Colonel Sophia Qureshi Viral Video: ऑपरेशन सिंदूर की ब्रिफिंग के लिए जिन कर्नल सोफिया कुरैशी का चयन किया गया, उनकी अब देशभर में चर्चा हो रही है। ऑपरेशन के नाम से लेकर उसकी ब्रिफिंग के लिए अधिकारियों के चयन के लिए जनता सरकार की तारीफ कर रही है। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के बारे में लोग जानना चाह रहे हैं।
एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा
इस बीच कथित तौर पर कर्नल सोफिया कुरैशी का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में वो बताते दिख रही हैं कि आखिर वो सेना में कैसे आईं। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मैं फौजी की बेटी हूं। फौजी माहौल में पली-बढ़ी हूं। इतना ही नहीं मेरी परदादी (Great Grand Mother) रानी लक्ष्मी बाई के साथ थीं। वो एक योद्धा थीं। हालांकि, जनसत्ता वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
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सोफिया आगे कहती हैं कि यही वजह थी कि मेरी मां चाहती थीं कि हम दोनों बहनों में से कोई एक सेना में जाए। उन्होंने पूछा कि वो NCC में जा रही है, क्या तुम भी जाना चाहोगी। इस पर मैंने कहा क्यों नहीं, अगर मौका मिला तो मैं जरूर जाना चाहूंगी। ऐसे में मैंने अप्लाई किया और मुझे एंट्री मिल गई।
उन्होंने कहा कि मेरे दादा जी जो आर्मी में ही थे कहते थे ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’, यह हम सभी नागरिक की जिम्मेदारी है कि हम अलर्ट रहें, अपने देश के लिए खड़े हों और अपने राष्ट्र का बचाव करें।
यहां देखें वायरल वीडियो –
गौरतलब है कि कर्नल सोफिया कुरैशी की सुप्रीम कोर्ट भी तारीफ कर चुका है। भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को स्वीकार किया था।
कोर्ट ने कहा था, “लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं, जो भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में काम किया है, जहां वह अन्य लोगों के साथ उन देशों में युद्ध विराम की निगरानी और मानवीय गतिविधियों में सहायता करने की प्रभारी थीं। उनका काम संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना था।”
मामले में केंद्र के हलफनामे पर गौर करते हुए अदालत ने कहा था कि जवाबी हलफनामे में महिला एसएससी अधिकारियों द्वारा राष्ट्र के लिए दी गई सेवा का विस्तृत ब्यौरा है, जो अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा था, “फिर भी, इस अदालत के समक्ष बार-बार की गई दलीलों से उस भूमिका को कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है कि महिलाओं की जैविक संरचना और सामाजिक परिवेश की प्रकृति के कारण, उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में उनकी भूमिका कम महत्वपूर्ण है। इस तरह की दलीलें परेशान करने वाली हैं क्योंकि यह उन संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करती हैं जिन्हें राष्ट्र में हर संस्था बनाए रखने और सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य है। भारतीय सेना की महिला अधिकारियों ने बल को गौरवान्वित किया है।”