पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री पार्था चटर्जी के करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर ED ने छापेमारी की। छापेमारी में करोड़ो रूपये बरामद हुए। नोटों के पहाड़ देखकर लोगों की आंखें फटीं की फटीं रह गईं। बरामद किये नोटों की कीमत २० करोड़ बताई जा रही है। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
ED की छापेमारी में निकला नोटों का पहाड़!
दरअसल अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर ईडी की हुई इस छापेमारी में 500 और दो हजार के नोटों का ढेर लग गया। नोटों की संख्या इतनी अधिक थी कि नोट गिनने वाली मशीन का सहारा लेना पड़ा, इतना ही नहीं जांच टीम ने बैंक अधिकारियों की मदद भी ली ताकि रकम की सही गिनती की जा सके। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
अभिनव पाण्डेय ने लिखा कि ‘प.बंगाल में मंत्री पार्थ चटर्जी के करीबी अर्पिता मुखर्जी के यहां ये काली कमाई ED को मिली। काला धन समाप्त करने के उद्देश्य से आए 2000 के नोट मार्केट से कहां गायब हो गए, पता लगा? शायद ऐसे ही दाब दिए गए! काले घन की शक्ल में।’ आतिश रशीद नाम के यूजर ने लिखा कि ‘इतने बेतरतीब तरीके से तो हमारे गांव मे भूंसा भी नहीं रखा जाता,जैसे यहां ममता दीदी का पैसा पड़ा है।’
यश अहमद नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अब समझ में आया कि दो हजार के नोट अब क्यों नहीं मिलते?’ नीरज कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अगर ये पैसे केजरीवाल के मंत्री के घर से मिलता तो वो कहते कि ये पैसे मोदीजी के हैं जी। हम ईमानदार लोगों को वो ED से डरा रहे हैं, हम डरने वाले नहीं है। मोदीजी हमारे भ्रष्टाचार के विभिन्न विभिन्न तरीके से डर गये हैं।’
अजय शेरावत ने लिखा कि ‘ममता दीदी के मंत्री ‘पार्थ चटर्जी’ के करीबी ‘अर्पिता मुखर्जी’ के यहां से नोटों का ढेर बरामद किया है ED ने, अब बताओ ED का डर गलत हैं या सही?’ शशिकान्त नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बीजेपी के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के घर ईडी का छापा काहे नहीं पड़ रहा है और तो और सरकारी अधिकारियों जैसे-बीडीओ, लेखपालों-आमीन, जिले पर बैठे अधिकारियों आदि के यहां छापे क्यों नहीं पड़ रहा है। तेजी से छापेमारी करें तो अरबों रुपये बाहर आयेंगे क्योकि सैलरी से अधिक ये लोग घूस लेते हैं।’
बता दें कि पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल सरकार में वाणिज्य और उद्योग विभाग के वर्तमान मंत्री हैं। वे राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। इन्हें ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। पार्थ तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर 2001, 2006, 2011, 2016 और 2021 में लगातार पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं।