केंद्र सरकार ने मार्च 2024 में साइबरक्राइम से लड़ने के लिए Sahyog पोर्टल को एक टूल के तौर पर लॉन्च किया था। इसके बाद लगभग दो सालों में गृह मंत्रालय (MHA) ने X Corp (ट्विटर) को 91 टेकडाउन नोटिस जारी किए। इन नोटिस में 1100 से ज्यादा URL को रेड-फ्लैग यानी चिन्हित किया गया था।
The Indian Express द्वारा रिव्यू किए गए रिकॉर्ड के अनुसार, इन URL में से आधे से ज्यादा (566) को “सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने (disturbing public order” के अपराध के तहत चिन्हित किया गया। इसके बाद 124 URL ऐसे थे जिन पर राजनीतिक और सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाने का आरोप था।
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20 मार्च 2024 से 7 नवंबर 2025 के बीच जारी इन नोटिसों के अनुसार, पिछले साल X को कुल 58 टेकडाउन नोटिस जारी किए गए। इन नोटिस को इसी महीने गृह मंत्रालय (MHA) ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया। इनमें से 24 नोटिस सार्वजनिक शांति भंग करने और वैमनस्य फैलाने से जुड़ी धाराओं के तहत थे। वहीं 2024 में जारी तीन अन्य नोटिसों में ऐसे कॉन्टेन्ट को चिन्हित किया गया जिसे राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता (national integrity and sovereignty) के लिए खतरा माना गया।
20 महीनों की अवधि में जारी किए गए 91 नोटिसों में से केवल 14 नोटिस ऐसे थे जिनमें आपराधिक गतिविधियों का आरोप लगाया गया। इनमें सट्टेबाजी ऐप्स का प्रचार, वित्तीय धोखाधड़ी की आशंका वाले फर्जी आधिकारिक हैंडल और बाल यौन शोषण से संबंधित सामग्री के प्रसार जैसे मामले शामिल थे।
पूरे मामले में सबसे ज्यादा URL (115) एक ही नोटिस में शामिल थे जो 13 मई 2024 को जारी किया गया था। यह नोटिस एक कथित रूप से छेड़छाड़ किए गए वीडियो से संबंधित था, जिस पर चल रही चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के इरादे से गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया गया था।
अप्रैल और मई 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान X को भेजे गए टेकडाउन नोटिसों में कुल 761 URL को रेड फ्लैग किया गया। इनमें से नौ नोटिस (जिनमें 198 URL शामिल थे) खासतौर पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People’s Act) के प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला दिया गया था।
गृह मंत्रालय (MHA) के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C) के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में मंत्रालय ने दावा किया है कि X कॉर्प नोटिसों में उठाए गए गैरकानूनी कॉन्टेन्ट और उसे आईटी एक्ट की धारा 79(3)(b) के तहत हटाने के अधिकार पर आपत्ति जता रहा है।
वहीं, सहयोग पोर्टल की वैधता को लेकर X Corp की चुनौती कर्नाटक हाईकोर्ट में अभी लंबित है। X कॉर्प का कहना है कि कॉन्टेन्ट हटाने या ब्लॉक करने के आदेश आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत ही जारी किए जाने चाहिए। यह धारा आमतौर पर ऑनलाइन सेंसरशिप से जुड़े निर्देशों के लिए इस्तेमाल की जाती रही है। लेकिन इसका दायरा राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े अपराधों तक सीमित है।
X कॉर्प ने यह भी तर्क दिया है कि आईटी एक्ट की धारा 79(3)(b) के तहत जारी किए गए टेकडाउन आदेश न्यायिक प्रक्रिया के बिना कॉन्टेन्ट हटाने या ब्लॉक करने का दायरा बढ़ा देते हैं। जबकि साथ ही सोशल मीडिया मध्यस्थों (social media intermediaries) को सेफ हार्बर (कानूनी संरक्षण) भी प्रदान करते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा इन 91 नोटिसों के विश्लेषण में यह सामने आया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के समय और एक साल बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इनमें साफतौर पर इजाफा देखा गया।
इसे समझने के लिए ये आंकड़े देखें:
नेताओं और सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाना
- – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े कथित रूप से छेड़छाड़ किए गए कंटेंट को हटाने के लिए 21 URL को चिन्हित करते हुए नौ नोटिस जारी किए गए। इनमें से दो नोटिस ऐसे थे जो डिजिटल रूप से बदली गई तस्वीरों से संबंधित थे जिनमें प्रधानमंत्री मोदी के साथ उद्योगपति गौतम अडानी भी शामिल थे।
- – कुल छह नोटिस में गृह मंत्रालय ने 91 ऐसे URL को हटाने का निर्देश दिया था। इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जुड़े कथित कॉन्टेन्ट से छेड़छाड़ की गई थी। इनमें से एक नोटिस जो 18 दिसंबर 2024 को जारी किया गया था और जिसमें 28 URL हटाने को कहा गया था। इसमें कांग्रेस नेता जयराम रमेश और पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा पोस्ट किए गए लिंक भी शामिल थे। उस पर भी X कॉर्प ने आपत्ति जताई। X कॉर्प ने कहा कि इन 28 में से 26 लिंक MHA द्वारा जालसाजी (forgery) से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करते।
