प्रतापगढ़ जिले के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक व जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कड़वाहट के बाद पहली बार सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। उन्होंने इस मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि आदरणीय नेताजी से काफी समय बाद भेंट हुई, आशीर्वाद मिला, भावुक पल।

मुलायम सिंह यादव और राजा भैया की इस मुलाकात पर सोशल मीडिया यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। देवेंद्र यदुवंशी (Yaduvandhi_devendra) नाम के ट्विटर यूजर ने कमेंट किया कि यह मुलाकात कई लोगों की नींद गायब कर देगी। राज किशोर (@rajkishore347) नाम के टि्वटर हैंडल से लिखा गया कि ऐसा महल तो राजा का भी नहीं होगा जैसे समाजवादी राजा का है।

समर्थ शंकर (@Samaindian12) ट्विटर अकाउंट से कमेंट आया – आपने भी मौसम का मिजाज पकड़ लिया है। नितेश (nicks103) नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि मतलब आप भी… लगता है समाजवादी पार्टी में फिर से वापसी करने वाले हैं। अश्वनी यादव (@TheAshviniyadv) नाम के टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया कि काफी दिनों बाद इसलिए मुलाकात हुई है क्योंकि चुनाव आने वाले हैं।

मायावती के कारण बिगड़ गए थे अखिलेश और राजा भैया के रिश्ते, रघुराज प्रताप सिंह के इस कदम से नाराज सपा प्रमुख ने कहा था- अब उनके लिए बंद हो गए दरवाजे

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया था। इसके बाद से ही अखिलेश यादव और राजा भैया के रिश्ते में कड़वाहट आ गई थी। उस दौरान अखिलेश यादव ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर जनता को सताया तो अब समाजवादी और मायावती दोनों साथ आ गए हैं, 2022 में हिसाब कर देंगे। ऐसा नाच नचाएंगे कि पता नहीं चलेगा।

इसके साथ ही उन्होंने राजा भैया पर निशाना साधते हुए कहा था कि हमने बहुमत की सरकार होने के बावजूद भी उन्हें मंत्री बनाकर एहसान किया, लेकिन उन्होंने धोखा दिया। जानकारी के लिए बता दें कि राज्यसभा चुनाव 2019 के दौरान अखिलेश यादव चाहते थे कि गठबंधन के चलते बसपा प्रत्याशी को राजा भैया अपना वोट दें। लेकिन मायावती के विरोध में राजा भैया ने अपना वोट भाजपा प्रत्याशी को दिया था।

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जिसको लेकर अखिलेश यादव ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई। इसके साथ अखिलेश ने कहा था कि राजा भैया ने वादा किया था कि वोट देंगे, लेकिन उनके वचन न जाने कहां ध्वस्त हो गए। बता दें कि 2002 में मायावती सरकार के दौरान राजा भैया पर पोटा लगाया गया था। वहीं 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार आने के बाद राजा भैया के ऊपर से पोटा हटाया गया।