उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत से पहले सोमवार (20 फरवरी, 2023) को समाजवादी पार्टी के विधायकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस प्रदर्शन को कवर करने तमाम पत्रकार भी पहुंचे थे। इस दौरान सपा विधायकों की पुलिस के नोंकझोंक हुई। वहीं, मीडियाकर्मियों को दूर किया जाने लगा। इस बीच मार्शल पत्रकारों से धक्का-मुक्की करने लगे। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधा।
मार्शल और पत्रकारों के बीच हुई धक्का-मुक्की
समाजवादी पार्टी के विधायकों के प्रदर्शन के दौरान हुई मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी हुई। इस धक्का-मुक्की में कई पत्रकारों को चोटें भी आईं। इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर फोटोग्राफर विशाल श्रीवास्तव ने इस घटना पर कहा,”बिना किसी बात के मार्शलों ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी की। ना सिर्फ उन्हें रोका गया,बल्कि उनके साथ मारपीट भी गई। इसके साथ हम लोगों को धक्का देकर वहां से बाहर कर दिया गया।”
अखिलेश यादव ने सरकार पर साधा निशाना
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर लिखा,”मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार सत्ताधारियों की हताशा का प्रतीक है। जब सत्ता पत्रकारों पर प्रहार करने लगे तो समझ लो वो सच से डर गयी है।” समाजवादी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि तानाशाह भाजपा सरकार, चौथे स्तंभ पर वार। आज विधानसभा में पत्रकार साथियों पर भाजपा सरकार के इशारे पर हुआ हमला बेहद शर्मनाक। लोकतंत्र खत्म करने का प्रयास कर रही योगी सरकार। सत्ता के अहंकार में दमन कर रही सरकार।
कांग्रेस नेत्री पंखुड़ी पाठक ने लिखा- लखनऊ में विधान सभा सत्र की कवरेज कर रहे पत्रकारों पर मार्शल द्वारा हमले की जितनी निंदा की जाए कम है। लोकतंत्र के हर स्तंभ पर प्रहार करना ही बीजेपी सरकार की पहचान है।
लोगों ने उठाये सवाल
पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा ने ट्ववीट किया- आजादी के बाद इतिहास में पहली बार हुआ है। जब यूपी की विधानसभा के भीतर विपक्ष को ना दिखाया जाए इसलिए पत्रकारों को पीटा गया। मुक्के मारे गए..धक्के मारे गए..गाल सुजा दिए गए…ये लिंचिंग यूपी की विधानसभा के भीतर हो रही है..ऐसी सरकारी तानाशाही…ऐसा दमन कभी नहीं हुआ। पत्रकार राजेन्द्र देव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ये कैसा लोकतंत्र ?आज जो हुआ वो पहले कभी नही हुआ था। विपक्ष , विधानसभा में प्रदर्शन कर रहा था। मीडिया उसे कैमरे में कैद करने का अपना धर्म निभा रहा था। फिर मीडिया को मार्शलों की ताकत के बूते बाहर धकेल दिया गया। क्या इस कृत्य से भारत दुनिया के “लोकतंत्र की जननी” साबित हुआ?