Prasanta Chandra Mahalanobis, प्रशांत चंद्र महालनोबिस: पीसी महालनोबिस यानी प्रशांत चंद्र महालनोबिस। कलकत्ता में जन्मे महालनोबिस प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद थे। राष्ट्रीय आय के अनुमान के लिए पीसी महालनोबिस की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय आय समिति’ का गठन किया गया। उन्होंने द्वितीय पंचवर्षीय योजना का मसौदा तैयार किया था। उनके जन्मदिन को ‘सांख्यिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
प्रारंभिक जीवन
प्रशांत चंद्र महालनोबिस का बचपन विद्वानों और सुधारकों के बीच गुजरा। वे बचपन से ही प्रतिभावान थे। उनके पिता प्रबोध चंद्र महालनोबिस ब्रह्म समाज के सदस्य थे। उनकी माता निरोदबसिनी एक शिक्षित परिवार से थीं। महालनोबिस की पढ़ाई को लेकर परिवार में चिंता रहती थी। उनकी शुरुआती शिक्षा उनके दादा द्वारा बनवाए ‘ब्रह्म बॉयज स्कूल’ में हुई। वहां से मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 1912 में प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी में ऑनर्स किया और उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए। महालनोबिस का पसंदीदा विषय गणित था, इसलिए लंदन जाकर उन्होंने कैंब्रिज में दाखिला लिया और भौतिकी और गणित दोनों विषयों में डिग्री ली। उसके बाद महालनोबिस कुछ समय के लिए कोलकाता लौट आए, जहां उनकी मुलाकात प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रधानाचार्य से हुई, जिन्होंने उन्हें वहां भौतिकी पढ़ने का आमंत्रण दिया।
पत्रिका से मिला सांख्यिकी का ज्ञान
पीसी महालनोबिस जब इंग्लैंड लौटे, तो उन्होंने वहां ‘बायोमेट्रिका’ नामक पत्रिका खरीदी। वह एक सांख्यिकी जर्नल था। उस जर्नल से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसका पूरा सेट खरीद लिया। ‘बायोमेट्रिका’ पत्रिका से प्रेरित और बैजेंंद्रनाथ सिल से मार्गदर्शन मिलने पर उन्होंने सांख्यिकी में काम शुरू कर दिया। ‘बायोमेट्रिका’ पढ़ने के बाद उन्हें मानवशास्त्र और मौसमविज्ञान जैसे विषयों में सांख्यिकी की उपयोगिता का ज्ञान हुआ और उन्होंने भारत लौटते ही इस पर काम करना शुरू कर दिया। महालनोबिस ने सबसे बड़ा योगदान ‘सैंपल सर्वे’ की संकल्पना में दिया। उसी सैंपल सर्वे के आधार पर आज की नीतियां और योजनाएं बनाई जा रही हैं।
‘महालनोबिस दूरी’ सांख्यिकी माप
1920 में उनकी मुलाकात नेल्सन एन्ननडेल से हुई। नेल्सन एन्ननडेल की वजह से महालनोबिस में मानवमिति की समस्या के अध्ययन में रुचि जागी। एन्ननडेल ने उन्हें कोलकाता में एंग्लो-इंडियन के मानवमिति मापों का अध्ययन करने को कहा और इन मापों पर अध्ययन करने पर उन्होंने 1922 में सांख्यिकी से संबंधित अपना पहला शोधपत्र तैयार किया। यही वह अध्ययन था, जिसके दौरान उन्होंने बहुचर दूरी माप का प्रयोग कर जनसंख्या के समूहीकरण और तुलना के एक तरीके का पता लगाया, जिसे ‘महालनोबिस दूरी’ सांख्यिकी माप कहा गया।
भारतीय सांख्यिकी संस्थान
प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने सांख्यिकी में दिलचस्पी रखने वाले कुछ मित्रों की सहायता से भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की। इस संस्थान ने सांख्यिकी के क्षेत्र में इतना सराहनीय काम किया कि 1959 में इसे ‘राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान’ घोषित कर ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा दे दिया गया।
सम्मान और पुरस्कार
महालनोबिस को 1944 में ‘वेलडन मेडल’ पुरस्कार दिया गया। 1945 में लंदन की रॉयल सोसायटी ने उन्हें अपना फेलो नियुक्त किया। उन्हें ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’ का अध्यक्ष भी चुना गया। अमेरिका के ‘इकोनोमेट्रिक सोसायटी’ का फेलो नियुक्त किया गया। उन्हें 1952 में पाकिस्तान सांख्यिकी संस्थान का फेलो बनाया गया। 1954 में रॉयल स्टैटिस्टिकल सोसायटी का मानद फेलो नियुक्त किया गया। 1957 में उन्हें देवी प्रसाद सर्वाधिकार स्वर्ण पदक दिया गया। 1957 में ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान का मानद अध्यक्ष बनाया गया। भारत सरकार ने 1968 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
निधन : 28 जून, 1972 को उनका निधन हो गया।

