यूपी विधानसभा चुनाव के करीब आते ही सियासी उठापटक तेज हो गई है। योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। बीजेपी छोड़ने पर सोशल मीडिया यूजर्स कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग बीजेपी को कोसते नजर आ रहे हैं तो वहीं कुछ यूज़र का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने से कुछ बदलने वाला नहीं हैं।

पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया – भाजपा दम तोड़ देगी ये तो पता था, पर घुटने टेक देगी चुनाव से एक महीना पहले इसका अंदाजा तो मुझे भी नहीं था। स्वामी प्रसाद मौर्य के आने के बाद अनुप्रिया पटेल का भी रास्ता खुल गया है, अगर समाजवादी पार्टी से उनकी वार्ता फिर शुरू हुई और मां बेटी साथ आई तो भाजपा 2 अंकों में सिमटेगी। अनुष्का सिंह नाम की एक ट्विटर यूजर लिखती हैं – केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के लिए अभी भी सपा के दरवाजे खुले हुए हैं।

उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा कि कहते हैं अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। पर एक अकेले अखिलेश यादव ने भाजपा के किले में ऐसी सेंधमारी की है कि दिल्ली दहल गई है। जयंत को साधना, राजभर को साथ लाना, कृष्णा पटेल जी को साथ लाना, स्वामी प्रसाद मौर्य जैसा विकेट किराना अद्भुत सोशल इंजीनियरिंग है।

अनुप्रिया पटेल से पूछा – अखिलेश यादव कहते हैं कि आप लोग केवल फीता काट रहे हैं? इस सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने दिया था ये जवाब

पत्रकार दीपक शर्मा ने कमेंट किया, ” लगभग 10 वर्षों से एक कॉमन ट्रेंड पूरे देश में देखा जाता था। चुनाव से ठीक पहले भी विधायक दूसरी पार्टियां छोड़ बीजेपी में आते थे। यह मोदी युग के इतिहास में पहला चुनाव है जब विधायक बीजेपी छोड़ किसी अन्य दल में जा रहे हैं। क्या ये अखिलेश का मास्टर स्ट्रोक है? चुनावी पंडित गौर करें। धर्मेंद्र पटेल नाम के यूजर ने लिखा, ‘ मुझे नहीं लगता कि अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ अखिलेश के साथ आएंगी लेकिन आ गईं तो बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा।’

जानकारी के लिए बता दें कि अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार कैबिनेट मंत्री हैं। उनकी मां कृष्णा पटेल की पार्टी अपना दल (कृष्णा) ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। हाल में ही अनुप्रिया पटेल से समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि फिलहाल अभी मैं बीजेपी में हूं लेकिन राजनीति में बदलाव होते रहते हैं।