- – दो अन्य नोटिसों में तीन URL हटाने का निर्देश दिया गया था। गृह मंत्रालय (MHA) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे और आईसीसी चेयरमैन जय शाह को निशाना बनाने वाले “फर्जी और AI-जेनरेटेड कॉन्टेन्ट” को चिन्हित किया।
- – तीन अन्य नोटिसों में से दो नोटिस में प्रधानमंत्री को निशाना बनाने वाले कथित फर्जी कंटेंट से जुड़े थे। और एक नोटिस राज्य मंत्री (गृह) बंदी संजय कुमार से संबंधित था। गृह मंत्रालय (MHA) ने मानहानि का हवाला देते हुए 14 URL हटाने का निर्देश दिया।
- – जुलाई 2024 में जारी किए गए दो नोटिसों के जरिए “वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री” को अपमानित/मानहानि करने वाले 12 URL हटाने के आदेश दिए गए। 9 जुलाई 2024 के एक नोटिस में GST/इनकम टैक्स सिस्टम को लेकर संभावित रूप से भ्रामक मानहानिकारक बयान और ऐसे अपमानजनक टिप्पणी/डीपफेक पोस्ट पर आपत्ति जताई गई। बताय गया कि इनका मकसद ना केवल वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री बल्कि भारत सरकार की छवि को भी धूमिल करना बताया गया।
- -नवंबर 2024 का एक नोटिस कनाडा में निज्जर की हत्या पर CBC की डॉक्यूमेंट्री से जुड़ा था। इसमें एक URL को चिन्हित किया गया जिस पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और MHA सहित सार्वजनिक हस्तियों की छवि को नुकसान पहुंचाने और “भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को कमजोर करने” का आरोप लगाया गया।
चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करना
-मई 2024 में जारी किए गए नौ नोटिसों में चुनाव से जुड़े 198 URL वापस लेने को कहा गया। 13 मई 2024 को रेड फ्लैग किए गए 115 यूआरएल विपक्षा पार्टियों से जुड़े थे।
-27 मई 2024 को जारी एक नोटिस में सात URL हटाने की मांग की गई थी। इनमें AAP के उत्तर प्रदेश हैंडल की एक पोस्ट भी शामिल थी। इस नोटिस पर X कॉर्प ने आपत्ति जताई।
-AAP द्वारा पोस्ट किए गए URL को लेकर X कॉर्प ने I4C से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। X ने कहा कि “यह पोस्ट नोटिस में बताए गए कानूनों का उल्लंघन नहीं करती।”
आपराधिक गतिविधि
-इस साल अप्रैल में जारी तीन नोटिसों में गृह मंत्रालय (MHA) ने सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले 37 URL हटाने को कहा। इनमें महादेव ऐप से जुड़े लिंक भी शामिल थे।
-17 दिसंबर 2024 को भेजे गए नोटिसों में केवल एक नोटिस ऐसा था जिसमें 16 अकाउंट्स द्वारा पोस्ट किए गए बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) से जुड़े कंटेंट को रेड फ्लैग किया गया।
-दस नोटिसों में 40 URL को फर्जी पहचान (impersonation) के जरिए संभावित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े होने के आधार पर चिन्हित किया गया। इनमें से एक नोटिस में एक URL को “प्रधानमंत्री को निशाना बनाने वाला दुर्भावनापूर्ण ट्विटर पोस्ट” बताया गया। इस पर भारत में कथित वित्तीय घोटालों को लेकर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाने, प्रधानमंत्री की छवि खराब करने और अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया।
-I4C ने फर्जी पहचान से जुड़े अन्य मामलों को भी चिन्हित किया। इनमें “PMOVaranasi” हैंडल वाला एक भ्रामक अकाउंट शामिल था जिसे “ऑथेंटिक सरकारी अकाउंट नहीं” बताया गया। इसके अलावा, एक अन्य अकाउंट का भी जिक्र किया गया जो कथित तौर पर अमेरिका स्थित प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ)’ से जुड़ा था और पूर्व RAW प्रमुख समंत गोयल की पहचान का दुरुपयोग करते हुए खालिस्तान समर्थक कॉन्टेनट और भारत-विरोधी प्रचार फैला रहा था।
ऑपरेशन सिंदूर
-पूरे पांच नोटिसों में 56 URLs को हटाने या डीएक्टिवेट करने का कारण यह बताया गया कि यह सामग्री भारत की “अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा” के लिए खतरा पैदा करती है।
-पहलगाम हमले के कुछ दिनों बाद इस साल 28 अप्रैल को MHA ने सेक्शन 13 (UAPA — अवैध गतिविधियां) का उल्लंघन करने के खिलाफ चेतावनी दी। यह Sahyog से X Corp को भेजे गए I4C नोटिसों में पहली बार था जबकि एक URL को “भारतीय राष्ट्र के खिलाफ धमकीपूर्ण संदेश फैलाने वाला” बताया गया। जो अशांति भड़का सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।
-मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद MHA ने X को दो नोटिस भेजे। इनमें तीन URLs को हटाने के लिए कहा गया क्योंकि यह सामग्री कथित तौर पर “भारतीय सेना की आलोचना” कर रही थी। इनमें से एक नोटिस में UAPA और साइबर आतंकवाद (IT Act की सेक्शन 66F) का उल्लंघन भी बताया गया। जिसमें कहा गया कि “भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बारे में गलत जानकारी फैलाकर भारतीय जनता को भटकाने का इरादा” था।
-अप्रैल और मई 2025 में I4C ने X को कुल 14 नोटिस भेजे। इनमें 78 लिंक हटाने के लिए कहा गया।
