10 जून को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हंगामा हुआ था, हिंसा हुई। इसके अगले दिन पुलिस पत्थरबाजी और हंगामा करने वालों की पहचान कर उन्हें हिरासत में ले रही है। कुछ जगहों पर हंगामा और पत्थरबाजी करने वालों की पिटाई भी की गई है। भाजपा नेता और देवरिया से विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें कुछ पुलिस वाले हिरासत में लिए गये लोगों को पीट रहे हैं। अब इस वीडियो पर विवाद खड़ा हो गया है

शलभमणि ने जो वीडियो शेयर किया है वो कहां का है? इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन थाने में पिट रहे लोगों का वीडियो देखकर लोग सोशल मीडिया पर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो पत्थरबाजी के कथित आरोपियों की पिटाई पर खुशी जाहिर कर रहे हैं। शलभमणि त्रिपाठी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “बलवाइयों को “रिटर्न गिफ़्ट”!”  इस पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने शलभमणि त्रिपाठी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “यह हिरासत में यातना है। यह देश के कानून के तहत दंडनीय अपराध है। लेकिन क्या भाजपा और उसके सदस्य भारतीय संविधान में विश्वास करते हैं?” जवाब में शलभमणि त्रिपाठी ने लिखा कि “गला काटने के फतवों पर खामोश रहने वाले बलवाइयों के रिश्तेदारों का दिन खराब हो। इसीलिए ये वीडियो डाला, बीपी की दवा खाते रहिए, पूरा आराम मिलेगा।’

पत्रकार उत्कर्ष सिंह ने लिखा कि ‘ये पत्रकार रहे चुके हैं, CM योगी के मीडिया सलाहकार थे, अब तो विधायक हैं। इनकी भाषा से धार्मिक विद्वेष साफ झलक रहा है। अगली बार सांसद और फिर मंत्री बनने के सारे गुण हैं। पुलिस की पिटाई ही न्याय है, तो कोर्ट पर ताले लगा दीजिए। कस्टोडियल टॉर्चर घृणित है और किसी धर्म तक सीमित नहीं।” जवाब में शलभमणि त्रिपाठी ने लिखा कि “गला काटने के फतवों पर चरमपंथियों का समर्थन करो, कार्रवाई होने पर पत्रकारिता का सर्टिफिकेट बांटो, सारा सर्टिफिकेट बांटने का अधिकार तो केवल वामपंथियों के चेले चपाटों को ही मिला हुआ है, ठंडा पानी पीजिए, कुंठा शांत होगी।’

पत्रकार अजीत अंजुम ने लिखा कि “सत्ताधारी दल का विधायक कायदे -कानून का मखौल उड़ा रहा है। थाने में पिटाई का वीडियो डंके की चोट पर शेयर किया जा रहा है। कानून इसकी अनुमति देता है? क्या किसी भी गुनाह की सजा यूं हवालात में पिटाई करके देने का प्रावधान है? आप तो पत्रकार भी रहे हैं शलभ।” इस पर शलभ ने लिखा कि “अब आप पत्रकारिता पर ज्ञान देते हैं तो कसम से दुनिया पर से भरोसा ही उठ जाता है। ख़ैर कलियुग है और इस कलियुग में आप जैसे लोग अभी भी पत्रकार ही कहलाते हैं।”

फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने लिखा कि “ना जाने भारतीय कानून की किस किताब में लिखा है कि बलवाई/दंगाई/अपराधी एक बार पुलिस की हिरासत में अगर आ गया है तो उसे इस बर्बरता से पीटा जाए, बाकायदा वीडियो भी बनाया जाए और इस बर्बरता को कानून बनाने वालों की तरफ से सेलिब्रेट भी किया जाए?” एक अन्य ट्वीट में विनोद कापड़ी ने लिखा कि “उत्तर प्रदेश यूपी पुलिस के डीजीपी बताएं कि क्या राज्य में पुलिस को हिरासत में इस तरह की बर्बरता और वीडियो बनाने की छूट मिली हुई है? ट्विटर पर सक्रिय तमाम IAS/IPS बताएँ कि क्या पुलिस ये बर्बरता कर सकती है?”

बता दे कि शुक्रवार 10 मई को नुपुर शर्मा के बयान के विरोध में प्रदेश के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन का आयोजन हुआ। जिसमें लोगों ने जमकर पथराव किया, हंगामा किया। अब पुलिस इन लोगों पर कार्रवाई कर रही है लेकिन जिस तरफ थाने में पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उस पर कुछ भड़के हुए हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या कानून के तहत इन लोगों को सजा नहीं दिलाई जा सकती? वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस कार्रवाई पर ख़ुशी जाहिर कर रहे हैं।