देश के जाने माने शायर राहत इंदौरी को इस दुनिया से अलविदा कहे आज एक साल हो गए। वह अपनी शायरी, अदब और साहित्य के जरिए लोगों के दिलों पर राज करते थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर लोग उन्हें अपने अपने तरीके से याद कर रहे हैं। ‘दो गज ही सही मिल्कीयत तो है, ए मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया’ जैसा शेर कहने वाले राहत इंदौरी ने 70 साल की उम्र में कोरोना से हार गए थे। तमाम नेताओं के लिए शायरी पढ़ने वाले राहत इंदौरी ने लालू प्रसाद की यादव की तारीफ़ में एक शायरी पढ़ी थी।

दरअसल लालू प्रसाद यादव और राहत इंदौरी पटना के एक कवि सम्मेलन में मिले थे। जिसमें उन्होंने लालू की तारीफ करते हुए कहा था कि मैं खुशनसीब हूं कि उनके पास मुझे बैठने का मौका मिला। उसके बाद उन्होंने लालू यादव के लिए एक शायरी पढ़ते हुए कहा था कि, ‘मैं जाकर यह सारी दुनिया को बताऊंगा, तेरी महफिल से जो निकला तो एक मंजर देखा, मुझे लोगों ने बुलाया और छू कर देखा।’

एक दूसरे कार्यक्रम में भी राहत इंदौरी ने लालू प्रसाद यादव के लिए शायरी पढ़ी थी। उन्होंने कहा था कि मैं एक शायरी पढूंगा, जिसमें लालू जी आप भी शरीक हो जाएं। आपको देखकर ही ये याद आया है। उन्होंने शायरी पढ़ी थी कि, ‘ सरहदों पर बहुत तनाव है क्या, कुछ पता तो करो चुनाव है क्या?’ उनकी इस शायरी बाद कार्यक्रम में बैठे सभी लोग जोर से तालियां बजाने लगे थे। लालू प्रसाद यादव भी उनकी शायरी पर हंसते नजर आए थे।

लालू प्रसाद यादव कई बार अपनी चुनावी भाषणों में भी राहत इंदौरी की शायरी का जिक्र करते रहते थे। जब वह चारा घोटाले के मामले में झारखंड की जेल में सजा काट रहे थे उस समय भी उन्होंने राहत इंदौरी की एक शायरी ट्वीट करते हुए अपने विरोधियों पर निशाना साधा था। उन्होंने ट्वीट किया था कि, ‘ अभी गनीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूं, वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उससे कहो मरा नहीं हूं मैं।

बता दें कि शायर और कवि राहत इंदौरी का जन्म इंदौर में हुआ था। उनके कुछ शायरियां तो बेहद मशहूर हुई हैं। जिसमें से एक यह है कि अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है, ये सब धुंआ है, कोई आसमान थोड़ी है। लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद्द में, यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है। मैं जानता हूं की दुश्मन भी कम नहीं लेकिन, हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है। हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है, हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है। जो आज साहिब-इ-मसनद है कल नहीं होंगे, किराएदार है जाती मकान थोड़ी है। सभी का खून है शामिल है यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।