किसानों के गाजीपुर के प्रदर्शनस्थल पर रविवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिला। गाजियाबाद में अपनी मांगों के साथ आंदोलन में मनोरंजन के भी किसानों ने पूरे इंतजाम किए हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का कबड्डी का मैच हुआ। किसान नेता राकेश टिकैत भी यहां पर कबड्डी खेलते दिखे।
हालांकि, मैच के दौरान वह कई बार अपने से ज्यादा उम्रदराज किसानों के हाथों चित्त भी होते दिखे, लेकिन किसान आंदोलन का नजारा पूरी तरह से बदला दिखा। इस दौरान किसान जोशोखरोश में दिखे। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन को 11 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। ऐसे में पहली बार आंदोलन स्थल पर खेल होने से किसानों की रंगत बदली बदली सी दिखाई दी।
मैच के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि 1985 के बाद में फिर से खेलना शुरू किया है। उनका कहना था कि 35 साल बाद मैदान में उतरने से अच्छा लगा। शरीर खुल गया है। अब हर रोज यहां पर ऐसे ही खेल चलेगा। उनका कहना था कि बुजुर्गों का दम देखकर अच्छा लगा। कबड्डी को लेकर किसी संदेश के बारे में उनका कहना था कि यह केवल खेल है। इसका कोई संदेश नहीं है। खुद को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए खेल से बेहतरीन कोई चीज नहीं है। अब यहां रोज ऐसे इवेंट होंगे।
ध्यान रहे कि किसान आंदोलन में बीते कुछ समय से कई अजीबोगरीब घटनाएं हो रही हैं। एक तरफ लखीमपुर में चार किसानों की मौत के बाद चार और लोगों के मरने से किसान आंदोलन बेहद सुर्खियों में आ गया तो लंबे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन से उस समय बड़ा ट्विस्ट आ गया जब संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को निलंबित कर दिया। मोर्चा ने यह निलंबन एक माह के लिए किया गया है। यह कार्रवाई योगेंद्र यादव पर लखीमपुर खीरी मामले को लेकर की गई है।
उधर, बेअदबी को लेकर सिंघु बॉर्डर पर एक शख्स की हत्या को लेकर भी आंदोलन सुर्खियों में रहा है। इस मामले में निहंगों का हाथ सामने आया। इससे पहले भी करनाल के एसडीएम के विवादास्पद बयान को लेकर भी किसानों की हरियाणा सरकार से काफी तनातनी दिखने को मिली थी। आने वाले समय में यूपी विधानसभा का चुनाव भी है। सरकार के साथ किसान भी अपनी रणनीति बनाने में लगे हैं। किसान जहां पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि बंगाल की तर्ज पर यूपी चुनाव में भी बीजेपी का विरोध करेंगे। लिहाजा सरकार भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।