बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के अपनी ही पार्टी पर हमले रूक नहीं रहे हैं। फिलहाल उन्होंने कंधार मामले का जिक्र कर अपनी पार्टी को घेरा। वह बोले कि यह घटना भारत के आधुनिक इतिहास का सबसे शर्मनाक आत्मसमर्पण था। स्वामी की बातों से जाहिर है कि वह घटना के लिए तत्कालीन सरकार को दोष दे रहे हैं। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी पीएम थे।

स्वामी पीएम मोदी के मामले में खासे मुखऱ रहे हैं। अफगानिस्तान मामले में वह यहां तक कह चुके हैं कि आने वाले समय में भारत को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने पीएम मोदी को यहां तक सलाह दे डाली कि वह अपनी कुर्सी छोड़ दूसरे नेता के लिए रास्ता बना दें जिससे इस संकट का सामना करने के लिए मजबूत नेतृत्व मिल सके। स्वामी इससे पहले तेल के दामों के साथ कई अन्य मसलों पर मोदी सरकार को घेर चुके हैं। लद्दाख में चीन के अतिक्रमण पर उन्होंने सरकार पर तीखा हमला किया था।

गौरतलब है कि कंधार हाइजैक की घटना 24 दिसंबर 1999 को हुई थी। काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ़्लाइट संख्या आईसी 814 नई दिल्ली के लिए रवाना हुई, तब विमान में कुल मिलाकर 180 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे। जैसे ही विमान भारतीय हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ, तभी बंदूकधारी आतंकियों ने विमान का अपहरण कर लिया। पाकिस्तान समेत कई जगहों पर होते हुए अपहर्ता विमान को काबुल ले गए, लेकिन वहां रात को विमान उतरने की सुविधा नही थी जिसके कारण हाइजैकर्स हवाई जहाज को दुबई ले गए।

तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर रिहा करना पड़ा था। 31 दिसंबर को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया। यात्री रिहा तो हो गए लेकिन जिस तरह से सरकार ने उनके सामने घुटने टेके उससे भारत की दुनिया भर में किरकिरी हुई थी।

कंधार कांड के समय वाजपेयी पीएम थे। उनकी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ख़ुद तीन आतंकियोंको अपने साथ कंधार ले गए थे। छोड़े गए चरमपंथियों में जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद शामिल थे। इस घटना को लेकर विपक्ष आज तक बीजेपी पर हमलावर है। इसे तत्कालीन सरकार की एक बहुत बड़ी नाकामी के तौर पर देखा जाता रहा है।