उत्तर प्रदेश के महोबा से एक हैरानी करने वाली खबर सामने आई है।  यहां गांव के छ लोगों को मृत घोषित कर दिया, जबकि वह जिंदा है। खुद अपने गले में ‘मैं अभी जिन्दा हूं’ की तख्ती लटकाकर छः बुजुर्ग जब डीएम कार्यालय के बाहर पहुंच गये तो मामला संज्ञान में आया। आगे पढ़िए पूरी खबर। 

‘अभी जिंदा हूं मैं’- बुजुर्गों की गुहार

दरअसल छ बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने BDO को घूस नहीं थी दी तो उसने कागज में इनको मृत घोषित कर दिया। लिहाजा अब उन्हें मिलने वाली सभी सरकार सुविधाएं बंद हो गईं, ना तो इन्हें पेंशन मिल रही है और ना ही राशन।  बुजुर्गों ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी ने 500 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।  

लोगों की प्रतिक्रियाएं:

दिलबर राठी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ये कैसी विडंबना है। बहुत ही दुःखद है कि जीने की आस में अपने आप को ज़िंदा साबित करना पड़ रहा है। दोषी कर्मियों को तो नौकरी से निकालकर इनकी सारी संपत्ति जब्त होनी चाहिए।’ वीरेन्द्र सिंह चौहान नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जनता सरकार चुन सकती है। सरकार बदल सकती है। लेकिन सरकार को भ्रष्ट सिस्टम बदलने मे पता नहीं क्यों रूचि नहीं दिखाई देती है।’

जहीन अंसारी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘उस ग्राम अधिकारी को पता कर, उसको सबक सिखाना चाहिए जिन्होंने जिंदा को मुर्दा दिखाया है और पद से हमेशा के हटा देना चाहिए।’ अमित नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सुना है अब यूपी में भ्रष्टाचार नहीं होता है।’ गौरव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘इसे देखकर तो मुझे पंकज त्रिपाठी की फिल्म याद आ गई।’

विनोद जोशी नाम के यूजर ने तो यहां तक लिख दिया कि ‘यह केंद्र की भाजपा सरकार की नीतियों की विफलता का जीता जागता नमूना है। आज देश के बहुत सारे वृद्धजन प्रधानमंत्री मोदी जी को कोस रहे हैं।’ शकील नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जिनकी जमीर ही मर चुकी हो! उनके आगे अपने जिंदा होने की सबूत देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा!’

क्या बोले महोबा के जिलाधिकारी?

बता दें कि जब मामला सोशल मीडिया पर सामने आया और लोग इसकी आलोचना करने लगे तो महोबा के डीएम ने ट्वीट कर इस पर अपनी सफाई दी है। उन्होंने लिखा, इस विषय में विभागीय जाँच के आदेश निर्गत कर दिये है। जांचोपरांत दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी/कर्मचारीगण पर उचित कार्यवाही होगी।