिया मैक्सिको तक गए। जहां गए वहां जीते नहीं लेकिन लोगों को अच्छा बनाया। कभी किसी को कन्वर्ट नहीं किया। जैसे थे वैसे ही उन्हें ज्ञान दिया, पढ़ाया, आयुर्वेद का ज्ञान दिया। जैसे थे वैसे ही अच्छा बनाया। आज जब वह कोई भारतीय व्यक्ति वहां जाता है उन्हें आदरपूर्वक नमस्कार करते हैं।

“भारत ने पूरी दुनिया को वैक्सीन दी”

मोहन भागवत ने कहा कि हमने कभी किसी का कुछ छीना नहीं, लूटा नहीं। हमने सिर्फ लोगों को दिया है। श्रीलंका की बुरी स्थिति में भारत ही उसके साथ खड़ा रहा और कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। कोरोना की वैक्सीन हमने पूरी दुनिया को दी, अन्य देश तो व्यापार कर रहे थे। मोहन भागवत का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा और लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

@riteshchandraji यूजर ने लिखा कि कभी धर्म के इतर कर्म और अन्य विषयों पर भी बात करें। महंगाई, करप्शन, बेरोजगारी, रुपये का गिरता मूल्य, महंगी शिक्षा, महंगा स्वास्थ्य व्यवस्था आदि पर भी बोलिए। हमेशा चुनावी मोड ही रहते हैं, कभी तो लोगो के दुःख-दर्द पर भी चर्चा हो। @manojra78425282 यूजर ने लिखा कि ये मजहबी धर्मों पर किया गया कटाक्ष है, खासकर ईसाई और मुस्लिम पर जो लालच देकर धर्म परिवर्तन करते हैं।

@vikasgour369 यूजर ने लिखा कि झूठ बोल रहे हैं मोहन भागवत, भगवान बुद्ध के धर्म ने पूरे एशिया को बदला। सभी देशों ने उनके धर्म को अपनाया। @AshokManvtavadi यूजर ने लिखा कि आपके पूर्वज और धर्म दोनों मनूष्य को एक समान नहीं मानते, आपके पूर्वज जाति के आधार पर ऊंच-नीच मानते हैं, इसी कारण विदेशों में लोग स्वीकार नही किया?

बता दें कि सभा को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू शब्द उन सभी को शामिल करता है जो भारत माता के पुत्र हैं। भारतीय पूर्वजों के वंशज हैं, जो भारतीय संस्कृति के अनुसार रहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू बनने के लिए धर्म बदलने की आवश्यकता नहीं है। भारत पश्चिमी अवधारणा वाला देश नहीं है।