मानस मनोहर
मलाई कोफ्ता
कोफ्ता बनाने के लिए जितनी मात्रा में पनीर लें, लगभग उतनी ही मात्रा उबले आलू की भी रखें। पनीर और आलू को कद्दूकस कर लें। दोनों को अच्छी तरह मसल कर मिलाएं। जैसे रसगुल्ले बनाने के लिए पनीर को हथेलियों से खूब रगड़ कर चिकना कर लेते हैं, कुछ उसी तरह। फिर इसमें बारीक कटी एक हरी मिर्च और आधा चम्मच बारीक कटा अदरक और जरूरत भर का नमक डाल कर अच्छी तरह मिला लें।
अगर आप पहली बार इसे बना रहे हैं और भय है कि सेंकते वक्त कोफ्ते बिखर न जाएं, तो एक चम्मच मैदा डाल कर अच्छी तरह गूंथ लें। अब कोफ्ते के टूटने का डर नहीं रहेगा। वैसे मैदा डालने से कोफ्ते की कोमलता कुछ कम हो जाती है, इसलिए कोशिश करें कि मैदा न डालना पड़े।
कड़ाही में तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए तो आंच मध्यम कर दें। कोफ्ते के मिश्रण से नीबू के आकार के बराबर या उससे थोड़े बड़े आकार के कोफ्ते बना लें और तेल में डालते जाएं। थोड़ी देर बाद कोफ्तों को चलाते हुए चारों तरफ से एक रंग होने तक तल लें।
अब इसकी ग्रेवी यानी तरी की तैयारी कर लें। इसकी तरी गाढ़ी और मुलायम बनाई जाती है। इसलिए इसमें काजू और दूध से उतारी हुई मलाई डालना जरूरी होता है। घर की मलाई न हो, तो बाजार की डिब्बे वाली मलाई भी ले सकते हैं। तरी बनाने के लिए प्याज और टमाटर को बड़े टुकड़ों में काट लें। चाहें तो एक इंच बराबर अदरक को भी काट सकते हैं।
हालांकि मलाई कोफ्ते की तरी तीखी और ज्यादा मसालेदार नहीं बनती, पर आप चाहें तो अपने ढंग से इसे तीखा बना सकते हैं।
अब कड़ाही में दो चम्मच तेल गरम करें। उसमें साबुत धनिया, दो तेजपत्ता, आधा छोटा चम्मच जीरा डाल कर तड़का तैयार करें। ज्यादा खड़े मसाले न डालें, नहीं तो तरी का स्वाद गड़बड़ हो सकता है। अब इसमें कटे हुए प्याज और टमाटर, अदरक डाल दें।
इसके साथ ही काजू के आठ-दस दाने डाल दें। ऊपर से चौथाई चम्मच नमक डाल कर ढक्कन लगा दें। मध्यम आंच पर दस मिनट पकने दें। प्याज पारदर्शी हो जाए और टमाटर पानी छोड़ दे तो आंच बंद कर दें। इसे ठंडा होने दें। फिर मिक्सर में डाल कर अच्छी तरह पीसें और मोटी छन्नी से छान कर इसे अलग रख लें।
कड़ाही में एक चम्मच घी गरम करें। फिर डेढ़ से दो चम्मच के बराबर या करीब पचास ग्राम मक्खन डाल कर पिघला लें। इसकी मात्रा बढ़ा भी सकते हैं। मक्खन अच्छी तरह पिघल जाए तो उसमें टमाटर-प्याज की पिसी हुई ग्रेवी डालें और एक बार चला लें।
अब चुटकी बराबर हल्दी पाउडर, एक छोटा चम्मच कश्मीरी मिर्च का पाउडर, एक चम्मच धनिया पाउडर और आधा चम्मच गरम मसाला डाल कर अच्छी तरह चलाते हुए पकाएं।
जब ग्रेवी तेल छोड़ने लगे, तो उसमें एक कटोरी मलाई को मिक्सर में फेंट कर डालें और चलाते हुए तब तक पकाएं, जब तक कि ग्रेवी गाढ़ी होकर तेल न छोड़ने लगे। अब एक से डेढ़ कोटोरी गरम पानी डालें और अच्छी तरह मिला कर उसमें जरूरत भर का नमक डालें और कड़ाही पर ढक्कन लगा दें। जब ग्रेवी में उबाल आ जाए, तो आंच बंद कर दें और फिर इसे सावधानी से कोफ्तों के ऊपर डालें। ऊपर से थोड़ी मलाई और डाल कर सजाएं और गरमागरम परोसें।
कांजी वड़े
इसे होली से चार-पांच दिन पहले बनाने की तैयारी करनी पड़ती है। इसे बनाने के लिए एक लीटर पानी की मात्रा के हिसाब से सामग्री की बात करेंगे। एक लीटर पानी को पहले उबाल कर ठंडा कर लें। उसमें एक छोटा चम्मच सफेद नमक और एक चम्मच काला नमक डालें।
चार बूंद सरसों का तेल भी उसमें टपका दें। एक छोटा चम्मच पीली सरसों को खरल में कूट लें। ऐसे कूटें कि चूर्ण न बने, बल्कि राई केवल फट भर जाए। यह राई भी उसी में डालें। आधा चाय चम्मच या दो बड़ी चुटकी के बरार हींग डालें। साथ ही कुटी हुई लाल मिर्च आधा छोटी चम्मच डालें और सारी चीजों को मिला कर एक बर्नी या कांच के जार में भर दें।
जार के मुंह पर कपड़े से बांध दें और इसे रोशनी वाली जगह पर रख दें। अगर इसे रोज दो घंटे के लिए धूप में रख सकें तो और अच्छा। रोज इसे सूखे चम्मच से एक बार हिलाएं और फिर कपड़े से ढंक कर छोड़ दें। ऐसा चार दिनों तक करें। कांजी में सारे मसालों का सत्व घुल जाएगा और स्वादिष्ट कांजी बन कर तैयार हो जाएगी। इसमें डालने के लिए वड़े मूंग दाल के बनाएं, तो सुपाच्य और स्वादिष्ट होते हैं।
कई लोग उड़द के वड़े बनाते हैं, मगर वह सुपाच्य नहीं होता। वड़े आप उसी दिन बना लें जिस दिन कांजी परोसनी हो या उससे एक दिन पहले। इसके लिए मूंग दाल को रात भर भिगो कर उसका सारा पानी निकाल लें और फिर दरदरा पीस कर अच्छी तरह मल कर मिश्रण तैयार करें। उसमें हींग, जीरा और नमक डाल कर मिलाएं और छोटे-छोटे वड़े तल कर तैयार कर लें।
इन वड़ों को कड़ाही से निकालने के बाद थोड़ी देर गुनगुने पानी में रखें, फिर निचोड़ कर कांजी में डालें और गिलासों में भर कर परोसें। हमने एक लीटर की मात्रा में कांजी बनाई थी, इसकी मात्रा आप अपनी जरूरत के मुताबिक बढ़ा लें।