किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) बेंगलुरु के गांधी भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इस दौरान उन पर काली स्याही फेंकी गई। अचानक हुई इस घटना के दौरान शिकायत के चेहरे कपड़े और पगड़ी पर स्याही गिर गई। इस दौरान आरोपियों ने धक्का-मुक्की भी की और कुर्सियां भी तोड़ीं। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर लोग कई तरह की प्रतिक्रिया देने में लगे हुए हैं।
क्या बोले सोशल मीडिया यूजर्स : कुरेशी नाम के ट्विटर हैंडल से घटना के वीडियो को शेयर कर लिखा गया कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह का विरोध होना चाहिए लेकिन यहां पर राकेश टिकैत का विरोध हो रहा है। जो नौजवानों की आवाज हैं, देश बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। दीपक शर्मा नाम के यूजर ने लिखा, ‘ पहले सुरक्षा नहीं दी फिर जबरदस्ती हॉल में उपद्रवी घुसे.. फिर मारपीट और टिकैत पर इंक फेंकना और बाद में भगदड़, नारे.. सारा घटनाक्रम साजिश की परतें स्वयं खोल रहा है।
अजीत प्रताप सिंह नाम के एक यूज़र कमेंट करते हैं कि ये सब इन टिकैत भाइयों की सुर्खियों में बने रहने की कोशिश है। पत्रकार शाजिया निसार ने टिकैत की तस्वीर शेयर कर पूछा कि आप चाचा राकेश टिकैत के साथ ये किसने किया? नीरज शर्मा नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘ लगता है किसी ने बक्कल उतार दिए।’ संदीप चौधरी नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि निंदनीय दुर्व्यवहार, सुर्खियों में आने के लिए छोटे लोग ही ऐसा काम करते हैं।
हर्षवर्धन त्रिपाठी नाम के ट्विटर यूजर ने कमेंट किया कि कर्मफल लेकिन फिर भी मैं लोकतांत्रिक व्यक्ति हूं। ऐसा नहीं होना चाहिए। स्याही फेंकी तो ठीक लोकतांत्रिक प्रदर्शन का हिस्सा है लेकिन माइक से मारना.. राम राम।
संदीप गुप्ता नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि किसी ने टिकैत के बक्कल उतार दिए हैं। अनुभव सिंह नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि टिकैत जी का मुंह काला करने की कड़ी निंदा करते हैं, गांधी जी के देश में इस तरह की घटनाएं असहनीय पीड़ादायक हैं।
टिकैत ने कही यह बात : इस घटना के बाद पत्रकारों से बात करते हुए राकेश टिकैत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस की ओर से यहां कोई सुरक्षा नहीं मुहैया कराई गई थी। उन्होंने इसे सरकार की साजिश बताते हुए कहा कि यह सरकार की मिलीभगत से किया गया है। सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकल पुलिस की होती है।