किसान नेता राकेश टिकैत अपने तेवर हमेशा की तरह से तीखे किए हुए हैं। सोमवार को सरकार ने तीनों कृषि बिलों को वापस लेने का मसौदा संसद से पारित कराया तो उन्होंने कहा कि एक बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लग जाए, उसके बाद 750 किसानों की मौत समेत दूसरे मुद्दों पर पर मंथन होगा।

टिकैत ने कहा कि अभी कई सारे मुद्दे लंबित हैं, जिन पर सरकार से दो-दो हाथ करने हैं। 750 किसानों की मौत के साथ उनके खिलाफ दर्ज मामलों के साथ एमएसपी पर अभी लड़ाई लड़ी जानी बाकी है। एक बार राष्ट्रपति मुहर लगा दें उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा सभी मुद्दों पर मंथन करके आगे की रणनीति बनाएगा। उनका कहना है कि तीनों कृषि कानूनों का वापस होना किसानों की बड़ी जीत है।

रविवार को टिकैत ने भारत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वो अपने दिमाग ठीक कर ले। हम वहीं के वहीं हैं। एमएसपी पर कानून बना दे, नहीं तो 26 जनवरी दूर नहीं है। 4 लाख ट्रैक्टर भी ज्यादा दूर नहीं हैं। टिकैत ने साफ लहजे में कहा कि ये गुंडागर्दी नहीं चलने वाली है। वो जो भी करने की सोच रही है उससे पीछे हट जाए, नहीं तो अंजाम बुरा होगा।

टिकैत ने कहा था कि किसान ने एक साल के दौरान बहुत कुछ झेल लिया है। अपने घरों को छोड़कर वो दिल्ली के बॉर्डर पर पड़े हैं। सर्दी, गर्मी और बरसात की चिंता किए बगैर किसान आंदोलन कर रहा है। लेकिन अब हमारे सब्र का पैमाना छलकता जा रहा है। टिकैत का कहना है कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा किसान अपने घरों को नहीं लौटने वाले।

ध्यान रहे कि राज्यसभा में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म करने संबंधी एक विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया। इससे पहले लोकसभा ने पिछले करीब एक वर्ष से विवादों में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी एक विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया। विधेयक को बिना चर्चा के पारित किया जाने का विपक्षी दलों ने भारी विरोध किया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक जैसे विपक्षी दलों ने विधेयक पर चर्चा कराने की मांग की लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है।