न्यूज-18 में टीवी पत्रकार सुमित अवस्थी के एक कार्यक्रम में भाजपा प्रवक्ता और मुस्लिम पैनलिस्टों के बीच जमकर जुबानी तीर चले। कार्यक्रम में भाजपा प्रवक्ता ने एक पैनलिस्ट से यहां तक कह डाला कि वह संघी हैं। दरअसल, चैनल पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में होने जा रहे दीक्षांत समारोह में आरएसएस से जुड़ी विचारधारा वाले लोगों के बुलाने पर हुए विरोध पर टीवी डिबेट का आयोजन किया गया। डिबेट में सीपीआई नेता अमीर हैदर जैदी ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संघ से जुड़े होने की खबर पर एतराज जताया। इस पर नाराज भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह एक स्वयंसेवक हैं। राष्ट्रसेवा उनका धर्म है।

उन्होंने आगे कहा कि देश के दो प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी और वर्तमान में नरेंद्र मोदी स्वयंसेवक हैं। देश के राष्ट्रपति स्वयंसेवक हैं। देश के उप राष्ट्रपति भी स्वयंसेवक हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “संघी हूं। करो क्या करोगे? देश को तोड़ने वाला नहीं हूं। अफजल गुरु का भक्त नहीं हूं।” इस पर जैदी ने कहा कि राष्ट्रपति कहें कि वह संघी हैं तो इस बात पर एतराज होना चाहिए। कार्यक्रम में अवनिजेश अवस्थी (आरएसएस के जानकर), फैज-उल-हसन (पूर्व अध्यक्ष एएमयू), मोहम्मद नदीम अंसारी (पूर्व उपाध्यक्ष एएमयू), अमीर हैदर जैदी (सीपीआई नेता) और संबित पात्रा (भाजपा प्रवक्ता) बतौर पैनलिस्ट मौजूद थे।

गौरतलब है कि एएमयू के छात्र संघ ने विवि प्रशासन को धमकी दी है कि अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा वाले किसी शख्स को आगामी दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में बुलाया गया तो उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। एएमयू में अगले महीने सात तारीख को यह कार्यक्रम होना है, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। छात्र संघ ने इस बाबत एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर को एक चिट्ठी भी लिखी है। छात्र संघ के सचिव मोहम्मद फहाद ने इसमें कोविंद के साल 2010 के उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमीशन को खत्म कर दिया जाना चाहिए। कमीशन में यह कहा गया था कि मुस्लिम और ईसाई धर्म में शामिल होने वालों को पिछड़ी जातियों के अंतर्गत गिना जाना चाहिए। ऐसे में कोविंद ने कहा था, “इस्लाम और ईसाई देश में एलियन जैसे हैं।”

फहाद ने अपनी चिट्ठी में कहा, “कोविंद द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ दिया गया बयान अभी भी एएमयू छात्रों के दिमाग में है। हालांकि, छात्रसंघ राष्ट्रपति के पद का सम्मान करता है और दीक्षांत समारोह में उनका स्वागत करता है। हम याद दिला दें कि वह अब आरएसएस या भारतीय जनता पार्टी के सदस्य नहीं हैं, बल्कि वह देश की सवा सौ करोड़ जनता के राष्ट्रपति हैं। उन्हें अपने पद की गरिमा बरकरार रखनी चाहिए।”