नृपेंद्र अभिषेक नृप

‘क्वांटम कंप्यूटिंग’ के विकास के लिए भारत में आधारभूत ढांचे और वैज्ञानिकों का अभाव है, जो इस क्षेत्र में एक बड़ी बाधा है। हमारे देश में अब भी ‘क्वांटम कंप्यूटिंग’ के क्षेत्र में निजी संस्थाएं कम रुचि ले रही हैं, इसीलिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। भारत सरकार के पास अब तक कोई ठोस रणनीति नहीं है, जो क्वांटम कंप्यूटर के विकास में बहुत बड़ा रोड़ा बना हुआ है।

तकनीक और विज्ञान आज हर मानव की जरूरत बन गया है। इसके बिना हर मनुष्य खुद को अधूरा महसूस करता है। क्वांटम कंप्यूटिंग एक तेजी से उभरती हुई तकनीक है, जो जटिल समस्याओं को हल करने के लिए क्वांटम यांत्रिकी के नियमों का उपयोग करती है। फिलहाल दुनिया में गिने-चुने क्वांटम कंप्यूटर ही विकसित किए जा सके हैं।

दुनिया का पहला, बहुत छोटा, क्वांटम कंप्यूटर 1997 में बनाया गया था। सन 2007 में कनाडा की डी-वेव नामक कंपनी ने 28-क्यूबिट का ताकतवर क्वांटम कंप्यूटर पेश किया था। आज रिगेटी के क्वांटम कंप्यूटर को सबसे ताकतवर माना जाता है, जिसकी क्षमता 128 क्यूबिट की है।

छोटी-मोटी प्रणालियों को छोड़ दें तो आज भी दुनिया में अच्छी क्षमता वाले क्वांटम कंप्यूटरों की संख्या दो दर्जन से कम ही होगी। क्वांटम कंप्यूटिंग का खयाल वैज्ञानिकों के दिमाग में उस वक्त आया, जब उन्होंने समझा कि परमाणु प्राकृतिक रूप से सूक्ष्म कैल्कुलेटर हैं। इस बारे में एमआइटी के नील गेर्शेनफेल्ड का कहना है कि ‘प्रकृति को गणना करना मालूम है।’

गेर्शेनफेल्ड ने आइबीएम के आइजक चुआंग के साथ मिलकर अभी तक के सबसे सफल क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण किया है। भौतिकी के नियमानुसार जब कोई भी परमाणु प्राकृतिक रूप से घूमता है तो या तो ऊपर की तरफ जाता है या नीचे की तरफ, उसी तरह कंप्यूटर में भी देखने को मिलता है। क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स के माध्यम से गणना, डेटा संग्रहण और उसका विश्लेषण आदि करते हैं।

परमाणु के घूमने की प्रक्रिया एक ही समय में ऊपर या नीचे दोनों तरफ हो सकती है। इस तरह यह एक पारंपरिक कंप्यूटर के बीच के बराबर से कहीं ज्यादा बेहतर हो सकता है, इसीलिए इसे क्यूबिट कहा जाता है, जिसे क्वांटम कंप्यूटर का नाम दिया जाता है। क्यूबिट, क्वांटम भौतिकी के दो प्रमुख सिद्धांतों पर कार्य करते हैं। पहली, सुपरपोजिशन, जिसमें प्रत्येक क्यूबिट एक ही समय में एक और शून्य दोनों को दर्शा सकता है और दूसरी, एनटैंगलमेंट, जिसमें सुपरपोजिशन की अवस्था में क्यूबिट्स एक-दूसरे के साथ सहसंबद्ध हो सकते हैं।

यानी एक स्थिति चाहे वह एक हो या शून्य, वह दूसरे की स्थिति पर निर्भर कर सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि क्यूबिट आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। अगर एक पर काम किया जाता है तो दूसरा इससे प्रभावित होता है। यहां तक कि यह प्रभाव तब भी होता है जब वे काफी अधिक दूरी पर होते हैं। एक क्वांटम कंप्यूटर की कंप्यूटिंग शक्ति में क्यूबिट्स बढ़ने के साथ-साथ चरघातांकी वृद्धि होती है।

पारंपरिक कंप्यूटर के उलट क्वांटम कंप्यूटर सिर्फ दो अवस्थाओं तक सीमित नहीं हैं। सामान्य कंप्यूटर में जहां ट्रांजिस्टरों का इस्तेमाल होता है, वहीं क्वांटम कंप्यूटर में परमाणुओं, इलेक्ट्रान, आयन, फोटान आदि का प्रयोग होता है, जिन्हें एक-दूसरे पर सुपरइंपोज किया जा सकता है। यानी क्वांटम कंप्यूटर के काम करने का तरीका पारंपरिक कंप्यूटर से एकदम अलग है और उसकी क्षमता दस लाख गुना ज्यादा है।

मसलन, आरएसए नामक एक एनक्रिप्शन प्रणाली के जरिए एनक्रिप्ट की गई सूचनाओं को डिकोड करना इतना मुश्किल होता है कि अगर सामान्य कंप्यूटर की मदद से इस एनक्रिप्शन को तोड़ने की कोशिश की जाए तो एक सेकेंड में दस खरब गणनाएं करने लायक बेहद शक्तिशाली कंप्यूटर को भी इस काम में तीन हजार खरब साल लगेंगे। दूसरी तरफ, दस लाख गणनाएं प्रति सेकेंड करने में सक्षम, साधारण क्षमता का क्वांटम कंप्यूटर यही काम सिर्फ दस सेकेंड में कर सकता है।

