राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में माहौल उत्सुकता से भरा हुआ है, जहां 3.4 लाख से अधिक मतदाता इस बात से बखूबी वाकिफ हैं कि वे जिस उम्मीदवार को चुनेंगे, वह राज्य का अगला मुख्यमंत्री भी हो सकता है।

यह निर्वाचन क्षेत्र वैशाली जिले का हिस्सा है और इसे पूर्व में भी दो मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद (1995) और राबड़ी देवी (2000) को चुनने का गौरव प्राप्त है। उनके पुत्र और राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव ने 2015 में 25 वर्ष की उम्र में यहीं से चुनावी पारी की शुरूआत की थी। वह महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।

महागठबंधन का नेतृत्व राजद के पास है और इसमें कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी भी शामिल है, जो ‘निषाद’ समुदाय के वोटों पर मजबूत पकड़ रखती है। तेजस्वी इस सीट से लगातार तीसरी बार जीत का लक्ष्य लेकर चुनावी मैदान में हैं।

राघोपुर में यादव सबसे ज्यादा

नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने मतदाताओं से कहा था कि यह सामान्य चुनाव नहीं है। यह बिहार को बदलने का अवसर है। हाल में उन्होंने कई बड़े वादे किए हैं। राघोपुर में यादव समुदाय की संख्या सर्वाधिक है और अब तक यहां कोई भी उम्मीदवार इस समुदाय के समर्थन के बिना नहीं जीत सका है।

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वर्तमान में विपक्ष के नेता तेजस्वी का कद बढ़ने से यह समुदाय अपना राजनीतिक वर्चस्व फिर से हासिल करना चाहता है, जो कभी राजद के शासनकाल में हुआ करता था। एक युवा मतदाता ने कहा कि नीतीश कुमार के 20 साल के शासन में यादवों के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है। भाजपा भी इस खेल का हिस्सा रही है, क्योंकि वह यादवों के दबदबे का डर दिखाकर समाज के शेष सभी वर्गों के लोगों, अगड़ी जातियों से लेकर दलितों तक, को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।

2010 में हार गई थीं राबड़ी देवी

हालांकि तेजस्वी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी एवं भाजपा उम्मीदवार सतीश कुमार, जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को हराया था, फिर से इतिहास दोहराने के दावे के साथ चुनाव मैदान में हैं।

सतीश कुमार (59) का कहना है कि राघोपुर को VIP सीट कहा जाता है, लेकिन इससे यहां के लोगों को मिला क्या? तेजस्वी यादव दो बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि दोनों कार्यकाल छोटे थे, लेकिन क्या वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक डिग्री कालेज और एक रेफरल अस्पताल मंजूर नहीं करवा सकते थे? अगर उनमें इतनी भी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है, तो पूरे राज्य में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को बदलने के उनके दावों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

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