किसान बिल वापसी को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा कि सरकार मानने वाली नहीं है इलाज करना होगा। उनके इसी ट्वीट पर फिल्म मेकर अशोक पंडित ने निशाना साधते हुए कहा कि खालिस्तानी मानने वाले नहीं है इलाज करना होगा।

दरअसल केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 6 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा’। राकेश टिकैत के इसी ट्वीट पर फिल्मेकर अशोक पंडित ने उन पर निशाना साधते हुए लिखा कि, ‘ ख़ालिस्तानी मानने वाले नहीं हैं। इलाज तो करना पड़ेगा। सरकार को अपनी पूरी तैयारी रखनी चाहिये। देश बचाने के लिए इनको सबक़ सिखाना ज़रूरी है’।

अशोक पंडित के इस ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। प्रतिक पुरोहित नाम के यूज़र ने किसान आंदोलन को एजेंडा बताते हुए लिखा कि, ‘ यह लोग देशद्रोहियों को सी पगड़ी पहनाकर जानबूझकर आंदोलन करवा रहे हैं। ताकि मोदी सरकार इन पर आक्रमण करें। राजीव गांधी जैसे मोदी सरकार पर भी 1984 जैसा सिख विरोधी होने का कलंक लग जाए। हिंदू सिखों के बीच दरार पड़ जाए इन लोगों का एजेंडा यही है’।

एक यूजर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि, ‘यह फिर से तोड़फोड़ की धमकी दे रहे हैं। इस बार इलाज जरूरी है, पिछली बार रो रो के बच गए थे’। रागी नाम की एक यूजर ने सरकार की लाचारी पर सवाल करते हुए लिखती हैं कि,’ऐसा लगता है राकेश टिकैत की सरकार है और बीजेपी कहीं कमजोर विपक्ष में बैठी है। जब चाहे हढका देता है। सरकार इतनी लाचार क्यों’? एक ट्वीटर यूजर गौरव अशोक पंडित की बात का समर्थन करते हुए लिखते हैं कि, ‘आतंकवाद का खात्मा जरूरी है। चाहे वो किसी भी भेष या रंग रूप में हो। कहानी सुनी थी की भेड़िया रूप बदल के बैठता था बच्चों को खाने के लिए। ये आतंकवादी चाहे जितना रूप बदले पर अब हम बच्चे नहीं रहे। इनको इनकी ही भाषा में समझना पड़ेगा’।

आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब अशोक पंडित ने राकेश टिकैत पर निशाना साधा है। इससे पहले भी वह कई बार किसान किसान आंदोलन पर अपनी बात रख चुके हैं। पिछली बार उन्होंने किसानों द्वारा यूपी गेट पर सड़क घेरने को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ‘सड़क इनके बाप की जागीर नहीं’।