टीआरपी विवाद के बीच रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ और एंकर अर्नब गोस्वामी के एक पुराने साक्षात्कार का वीडियो सामने आया है। इसमें उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात कही है। अर्नब ने बताया कि ‘नेशन वांट्स टू नो…’ वाली पंच लाइन उनके दिमाग कैसे आई। उन्होंने खुद को टॉप सुरक्षा मिलने वाली खबरों पर भी बात रखी। अर्नब गोस्वामी करीब तीन साले पहले रेडियो सिटी 91.1 एफएम के स्टूडियो में पहुंचे थे।
यहां रेडियो जॉकी (आरजे) ने उनसे पूछा कि ‘नेशन वांट्स टू नो’ लाइन उनके दिमाग में कहां से आई? क्या इसके लिए उन्होंने ‘कॉपी राइट’ क्लेम किया है। इसके जवाब में अर्नब ने कहा कि जहां तक उन्हें याद ये लाइन पहली बार प्रफुल्ल पटेल से डिबेट के दौरान इस्तेमाल की।
बकौल अर्नब डिबेट में उन्होंने (पटेल) दर्जनों सवाल रख डाले। फिर आखिर में मैंने उनसे कहा, ‘द नेशन वांट्स टू नो।’ कुछ समय के लिए मुझे लगा है कि वो सबसे बड़ा स्टंट था। जब मैंने उनकी प्रतिक्रिया देखी तो लगा ये अच्छा आइडिया है। क्यों ना इसका बार-बार इस्तेमाल किया जाए। लोगों ने मेरे प्रोग्राम को पसंद करना शुरू कर दिया।
आरजे के पूछने पर अर्नब ने बताया कि उस वक्त वो जूनियर एंकर थे। उन्होंने कहा कि ‘अगर मैं पूछता ‘अर्नब वांट्स टू नो। जवाब आता कौन अर्नब। कहां से आए हैं आप। क्यों बताऊं आपको। मुझे महसूस हुआ कि मेरे सवालों का जवाब दिया जाना चाहिए। तब मैंने ऐसा कहना शुरू किया। मैंने कहा मिस्टर पटेल द नेशन वांट्स टू नो। इसी तरह अन्यों के साथ इसी लहजे में सवाल पूछे।’
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शो में अर्नब ने बताया कि उनका विश्वास है कि जो सवाल वो पूछते हैं आम आदमी भी वही सवाल पूछना चाहता है। इसीलिए वो कहते हैं कि ‘नेशन वांट्स टू नो।’ बकौल अर्नब जो मैं पूछता हूं वो मेरे लिए नहीं होता मैं अपने दर्शकों की तरफ से सवाल पूछता हूं।
अर्नब ने बताया कि वो किसी की गाइडलाइन नहीं मानते। उन्हें सिर्फ अपनी गाइडलाइन्स माननी है। उन्होंने कहा, ‘मेरी गाइडलाइन्स हैं मेरी चेतना, मेरा विश्वास और राष्ट्र के लिए मेरा प्यार। इसके बाद किसी गाइडलाइन की जरुरत ही नहीं है।’ शो पर अर्नब ने बताया कि उन्होंने अपने बारे में जो सबसे बड़ी अफवाह सुनी वो उनके पास वाई या जेड श्रेणी की सुरक्षा है।
बता दें कि अर्नब का चैनल कथित टीआरपी घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। हाल में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के जरिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि विज्ञापन के लालच में कुछ चैनल्स टीआरपी के आंकड़ों में धोखाधड़ी कर रहे हैं। खुलासा हुआ ता कि चैनल्स द्वारा लोगों को विशेष चैनल देखने के पैसे दिए जा रहे थे। जिससे उनकी टीआरपी बढ़े और उन्हें विज्ञापन मिलें।