क्वांटम कंप्यूटर आज के सुपर कंप्यूटर से हजारों गुना तेज गणनाएं कर सकता है। इसके प्रयोग से अनेक जटिल कार्यों को बहुत सरलता से पूरा किया जा सकता है। वर्तमान समय में यह कंप्यूटर पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है और भविष्य में इनका उपयोग व्यापक रूप से होने की संभावना है, जो कि हमारे जीवन को बदल देगा।

इसकी भूमिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम मेधा के विकास में भी हम देख सकते हैं। इनका इस्तेमाल इंटरनेट पर हो रहे साइबर हमलों से बचने के लिए भी किया जाएगा। इसकी सहायता से भविष्य में यातायात अनुकूलन प्रणालियों का प्रयोग किया जाएगा, जिससे यातायात को सहायता मिलेगी। दवा उद्योगों में इनके प्रयोग से कठिन रासायनिक गणनाओं को किया जाएगा, जिससे दवा उद्योगों का विकास होगा।

क्यूबिट एक ऐसा यंत्र है, जिसे संभाले रखना बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसका जीवनकाल अल्पकालिक ही होता है। इसमें दी गई सूचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए जिन एनक्रिप्शन उपकरणों का इस्तेमाल होता है, उनमें ‘आरएसए’ भी शामिल है, जो सबसे मजबूत कवच माना जाता है, लेकिन क्वांटम कंप्यूटर इसे भी भेद सकता है, यानी यह बड़ी चुनौती को जन्म देगा।

आज दुनिया में युद्ध तकनीकी से हो रहा है और इस परिस्थिति में सुरक्षित रहना मुश्किल है। क्वांंटम तकनीक किसी भी देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। इससे दूसरे देशों की गोपनीय सूचनाओं में सेंध लगने का खतरा भी बढ़ सकता है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनएसए एक ऐसा क्वांटम कंप्यूटर बनाना चाहती है, जो दुनियाभर के कंप्यूटरों में रखे बैंकिंग, चिकित्सा, व्यापारिक और अन्य सरकारी रिकार्डों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हर तरह के एनक्रिप्शन को भेद सके। इससे दुनिया के सभी देशों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।

वैश्विक भूख सूचकांक में लगातार पिछड़ने वाले देश भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में ‘रिसर्च और डेवलपमेंट’ के लिए सरकार के पास निवेश की कमी महसूस होती है। साथ ही क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास के लिए भारत में आधारभूत ढांचे और वैज्ञानिकों का अभाव है, जो इस क्षेत्र में एक बड़ी बाधा है। हमारे देश में अब भी क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में निजी संस्थाएं कम रुचि ले रही हैं। इसीलिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। भारत सरकार के पास अब तक कोई ठोस रणनीति नहीं है, जो क्वांटम कंप्यूटर के विकास में बहुत बड़ा रोड़ा बना हुआ है।

केंद्र सरकार ने 2021 के बजट में क्वांटम कंप्यूटिंग, क्रिप्टोग्राफी, संचार और सामग्री विज्ञान में विकास को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों पर आठ हजार करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इसके साथ ही सरकार ने दिसंबर 2021 में भारतीय सेना द्वारा मध्यप्रदेश के महू में एक सैन्य इंजीनियरिंग संस्थान में क्वांटम कंप्यूटिंग प्रयोगशाला और एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र स्थापित किया गया।

इसके विकास के लिए कुछ संस्थाओं की भी मदद ली गई है। सेंटर फार डेवलपमेंट आफ टेलीमैटिक्स (सीडीओटी) ने अक्तूबर 2021 में एक क्वांटम कम्युनिकेशन लैब शुरू किया। इसमें सहयोगी के रूप में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने वालों में उन्नत प्रौद्योगिकी के रक्षा संस्थान (डीआइएटी) और ‘सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग’ (सीडीएसी) क्वांटम कंप्यूटरों को सहयोग और विकसित करने के लिए सहमति दी है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा आइआइएसईआर पुणे के लगभग तेरह अनुसंधान समूहों द्वारा क्वांटम तकनीक के विकास को और बढ़ाने के लिए ‘आइ-हब क्वांटम टेक्नोलाजी फाउंडेशन’ शुरू किया गया है। इसके विकास के लिए कई नए उद्यम भी साथ दे रहे हैं। यह तकनीक एक ऐसी चीज है जिसे एक दिन सभी के लिए उपयोगी माना जा सकता है, लेकिन अभी कंप्यूटर विशिष्ट कार्यों के लिए ही डिजाइन किए जा रहे हैं।

आज जिसके पास डेटा है, वही शक्तिशाली है। क्वांटम कंप्यूटर डेटा प्रोसेस करने की रफ्तार बढ़ा सकता है। कम जगह में ज्यादा डेटा जमा कर सकता है और डेटा प्रोसेस और गणना तकनीकी को अधिक दक्ष बना देगा। इससे ऊर्जा की खपत भी कम होगी।