कवियत्री अनामिका जैन अंबर के पति कवि सौरभ जैन सुमन ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उन्हें एक कार्यक्रम के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम लेने से रोका गया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के आयोजक ने उन्हें काव्यपाठ से रोक दिया। सौरभ जैन सुमन द्वारा किये गए इस दावे पर सोशल मीडिया यूज़र्स भी कई तरह के सवाल करते नजर आ रहे हैं।
कवि सौरभ जैन सुमन ने किया ऐसा दावा
कवि सौरभ जैन सुमन ने ट्वीट किया,’मेरठ में मायोसिस इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित कवि सम्मेलन में मेरे काव्यपाठ के मध्य जैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी का नाम आया कार्यक्रम के मुख्य आयोजक स्कूल चेयरमैन श्री मूलचंद यादव ने काव्यपाठ से रोक दिया। उनके समर्थकों ने कहा की लुटेरे और खूनियो का जिक्र हमारे स्कूल में नही होगा। मोदी योगी स्वीकार्य नहीं। ये भाजपा का मंच नहीं है। मैनें तत्काल काव्यपाठ रोक दिया फिर कविता नही पढ़ी। मेरे अनुसार भारत के हर कोने पर देश के प्रधानमंत्री का नाम लिया जाना अपराध नहीं। अपितु उसे रोकना अपराध है। कृपया संज्ञान लें।’
उन्होंने अगला ट्ववीट किया कि पहले अनामिका जैन अंबर को पटना में बिहार सरकार द्वारा कविता पाठ से रोकना। अब उत्तर प्रदेश में ही कवितापाठ के बीच में रोक दिया जाना बहुत शर्मनाक है। मैं कोई छुपाकर कविताएं नही पढ़ता। सब जानते हैं क्या पढ़ता हूं। फिर बुलाया क्यों था? जब सुनना नही था। आहत हूं। संज्ञान लें। पति के इस ट्वीट पर अनामिका जैन अंबर ने लिखा,’आज नहीं तो कल सच को सब स्वीकार करेंगे।’
सोशल मीडिया यूज़र्स ने दिए ऐसे रिएक्शन
@YadavArunesh नाम के एक ट्विटर यूजर ने कहा,’गलती तुम्हारी ही है, स्कूल में काव्यपाठ करने गए थे या राजनीति चमकाने? कवि को तटस्थ होना चाहिए और सिर्फ कवि का ध्यान कविता पर होना चाहिए ना कि शासन सत्ता के गुणगान पर।’ @SherESharma नाम के एक यूजर ने लिखा- यह सरकार स्कूली किताबों में इतिहास बदलना चाह रही थी, इस स्कूल ने सरकार का वर्तमान में परेशान करना शुरू कर दिया। @Kavi_Hardik नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि ऐसी जगह जाना ही नहीं चाहिए, ये सब सैफई महोत्सव वाले हैं। इनको कवि सम्मेलन से क्या लेना देना, कवि तो आईना होता है।
@VishnuRajgadia नाम के एक ट्विटर यूजर ने तंज कसते हुए लिखा- ओह, बहुत बुरा हुआ। अच्छे दिन आए होते तो आप जैसे कवि को अपमानित होकर रोना नहीं पड़ता। अब एक कविता लिखकर पूछिए मोदी जी अच्छे दिन कब आएंगे? @sarthakkashyap4 नाम के एक यूजर ने कमेंट किया,’सबसे पहले दरबारी कवियों को कवि सम्मेलनों में बुलाना बंद करना चाहिये. कविता के आड़ में अपने मालिकों का झूठा गुणगान करके पेट पालने वालों को अपने जमात कर सीमित कर देना चाहिये।