इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। पंढेर को उन दो मामलों में बरी कर दिया गया जिनमें उसे फांसी की सजा हुई थी, वहीं कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया गया जिनमें उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। इस केस पर फैसला सुनाते हुए जांच पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने पाया कि इस केस के जांच में गड़बड़ी हुई और सबूत जुटाने के नियमों का ‘बेशर्मी से उल्लंघन’ किया गया। दोनों आरोपियों की रिहाई की खबर सुनते ही निठारी के पीड़ित कोठी के पास पहुंच गए!
मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के बरी होने की खबर जैसे निठारी केस के पीड़ितों को लगी तो वह नॉएडा स्थिति उस कोठी के पास पहुंच गए, जहां पर इस घटना को अंजाम दिया गया था। खंडहर बन चुकी इस कोठी पर लोगों ने गुस्से में पत्थर फेंके और नाराजगी जताई। इन्हीं पीड़ितों में से एक रामकिशन भी हैं, जिनका तीन साल का बेटा गायब हुआ था।
राम किशन के बेटे के कपड़े तो बरामद हुए थे लेकिन शरीर नहीं मिला था। कोर्ट के फैसले के बाद निठारी स्थित कोठी पर रामकिशन पहुंचे गए और पत्थर उठाकर फेंकने लगे। कई अन्य पीड़ित भी कोठी के आसपास एकत्रित हो गए और इस फैसले से दुखी दिखाई दिए। सोशल मीडिया पर पत्थर फेंकने का वीडियो वायरल हो रहा है और लोगों की इस पर टिप्पणियां सामने आ रही हैं।
विवेक त्रिपाठी ने लिखा, ‘कोठी से सटे नाले में रामकिशन के 3 साल के बेटे हर्ष के कपड़े-चप्पल मिले थे। बॉडी आज तक नहीं मिली। सोचिए क्या मनोदशा होगी जब कोर्ट ने पंढेर और कोली की फांसी रद्द की। अपना गुस्सा कहां निकाले?’ नरेंद्र नाथ मिश्रा ने लिखा, ‘निठारी कांड ने फिर साबित किया कि कितना भी घृणित अपराध हो,बस एक कुछ सालों का वक्त खामोशी से एक दौर निकाल लो। फिर अपराधी अपने “सामर्थ” के हिसाब से वक्त को तो नहीं पीछे मोड़ सकता है। पूरे सिस्टम को फिर जरूर अपने हिसाब से रीसेट कर सकता है। आउटरेज, विरोध, गुस्से की वैलिडिटी पीरियड कह सकते हैं।’
नीरज झा ने लिखा, ‘निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। एक बात तय है कि 19 कंकाल मिले थे। कोई दोषी नहीं साबित हुआ है। आरोप थे कि बच्चों और महिलाओं के साथ कुकर्म/दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या की जाती थी और अंगों का व्यापार होता था। कहां से आए कंकाल? किसने की हत्याएं? कहां है न्याय?’ स्वाति मालीवाल ने लिखा, ‘निठारी कांड के आरोपियों का छूट जाना पूरे समाज के लिए एक बड़ा झटका है। सोचिए ऐसे आदमी अब आज़ाद घूमेंगे और ना जाने किसे अपना शिकार बनायेंगे।’
नोएडा के निठारी में एक नाले से कई बच्चों का कंकाल मिला था। यह मामला दिसंबर 2006 में प्रकाश आया था। इस मामले की जांच शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस ने की थी लेकिन बाद में इस केस को (सीबीआई) को सौंप दिया गया। हालांकि अब इसी जांच पर सवाल उठाते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया है।