आयकरदाताओं की हमेशा कोशिश होती है कि वे कर बचाएं। जब भी आइटीआर दाखिल करने की तारीख करीब आती है तो बहुत से लोग कर बचत निवेश विकल्प और आयकर कैसे बचाएं, इसकी खोज करते हैं। कोई भी ऐसे आयकर बचत विकल्पों को छोड़ना नहीं चाहेगा जो उनके पैसे को बचा सकते हैं। 1961 के आयकर अधिनियम के तहत कर बचाने के कई वैध तरीके हैं, जिनमें कुछ कर बचत म्यूचुअल फंड, एनपीएस, चिकित्सा बीमा, गृह ऋण इत्यादि हैं।
1-सामान्य भविष्य निधि
पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक दीर्घकालिक सरकारी बचत योजना है। इसकी अवधि 15 वर्ष है। इसकी दरें हर तिमाही बदलती रहती हैं। पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज कर मुक्त है। कोई भी व्यक्ति कम से कम राशि से पीपीएफ खाता खोल सकता है।
2-राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र
राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र 7.7% प्रति वर्ष की दर से निश्चित ब्याज दर प्रदान करता है और इसकी अवधि पांच वर्ष है। धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक की छूट ली जा सकती है।
3-शेयर बाजार से जुड़ी बचत योजना
यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है। इसमें तीन साल की अवधि पूरी होने से पहले पैसा नहीं निकाला जा सकता है। यह देश में म्यूचुअल फंड की एकमात्र श्रेणी है जो आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर कटौती के लिए योग्य है। ईएलएसएस द्वारा प्रदान किया गया रिटर्न लंबे समय में अन्य कर-बचत योजनाओं की तुलना में अधिक हैै।
4-कर बचत सावधि जमा
कर बचत सावधि जमा भी कर बचाने के सर्वोत्तम उपायों में से एक है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति पांच वर्षीय कर बचत सावधि जमा के तहत 1.5 लाख रुपए तक की कर कटौती का लाभ उठा सकता है।
5-वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
एससीएसएस सरकार समर्थित दीर्घकालिक आयकर बचत विकल्प है। इसकी मियाद पांच वर्ष है। इसके तहत 1.5 लाख रुपए तक की कर छूट मिल सकती है।
6-सुकन्या समृद्धि योजना
ऐसे सभी माता-पिता जिनकी बेटी 10 वर्ष से कम है, एसएसवाई योजना से लाभान्वित हो सकते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति धारा 80सी के तहत रुपए तक की कर कटौती के लिए पात्र है।
7-अन्य योजनाएं
कर्मचारी भविष्य निधि, गृह ऋण चुकौती, ट्यूशन शुल्क अन्य योजनाएं हैं। ट्यूशन शुल्क केवल माता-पिता या अभिभावकों के लिए उपलब्ध है, जिनके प्रति व्यक्ति अधिकतम दो बच्चे हैं। आपके बच्चे की शिक्षा के लिए भुगतान की गई ट्यूशन फीस पर 1.5 लाख रुपए का दावा किया जा सकता है। साथ ही, यह कटौती जिस पाठ्यक्रम में बच्चा नामांकित है, वह भारतीय स्कूल, कालेज या विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक होना चाहिए। इस योजना के लाभों का दावा और लाभ वे माता-पिता उठा सकते हैं, जिन्होंने बच्चों को गोद लिया है, अविवाहित हैं, या तलाकशुदा माता-पिता हैं।