देश बुरी तरह से कोरोना संक्रमण की चपेट में है। लाखों लोगों की जान जा चुकी है। रोजाना बड़ी संख्या में लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आकर अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। कई राज्यों ने इस संक्रमण से निपटने के लिए अपने यहां आंशिक लॉकडाउन लगाया है। इसके इतर महंगाई भी काफी बढ़ गई है। अर्थव्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी है।

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने महंगाई और अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि, “पिछले साल कड़े निर्णय की सनक के कारण एक फ़ैसला हुआ था। तालाबंदी। पूरा देश ठप्प। उसी का नतीजा था कि हमारी अर्थव्यवस्था बैठ गई। थोड़ी बहुत स्थिति संभली भी तो दूसरी लहर ने लंगड़ी मार कर धक्का दे दिया है।

सरकार बोलती नहीं है लेकिन उसका ख़ज़ाना ख़ाली है। आप कह सकते हैं कि अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। जो बिज़नेस में है उन्हें सच्चाई मालूम है। इसी का नतीजा है कि 4 मई से लेकर अब तक 11 वीं बार पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़े हैं। लोगों के पास पैसे नहीं हैं। वे दूसरी चीज़ों का उपभोग भी कम कर रहे है तो उससे भी सरकार को कम टैक्स आ रहा होगा।

नौकरी फिर जाने लगी है तो उससे भी टैक्स नहीं आ रहा होगा। थाली बजा कर और अस्पताल के बाहर सेना के बैंड से बैंड बजवा कर लोकप्रियता तो हासिल कर ली गई कि मोदी जी का इतना प्रभाव है कि एक आवाज़ में सावधान बोल दें तो देश सावधान की मुद्रा में खड़ा हो जाएगा। मूर्खों ने यह नहीं बताया कि इससे अर्थव्यवस्था विश्राम की मुद्रा में आ जाएगी। जो है आपके सामने है। महामारी के साथ-साथ महंगाई भी महामारी बनती जा रही है।”

रवीश कुमार के इस पोस्ट पर कई तरह के कमेंट्स आ रहे हैं। Chandan Tiwari नाम के एक यूजर ने लिखा- आप ही कुछ उपाय बताएं..इस महामारी को रोकने का पहले भी और आज भी क्या उपाय था। तालाबंदी एक जिद्दी फैसला नहीं था बहुत सही समय पर लिया गया सही फैसला था। अगर उस समय भी सही से तालाबंदी नहीं किया गया होता तो आप ही आते Facebook पर ज्ञान देने की सरकार क्या कर रहीं थीं समय पर कठोर फैसले क्यों नहीं लिये गये।

Hamza Chouhan ने लिखा- जहां भी बीजेपी की सरकार है वहां कुछ भी संभव है। ये सभी सत्ता के मद में ऐसे चूर हैं कि इन्हें अपनी कुर्सी के आगे और कुछ दिखाई नहीं दे रहा हैं। धन्य है केंद्र में बैठी मोदी जी सरकार जो मात्र कागजी आंकड़ों में विश्वास करती हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

Kuldeep Rout ने लिखा- ये देश इसी लायक है। नेता लोग कुर्सी पाने के लिए चुनावी रैलियां करते रहे, लेकिन जनता को तो समझना चाहिए था। जनता को समझ ही नहीं आया कि असली खेला तो उनके साथ खेला गया है।