जब भी मौसम में उतार-चढ़ाव आता है, सबसे अधिक संक्रमण आंख, नाक, गले में देखा जाता है। सर्दी का मौसम खत्म हो रहा है। अचानक गर्मी बढ़ने लगी है। ऐसे में बहुत सारे लोगों को खांसी, जुकाम और गले की खिचखिच का सामना करना पड़ रहा है। गले की खिचखिच यानी गले में खुजली एक ऐसी स्थिति है जिसमें हर समय गले में जलन और बात करने और कुछ भी निगलने में मुश्किल होती है। ऐसे मौसम में ठंडा पानी या कोई पेय पीने से भी यह समस्या हो जाती है। मगर कुछ लोगों को यह समस्या हमेशा बनी रहती है। वे हर समय खंखार कर अपना गला साफ करते हुए या थोड़ी-थोड़ी देर में हल्के से खांसते हुए दिख जाते हैं। अगर ऐसी समस्या है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जानने का प्रयास करना चाहिए कि किन वजहों से यह समस्या हो रही है।

गले में खुजली या खिचखिच होने के कई कारण होते हैं, मगर एलर्जी और संक्रमण इसके सामान्य कारण हैं। इसके अलावा धूम्रपान भी इसका प्रमुख कारण है, मगर कुछ बीमारियां भी हैं जो गले में खिचखिच का कारण बन सकती हैं। उनमें से कुछ बीमारियां निम्नलिखित हो सकती हैं-

खट्टी डकार

खट्टी डकार यानी गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग में बार-बार बाइल एसिड मुंह में आ जाती है। यानी खट्टी डकार महसूस होती है। यह पेट के एसिड से जलन के कारण दर्द, दुर्गंध और कुछ मामलों में गले में खुजली जैसे लक्षण पैदा करता है। यह तब होता है जब भोजन नली के नीचे की मांसपेशियां, जो एसिड को रोकती हैं, ठीक से काम नहीं कर रही होती हैं। ऐसे में एसोफैगस में जलन से बचने और पेट के एसिड को बेअसर करने के लिए कोई भी एंटासिड ले सकते हैं। मगर ध्यान रखें कि यह तात्कालिक उपचार है। इसके स्थायी इलाज के लिए डाक्टर की सलाह से जांच करा कर नियमित दवाओं का सेवन करना चाहिए। इसका आयुर्वेद में कारगर इलाज है।

सर्दी-जुकाम

सर्दी-जुकाम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रह-रह कर गले में खिचखिच होती रहती है। सर्दी होने पर गले में सूजन आ जाती है और इससे गले में खुजली और जलन महसूस होती है। बार-बार लगता है कि गले में कुछ अटका हुआ है और दर्द हो रहा है। इसे साफ करने के लिए लोग बार-बार खंखार और खांस कर गला साफ करते हैं। कई बार यह तकलीफ अधिक होने से गले में दर्द बना रहता है और कुछ भी खाने-पीने में मुश्किल आती है।

घेंटू संक्रमण

गले के पीछे के हिस्से में दो अंडाकार जैसी चीज होती है, जिसे चिकित्सीय भाषा में टान्सिल और देसी भाषा में घेंटू कहते हैं। गले में संक्रमण होता है तो अक्सर इस घेंटू में सूजन हो सकती है। इसे टान्सिलिटिस कहते हैं। यह आमतौर पर वायरल संक्रमण के कारण होता है, मगर यह बैक्टीरिया के संक्रमण से भी हो सकता है। इसमें कुछ भी खाने-पीने, निगलने में कठिनाई आती है। गला हमेशा दुखता रहता है। नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे करने से इस तकलीफ में आराम मिलता है। ऐसी स्थिति में अगर गले में खिचखिच महसूस होती है, तो ज्यादा चिंता की बात नहीं, क्योंकि कुछ दिनों में यह ठीक हो जाता है।

भोजन का दुष्प्रभाव

कई बार कुछ लोगों को खानेपीने की कुछ चीजें मुफीद नहीं बैठतीं, जिसका दुष्प्रभाव शरीर पर दिखाई देने लगता है। भोजन से एलर्जी एक ऐसी समस्या है, जिसमें कई बार गले में खिचखिच महसूस हो सकती है। दरअसल, भोजन में पाए जाने वाले कुछ विशिष्ट पदार्थ अचानक प्रतिक्रिया का कारण बन जाता और गले में खिचखिच पैदा कर सकता है। इससे गले में सूजन भी हो सकती है और यह सूजन शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकती है, जैसे मुंह, पलकें और जीभ, जिससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है। इसकी पहचान आप खुद भी कर सकते हैं और अगर परेशानी अधिक है, तो डाक्टर की मदद अवश्य लेनी चाहिए।

नाक में सूजन

कई बार संक्रमण की वजह से नाक में भी सूजन हो जाती है, जिसे चिकित्सीय भाषा में एलर्जिक राइनाइटिस कहते हैं। यह एलर्जी की प्रतिक्रिया से शुरू होती है। यह छींकने, नाक बहने, सूखी खांसी और गले में खुजली जैसे लक्षण भी पैदा कर सकता है। यह स्थिति आमतौर पर धूल, जानवरों के बाल, पराग कण या कुछ पौधों जैसे एलर्जी वाले पदार्थों के संपर्क में आने के बाद उभरती है। यह समस्या वसंत और पतझड़ के मौसम में सबसे अधिक पैदा होती है। एलर्जिक राइनाइटिस वाला व्यक्ति लगातार गले में खिचखिच महसूस करता है।

बचाव

गले में खिचखिच से बचाव का उत्तम उपाय है कि इस मौसम में कोई भी ठंडा पेय और ठंडा पानी न पीएं। गुनगुने पानी का ही सेवन करें। अदरक, दालचीनी, काली मिर्च और लौंग का काढ़ा इसमें कारगर औषधि साबित होता है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)