कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के महाभियान के पहले ही दिन सोमवार को नया रिकार्ड बना। मुफ्त टीकाकरण अभियान के अंतर्गत 81 लाख लोगों को टीका लगाया गया। इसी पर पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए लिखा कि पल्स पोलियो के सामने पिट गया। आज का टीका अभियान 80 लाख डोज ही लगे। उनके इस पोस्ट के बाद लोगों ने उनकी आलोचना करना शुरू कर दिया।
उनके इस पोस्ट पर असहमति जताते हुए एक यूजर ने लिखा कि, ‘सरकार की आलोचना एक हद तक ठीक होती है, अब रवीश कुमार सरकार की आलोचना करते-करते इतने आगे निकल गए हैं कि अब सरकार कुछ भी करे उनके हिसाब से ठीक नहीं हो रहा है। अब जिस पत्रकार को राहुल गांधी में देश का अगला प्रधानमंत्री दिखता हो उसका क्या हो सकता है’।
वहीं एक यूजर ने लिखा कि नरेंद्र मोदी के विरोध में इन्हें कुछ भी बोलना है बस। टीवी पत्रकार अशोक श्रीवास्तव उनके इस पोस्ट पर लिखते हैं कि दिमाग़ी बुखार की तरह क्या कोई दिमाग़ी पोलियो भी होता है?
दिमाग़ी बुखार की तरह क्या कोई दिमाग़ी पोलियो भी होता है ?#justasking pic.twitter.com/Fassh2qvKB
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) June 21, 2021
ईश्वर बेचवर फेसबुक यूजर ने लिखा कि कभी-कभी बहुत अच्छा लिखते हो आप, पर कभी कभी दिमाग डिब्बे में रखकर डिब्बा घर ही भूल जाते हो क्या? पोलियो करो ना कि टीकाकरण में आधार कार्ड के अलावा और भी मूलभूत फर्क है। एक दूसरे फेसबुक यूजर ने उनके इस पोस्ट पर अपनी असहमति जताते हुए लिखा कि, ‘अभी यह हाल है रवीश की मासिक उदासीनता का तो ना जाने 2024 में क्या हाल रहेगा जब फिर मोदी सरकार आएगी? इस मूर्ख को पल्स पोलियो टीकाकरण और कोविड-19 के कार्य प्रणाली में कोई अंतर नहीं समझ में आ रहा है’।
एक यूजर ने लिखा कि ये आदमी सच में पागल हो गया है, इसको ड्राप और वैक्सीन में अंतर पता नहीं है, एक बच्चे को ड्राप दी जा सकती है, पर क्या अनट्रेंड व्यक्ति वैक्सीन लगा सकता है? पोलियो के अभियान में शिक्षकों ने पोलियो की ड्राप बच्चों को पिलाई थी, क्या वो वैक्सीन लगा सकते हैं? @neerajsanatani1 के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया कि, ‘ ये आदमी सच में पागल हो गया है, इसको ड्राप और वैक्सीन में अंतर पता नहीं है, एक बच्चे को ड्राप दी जा सकती है पर क्या अनट्रेंड व्यक्ति वैक्सीन लगा सकता है, पोलियो के अभियान में शिक्षकों ने पोलियो की ड्राप बच्चों को पिलाई थी, क्या वो वैक्सीन लगा सकते हैं’?
एक यूजर ने लिखा कि, ‘अभी कुछ दिन पहले ही पत्तलकार महाशय बता रहे थे कि , यूनिसेफ़, विश्व स्वस्थ्य संगठन इत्यादि की मदद से कैसे 2 दिन में 17 करोड़ पोलिओं ड्राप पिलाई गईं थी और अभी बता रहे हैं की 1 दिन में 17 करोड़ पोलिओं ड्राप पिलाई गईं थी, यूनिसेफ़, विश्व स्वस्थ्य संगठन इत्यादि का ज़िक्र भी गायब हो गया’।