जम्मू कश्मीर के पूर्व राजपाल सत्यपाल मलिक ने पिछले दिनों दिए अपने इंटरव्यू में केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाये। इसके कुछ दिन बाद सीबीआई की तरफ से पूछताछ के लिए सत्यपाल मलिक को बुला लिया गया। कई लोगों का कहना है कि सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने से ही सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया है। हालांकि खुद सत्यपाल मलिक ने भी इससे इंकार किया था लेकिन देश के गृह मंत्री अमित शाह से जब सत्यपाल मलिक के रवैये और सीबीआई की नोटिस को लेकर सवाल पूछा गया तो आगे पढ़िए इस पर क्या कहा।

सत्यपाल मलिक को लेकर क्या बोले गृहमंत्री अमित शाह?

आजतक के एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे अमित शाह से एंकर सुधीर चौधरी ने पूछा कि सत्यपाल मलिक आपकी सरकार की आलोचना कर रहे हैं, जैसे यही कोई आलोचना शुरू करता हो तो जांच एजेंसियां बुला लेती हैं? इस पर अमित शाह ने कहा कि ऐसा नहीं है, मेरी जानकारी के अनुसार उन्हें तीसरी बार बुलाया गया है। कोई सबूत या जानकारी होगी, इसके लिए बुलाया गया होगा। हमारे खिलाफ बोलने के लिए बुलाया है, ये बिलकुल सत्य नहीं है।

‘ऐसा कोई काम नहीं हुआ जिसे छिपाना पड़े’

इसके साथ अमित शाह ने कहा कि उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि हमसे अलग होने के बाद ही उन्हें ये सब बातें क्यों याद आती हैं। ये आत्मा उस वक्त क्यों नहीं जगती है जब सत्ता में बैठे होते हैं। अगर ये सब सही है तो राज्यपाल रहने के दौरान क्यों चुप थे? वैसे ये सब सार्वजनिक चर्चा के मुद्दे नहीं हैं। मैं देश की जनता से कहना चाहता हूं कि बीजेपी की सरकार ने ऐसे कुछ नहीं किया जिसे छुपाना पड़े।

अमित शाह के इस बयान पर एक यूजर ने लिखा कि यही सवाल गुलाम नबी आजाद से भी पूछा जाना चाहिए कि पार्टी में रहते हुए उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई? एक अन्य यूजर ने लिखा कि ये सार्वजनिक चर्चा के ही मुद्दे हैं माननीय गृहमंत्री जी और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग ये दर्शाता है कि आप लोग बैक फुट पर हैं। देश पुलवामा का सच जानना चाहता है।

@Shailes28682260 यूजर ने लिखा कि आपकी आत्मा तब भी तो नहीं जगती, जब 40% कमीशन लेने वाले मंत्री की शिकायत कोई पीएम से करता है और फिर कोई कार्रवाई नहीं होने पर वो शख्स खुदकुशी कर लेता है। आज उसी मंत्री से प्रधान मंत्री चुनाव में मदद मांगते हैं। @Kumarsn98 यूजर ने लिखा कि यही तो हम पूछ रहें है Mr. Satyapal Malik जी से कि जब राज्यपाल थे तो चुप क्यों थे? क्या यह संविधान का उल्लंघन नहीं है? क्या ऐसे व्यक्ति को तुरंत जेल नहीं होना चाहिए?