वाकया अक्टूबर 2015 का है। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई एचएल दत्तू ने पोते का जिक्र कर दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा पर चिंता जताई थी। तब उन्होंने कहा था कि पोते को मास्क पहनना पड़ता है, क्योंकि राजधानी की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। उनकी टिप्पणी थी कि मास्क पहनने की वजह से उनका पोता निंजा की तरह से दिखता है।
दिसंबर 2015 में तब के सीजेआई तीर्थ सिंह ठाकुर ने बढ़ते प्रदूषण का जिक्र करते हुए कहा था कि दिल्ली का नाम बदनाम हो रहा है। टीएस ठाकुर ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के एक जज का जिक्र करते हुए कहा था कि बीते सप्ताह (2015 में) जज दिल्ली आए तो उन्हें प्रदूषण के बारे में बताना पड़ा। उनका कहना था कि ये हमारे लिए बेहद शर्म की बात थी।
आज की बात की जाए तो दो ऐसे जजों ने प्रदूषण पर एक बार फिर से टिप्पणी की जो सीजेआई बनने की राह में हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि हम छोटे बच्चों को जहरीले वातावरण में जीने को विवश कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने दो सप्कताह पहले सारे स्कूल खोल तो दिए पर इससे तो जहरीली हवा के साए में आने से बच्चों के फेफड़ों पर असर पड़ेगा। चंद्रचूड नवंबर 2022 में सीजेआई का चार्ज लेंगे। एक अन्य जस्टिस सूर्यकांत ने भी प्रदूषण पर गहन चिंता जताई। वह 2025 में सीजेआई बनने की राह पर हैं। उनका कहना था कि किसानों को दोष देकर पल्ला झाड़ना फैशन बन चुका है, लेकिन इसका जवाब कौन देगा कि आबोहवा के बिगड़ने के पीछे कौन है?
खास बात है कि 2015 से सुप्रीम कोर्ट लगातार दिल्ली के हालात पर लगातार चिंता जता रहा है, लेकिन फिर भी हाल में कोई तब्दीली नहीं हो सकी। सर्दी आते ही राजधानी का एयर क्लाविटी इंडेक्स 500 के पार चला जाता है। इस बार भी कमोवेश वही हाल है। सर्दी आते ही राजधानी में सांस लेना तक दुश्वार हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट को तल्ख टिप्पणी करते हुए लॉकडाउन लगाने तक का आदेश देना पड़ रहा है।
हालांकि, वायु प्रदूषण को लेकर तत्काल कदम उठाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बीच सरकार फिर से खुद को सक्रिय दिखाने लगी है। अरविंद केजरीवाल ने इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक आपात बैठक बुलाई। कोर्ट ने दिल्ली में स्कूलों को फिर से खोलने पर भी संज्ञान लिया और वाहनों की आवाजाही बंद करने तथा दिल्ली में लॉकडाउन लगाने जैसे कदम तत्काल उठाने को कहा। लेकिन हर बार की तरह इस तरह के आदेश का कितना असर होगा?