इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सोशल मीडिया हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। ऐसा कम ही होता है जब आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ बाहर कहीं डिनर या पार्टी पर जाएं और Facebook, Twitter या Instagram पर तस्वीरें पोस्ट न करें। हमारी पीढ़ी Likes, Shares और Tweets से परिभाषित होने लगी है। मसलन फलां पोस्ट पर इतने लाइक्स आए। उस वीडियो को इतने लोगों ने शेयर किया है। कभी-कभी यह बेहद उबाऊ और थका देने वाला हो जाता है। और यह इस सवाल को भी जन्म देता है कि क्या सोशल मीडिया हमारे उतने वक्त का हकदार है जितना वक्त हम इसे देते हैं। यहां हम आपको 7 ऐसे कारण बता रहे हैं जिनकी वजह से आपको सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले वक्त में कटौती करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

1. सोशल मीडया आपको खुद से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है

इसके साथ एक बड़ी दिक्कत यह है कि आप हर वक्त दूसरों की तारीफों या बुराइयों से घिरे होते हैं। दूसरे लोगों का ओपिनियन आपको पूरा करता है। इसके बिना आप अधूरा सा महसूस करना शुरू कर देते हैं। चाहे कोई अपनी ग्रेजुएशन पूरा करने की तस्वीरें पोस्ट करे या अपनी नई कार की, कहीं न कहीं यह आपको उनसे खुद की तुलना करने पर मजबूर करता है। अध्ययन बताते हैं कि जो लोग अपना अकेलापन दूर करने के लिए सोशल मीडिया का बहुत अधिक सहारा लेते हैं उनका आत्मविश्वास और चिंता बहुत अधिक हो जाती है। यह दिक्कत इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि मेडिकल साइंस में इसके लिए एक नया नाम ईजाद कर लिया गया है : Social Media Anxiety Disorder. मजेदार बात यह भी है कि जो लोग हमसे सोशल मीडिया पर जुड़े होते हैं उनमें से कई हमारे पुराने क्लासमेट या जान पहचान के या अनजान लोग होते हैं जिनसे हमने वास्तविकता में पिछले कई सालों से बात तक नहीं की होती है।

…तो मुद्दा यह है कि हमें यह जानने समझने में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहिए कि दूसरे क्या कर रहे हैं। जबकि न हमसे उनका कुछ लेना-देना है और कई को तो हम ठीक से जानते भी नहीं। बजाय इसके हमें हमारे जीवन के अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को पूरा करने में ध्यान देना चाहिए।


 

2. सोशल मीडिया हमें हकीकत की एक विकृत छवि के रूप में पेश करती है

हम दूसरों की अच्छी चीजों को देख कर ओछा महसूस करते हैं और फिर खुद को उनके समतुल्य दिखाने के लिए या उनसे बेहतर दिखाने के लिए अपनी एक झूठी छवि सोशल मीडिया पर पेश करते हैं। बल्कि कई तो ऐसे मामले भी देखे गए हैं जिनमें लोग सोशल मीडिया पर उनकी शानदार तस्वीरों और अच्छे रिस्पॉन्स के बावजूद अच्छा महसूस नहीं करते हैं।

असल में हम भूल जाते हैं कि जो कुछ सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहा है वह वास्तविकता नहीं है। वह किसी व्यक्ति की जिंदगी एक लम्हा भर है जिसे उसने सोशल मीडिया पर शेयर किया। जिंदगी की वास्तविक छवि इसके अलग हो सकती है।

और जैसा कि हमने ऊपर बताया, हमें सोशल मीडिया पर अपनी छवि बेहतर करने और ज्यादा लाइक्स बटोरने की बजाय अपनी वास्तविक जिंदगी को बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए।


3. हमारी खुशी दूसरों पर निर्भर करने लगती है

यह इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि हम हर चीज का सर्टिफिकेट दूसरों से लेने लगते हैं। किसी पल को आपने इंजॉय किया या नहीं यह प्राथमिकता होने की बजाय प्राथमिकता यह हो जाती है कि उस पल की तस्वीर को सोशल मीडिया पर कितना रिस्पॉन्स मिल रहा है। उदाहरण के लिए यदि आप किसी जगह डिनर पर गए तो आपको इस बात की खुशी होनी चाहिए की डिनर टेस्टी था और आपने इसे अपने दोस्तों के साथ इंन्जॉय किया। न कि यह कि आपकी डिनर वाली तस्वीर पर 100 लाइक्स आए।

दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर ऐसा करते हैं और उनमें से ज्यादातर को इस बात का अहसास तक नहीं होता है कि वह इसके लती हो चुके हैं।

एक तरफ जहां आप हजारों लोगों से सोशल मीडिया पर जुड़े हुए हैं वहीं दूसरी ओर हमें इस बारे में भी सोचना चाहिए कि हमारे कई घनिष्ठ लोगों से हमने सालों से बात तक नहीं की होती है। हमें अपने पास-पड़ौस और आस पास के इलाके के बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन कई सौ किलोमीटर दूर बैठे लोगों से हम जुड़े हुए हैं।


