केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ऑटोमोबाइल कंनियों को अगले 6 महीने में फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाले वाहनों का निर्माण शुरू करने की सलाह दी है। आपको बाता दें फ्लेक्स फ्यूल इंजन में पेट्रोल की जगह फ्लेक्सबल ईंधन, गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि पेट्रोल के मुकाबले सस्ता और कम प्रदूषण करता है। आपको बता दें अभी सरकार ने पेट्रोल में कुछ प्रतिशत ही इथेनॉल मिलाने का विकल्प दिया है। जिससे पेट्रोल की कीमत को नियंत्रित किए जाने में काफी मदद मिलती है।
नितिन गडकरी ने कंपनियों से कही ये बात – केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विट करके कहा कि, आयातित ईंधन पर देश की निर्भरता को समाप्त करने के लिए और किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए, हमने अब भारत में ऑटोमोबाइल निर्माताओं को फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल्स (FFV) और फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FFV-SHEV) का निर्माण शुरू करने की सलाह दी है।
वहीं नितिन गडकरी ने आगे कहा कि, आत्मनिर्भर भारत योजना को साकार करने के लिए परिवहन के लिए ईंधन के रूप में इथेनॉल का इस्तेमाल करना सरकार की नीति के अनुरूप है। साथ ही उन्होंने बताया कि फ्लेक्स इंजन वाहन को 100 फीसदी पेट्रोल या 100 फीसदी जैव-इथेनॉल से चलाने में सक्षम होगा।
flex-fuel इंजन होगा फायदा – केंद्रीय मंत्री के अनुसार फ्लेक्स इंजन से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में भारी कमी आएगी। साथ ही भारत को 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक बिलियन टन कम करने में मदद मिलेगी। गडकरी का मानना है कि फ्लेक्स-फ्यूल इंजन के इस्तेमाल से भारत के ईंधन आयात बिल में काफी कमी आ सकती है और साथ ही किसानों की आय में भी सुधार हो सकता है।
क्या होता है फ्लेक्स इंजन – फ्लेक्स अंग्रेजी के Flexible शब्द से बना है। इस शब्द से ही स्पष्ट है। फ्लेक्स इंजन का मतलब ऐसा इंजन जो आसानी से किसी दूसरे ईंधन पर चल सकता हो। दुनिया में ब्राजील एक ऐसा देश हैं जहां सबसे ज्यादा फ्लेक्स इंजन आधारित गाड़ियां चल रही हैं। वहां 30 लाख से अधिक वाहन इस फ्यूल पर चल रहे हैं। भारत के संदर्भ में जिस फ्लेक्स इंजन की बात की जा रही है वह पेट्रोल और डीजल के साथ बायो ईंधन इथेनॉल और मेथेनॉल को मिलाकर चलाया जाएगा।