उत्तर प्रदेश के महाराजगंज सदर के विधायक जय मंगल कनौजिया का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कुछ लोगों ने उन्हें कीचड़ से नहलाया है। इस वीडियो को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी शेयर करते हुए भाजपा पर तंज कसा है। जिस पर लोग भी तरह-तरह के रिएक्शन देते नजर आ रहे हैं।

वायरल वीडियो में क्या है? : सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ महिलाएं बीजेपी विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष कृष्ण गोपाल जयसवाल को कीचड़ से नहला रही हैं। इस दौरान विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष खुशी के साथ कीचड़ से नहा रहे हैं। इसके पीछे का तर्क यह दिया गया कि जब बारिश ना हो रही हो तो इस तरह का टोटका करने से इंद्रदेव खुश हो जाते हैं और बारिश करने लगते हैं।

अखिलेश यादव ने शेयर किया वीडियो : सपा प्रमुख ने इस वीडियो को शेयर कर कमेंट किया, ‘ अगर एक भाजपा विधायक के कीचड़ स्नान से बारिश नहीं हुई तो बाकी की भी बारी आएगी। जनता प्रतीक्षारत है।’ इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग चुटकी लेते नजर आ रहे हैं वहीं कुछ लोगों ने सवाल किया है कि कीचड़ से नहाने में मजा आया या नहीं विधायक जी को?

लोगों के रिएक्शन : सुनील त्रिपाठी नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि अगर बीजेपी विधायकों के कीचड़ से नहाने से बारिश होगी तो सीएम सहित पूरे मंत्रिमंडल को नहा लेना चाहिए। नवीन पाठक लिखते हैं – फिर और धुआंधार कमल खिलेगा। शिवपूजन पांडे नाम के एक युवक ने अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कमेंट किया कि ऑस्ट्रेलिया वालों को स्थानीय रीति रिवाज नहीं समझ में आएंगे। मुलायम सिंह यादव से पूछिएगा, वह आपको बता देंगे। कुमुद नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि विपक्ष आप केवल ट्विटर तक ही सीमित रह गया है और ऐसे मुद्दे उठाने में जिनका कोई मतलब नहीं।

बीजेपी विधायक ने कही यह बात :जय मंगल कनौजिया ने कहा, ‘चिलचिलाती धूप से लोग बेचैन हैं और इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी से स्नान करना सदियों पुरानी परंपरा है। शहर की महिलाओं ने हमें बारिश के लिए मिट्टी से स्नान कराया।’ कृष्ण गोपाल जायसवाल ने कहा कि सूखे जैसी स्थिति हमारे सामने है, महिलाओं ने वर्षा देवता को प्रसन्न करने के लिए क्षेत्र की सदियों पुरानी परंपरा का ही पालन किया। वहीं कृष्ण गोपाल जयसवाल की ओर से कहा गया कि सूखे जैसी स्थिति हमारे सामने है, महिलाओं ने वर्षा देवता को प्रसन्न करने के लिए क्षेत्र की सदियों पुरानी परंपरा का ही पालन किया।