4. सोशल मीडिया आपको अपने दोस्तो से वास्तविक रूप से जुड़ने नहीं देता

यदि आप वाकई उन्हें अपना दोस्त मानते हैं तो आपको उनके जन्मदिन पर उनकी वॉल पर एक पोस्ट कर देने और उनकी डीपी लाइक कर देने भर से कुछ ज्यादा करना चाहिए। बल्कि आपको तो कहना चाहिए कि मैं अपने अच्छे दोस्तों से सोशल मीडिया पर ज्यादा बात नहीं करता, क्योंकि मैं उनके साथ वास्तविक जिंदगी में वक्त बिताता हूं।

कहने का मतलब इतना सा है कि सोशल मीडिया आपको आपके वास्तविक संबंधों को मजबूत करने की बजाए आपको एक ऐसी आभासी दुनिया का आदी बना देता है जिसमें आप अपने विचारों की अभिव्यक्ति उतना बेहतर तरीके से नहीं कर पाते जितना आप वास्तविक दुनिया में कर सकते हैं। उदाहरण के लिए ऐसा नहीं है कि यदि आपके किसी दोस्त ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिया या आपको अनफ्रेंड कर दिया तो आप उससे वास्तविक जिंदगी में कट जाते हैं। आप इसके बावजूद उससे बात करते हैं और जुड़े रहते हैं। यह इस बात का उदाहरण है कि सोशल मीडिया वास्तविक दुनिया को परिलक्ष्यित नहीं करना।


5. यह आपको असल जिंदगी का मजा लेने से रोक देता है

सोशल मीडिया आपको असल जिंदगी का मजा लेने से रोक देती है। आपने भी यह नजारा जरूर यह देखा होगा जब कुछ दोस्त एक साथ बैठे अपने-अपने मोबाइल फोन में बिजी होते हैं। कई खूबसूरत जगहों पर घूमते हुए वहां की खूबसूरती का मजा लेने की बजाए लोग सेल्फी लेने और फोन से तस्वीरें खींचने में व्यस्त हो जाते हैं जो उन्हें उस वास्तविक पल जो जीने से रोक देता है। उदाहरण के लिए किसी कॉन्सर्ट में होते वक्त आपको वहां पर गाने का मजा लेना चाहिए न कि सेल्फियां और फोटो लेने के चक्कर में परेशान रहना चाहिए।


6. यह आपकी जिंदगी को जरूरत से ज्यादा सार्वजनिक बना देता है

क्या कल रात की पार्टी की उन तस्वीरों को Facebook पर अपलोड करना वाकई जरूरी था? ऐसी पार्टी जिसके बारे में आप शायद बात करना भी पसंद नहीं करेंगे। क्या आपकी जिंदगी की हर बात आपके 1000 से ज्यादा फेसबुक फ्रेंड्स को जानने की जरूरत है? हम हर बात को सोशल मीडिया पर अपडेट तो कर देते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि यह एक रिकॉर्ड के रूप में वहां सेव होती जाती है।

कई बार ऐसा हो सकता है कि आपकी इस आदत के चलते कोई ऐसी जानकारी आपके माता-पिता या बॉस तक पहुंच जाए जो आप नहीं जाने देना चाहते थे। यह आपकी जॉब सलेक्शन या आपकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

हो सकता है कि आपने इस दिक्कत से बचने के लिए कड़ी प्राइवेसी सेटिंग्स लगा रखी हों, लेकिन फिर भी यह सोचने की जरूरत है कि क्या आपकी हर जानकारी को इंटरनेट पर जाने की जरूरत है? क्या यह सेफ है? और क्या उस जानकारी को उन लोगों तक जाने की जरूरत है जो आपको जानते तक नहीं।


7. यह आपको जिंदगी में आगे बढ़ने से रोक देता है

कई बार यह आपको आपकी जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकता है। आप अपने अतीत की तस्वीरों को देख-देख कर उदास होते रहते हैं। मसलन आपकी एक्स गर्लफ्रेंड की तस्वीरें या आपके अतीत की कोई बुरी यादें जिन्हें आप अब याद नहीं करना चाहते। ठीक इसी तरह आप पढ़ाई करते वक्त इस वजह से मन नहीं लगा पाते क्योंकि सोशल मीडिया पर आप यह देख कर परेशान हैं कि आपके दोस्त किसी और शहर में खूबसूरत मौसम का लुत्फ उठा रहे हैं।

सोशल मीडिया जहां अपने विचार व्यक्त करने का एक खूबसूरत जरिया है वहीं इसके कई नुकसान भी हैं जिनके बारे में हमें सजग होने की जरूरत है। हमें अपना कीमती वक्त सोशल मीडिया में बरबाद करने की जरूरत नहीं है। बल्कि यह समझने की जरूरत है कि असल जिंदगी साढ़े पांच इंच की स्क्रीन में नहीं है बल्कि उसके बाहर है। और जो अंदर दिख रहा है वह बाहर की दुनिया का ही अक्स है।