विमुद्रीकरण के मुद्दे पर मुख्‍य विपक्षी कांग्रेस की तरफ से गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्‍यसभा में मोर्चा संभाला। कम बोलने वाली छवि से इतर जाकर सरकार पर आक्रामक होते हुए उन्‍होंने कहा कि जिस तरह से इस फैसले को लागू किया गया है, उससे साफ जाहिर होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार बुरी तरह से फेल हो रही है। पूर्व पीएम के मुताबिक, इस फैसले से विकास दर दो फीसदी तक गिर सकती है। सिंह ने राज्‍यसभा में कहा, ”सरकार के इस फैसले से 60 से 65 लोगों की जान चली गई है जबकि आम लोग परेशान हैं, लेकिन ये साफ नहीं है इससे फायदे क्या होंगे। मैं पूरी जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि हम नहीं जानते कि इससे क्या फायदे होंगे। जो लोग गरीब और कमज़ोर हैं उसके लिए ये 50 दिन काफी भारी पड़ेंगे” मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में कहा कि मोदी सरकार को आमलोगों की शिकायतों पर गौर करना चाहिए जो लोग पिछले पंद्रह दिनों से रोज बैंकों का चक्कर काट रहे हैं। 50 दिन की मोहलत मांगने की बात पर सिंह ने कहा, ”प्रधानमंत्री जी ने 50 दिन इंतजार करने को कहा लेकिन किसी गरीब के लिए 50 दिन रुकना नामुमकिन है।”

मनमोहन सिंह का भाषण सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। मितभाषी मनमोहन संसद में कभी-कभार ही बोलते हैं, ऐसे में उनके भाषण पर ट्विटर यूजर्स ने खूब चुटकी ली है। एक ने लिखा है, ”आज पता चला कि समय सबका बदलता है। अब देख लो मनमोहन सिंह राज्यसभा में बोल रहे हैं और मोदी जी चुप हैं।” एक और यूजर लिखते हैं, ”जब मनमोहन सिंह जी बोल सकते है तो मोदी जी को समझना चाहिए देश कितनी तकलीफ में है।” कई यूजर्स ने पूर्व पीएम के तर्कों को गंभीरता से लेने की अपील की है। एक ने लिखा, ”जब पूरा विश्व आर्थिक मंदी से झुलस रहा था उस वक्त मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक मंदी से दूर रखा इसलिए उनकी चिंता को मोदी सरकार हल्के में ना ले।”

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अपने भाषण में मनमोहन सिंह ने कहा, ”मैं प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या वो किसी देश का नाम बताएंगे जहां लोग अपने पैसे बैंक में जमाकर उसे निकालने के लिए इतना परेशान हो रहे हों। मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री देश के निराश करोड़ों लोगों के लिए कोई व्यवहारिक और कारगर कदम उठाएंगे।

मनमोहन सिंह ने कहा, ”देश के कोने-कोने में फैले को-ऑपरेटिव बैंकों को इस प्रक्रिया से दूर रखा गया है जबकि यह परेशानी कम करने में मददगार साबित हो सकता है। पीएम को कुछ सकारात्मक प्रस्ताव के साथ आगे आना चाहिए ताकि विमुद्रीकरण की योजना को अच्छे तरीके से लागू किया जा सके।”