No AGR Relief for Vodafone Idea Bharti Airtel, Supreme Court dismissed Plea: वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और टाटा टेलिसर्विसेज को आज (19 मई 2025) देश की शीर्ष अदालत से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टेलिकॉम कंपनियों वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की Adjusted Gross Revenue (AGR) बकाया माफ करने की याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि याचिकाओं को गलत तरीके से तैयार किया गया है। पीठ ने वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा, ”हम इन याचिकाओं से वाकई हैरान हैं जो हमारे सामने आई हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी से इसकी उम्मीद नहीं की जाती। हम इसे खारिज करेंगे।”

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टेलीकॉम दिग्गजों ने अपने AGR बकाए से संबंधित ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज की छूट की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं। यह फैसला वोडाफोन आइडिया द्वारा अपना अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए AGR से संबंधित बकाया में 45,457 करोड़ रुपये की छूट की मांग के ठीक एक दिन बाद आया है। वित्तीय संकट से जूझते हुए, वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि वह सरकार के समर्थन के बिना FY26 से आगे काम नहीं कर सकती है।

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CNBC TV18 की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने कथित तौर पर कहा था कि अगर उसे सरकार से समर्थन नहीं मिला तो वह दिवालिया होने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में जाएगी। कंपनी पहले ही करीब 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।

कंपनी 12,797 करोड़ रुपये की मूल राशि का विरोध नहीं कर रही है, लेकिन उसने अपनी याचिका में कहा है कि कंपाउंड चार्जेज वित्तीय तौर पर उसे कमजोर कर रहे हैं।

स्पेक्ट्रम बकाया के लिए वोडाफोन आइडिया पर सरकार का 1.95 लाख करोड़ रुपये बकाया है। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो सरकार को उसके 1.18 लाख करोड़ रुपये के बकाये की कोई वसूली नहीं होगी। वार्षिक एजीआर भुगतान इसके मौजूदा operational cash generation 9,200 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना है।

न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों की मदद करने की सरकार की इच्छा के रास्ते में आने से इनकार किया। वोडाफोन ने अपने AGR बकाया के ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज के रूप में करीब 30,000 करोड़ रुपये की छूट मांगी है। रोहतगी ने पहले कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ता कंपनी का अस्तित्व जरूरी है। उन्होंने कहा कि हाल में ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने के बाद अब केंद्र के पास कंपनी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

कंपनी ने याचिका में कहा, ”मौजूदा रिट याचिका में फैसले की समीक्षा की मांग नहीं की गई है, बल्कि फैसले के तहत ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज के भुगतान से छूट मांगी गई है।” याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि केंद्र को निष्पक्ष और सार्वजनिक हित में काम करने तथा एजीआर बकाया पर ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज के भुगतान के लिए जोर न देने को कहा जाए।

एजेंसी इनपुट के साथ