पठानकोट से लेकर उरी, पुलवामा और हालिया पहलगाम तक, भारत पर हुए इन बड़े आतंकी हमलों ने पूरे देश को झकझोर दिया। हर हमले के बाद भारत ने न सिर्फ जांच को तेज किया, बल्कि सीमापार जाकर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया। तबाही से जवाबी कार्रवाई तक, सबकुछ विस्तार से पढ़ें।
पठानकोट एअरबेस हमला (2 जनवरी 2016)
पंजाब के पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर जैश-ए-मोहम्मद के छह आतंकवादियों ने हमला किया था। हमलावर भारतीय सेना की वर्दी में थे और उन्होंने उच्च-सुरक्षा परिसर में घुसपैठ की। 80 घंटे तक चली मुठभेड़ में पांच आतंकवादी मारे गए और सात भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। एक अन्य सुरक्षाकर्मी की मृत्यु बाद में घावों के कारण हुई।
आतंकी दिसंबर 2015 में पाकिस्तान से भारत की सीमा में घुसे थे। इसके बाद दो जनवरी, 2016 की सुबह साढ़े तीन बजे आतंकी असलहा और हथियारों से लैस होकर एअरबेस स्टेशन में दाखिल हुए थे। इस हमले में एअरबेस के अंदर सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे, जबकि करीब 37 अन्य लोग घायल हो गए थे। हमला करने आए सभी आतंकी मारे गए थे।
राष्ट्रीय जांच एजंसी ने जांच शुरू की और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रऊफ और दो अन्य को आरोपी बनाया। एनआइए ने अमेरिका की एफबीआइ सहित विदेशी जांच एजंसियों से साइबर फुटप्रिंट खोजने में मदद मांगी। पाकिस्तान ने भारत द्वारा प्रदान की गई सूचना के आधार पर बहावलपुर से कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया, लेकिन मसूद अजहर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
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खुफिया विफलताओं और सुरक्षा खामियों की जांच हुई, जिसमें बाड़ के पास रोशनी की कमी और घास की अनदेखी जैसे मुद्दे सामने आए। हमले का षड्यंत्रकारी शाहिद लतीफ की 11 अक्तूबर 2023 की पाकिस्तान के सियालकोट में बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तान की एजंसी आइएसआइ भी पहली बार 30 मार्च 2016 को भारत आई थी। इस दल में पाक खुफिया और पुलिस के पांच अधिकारी थे।
उरी हमला (18 सितंबर 2016)
जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने हमला किया। 19 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और कई घायल हुए। यह पुलवामा हमले से पहले दो दशकों में कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों पर सबसे घातक हमला था। एनआइए ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से जांच अपने हाथ में ली और हमले की प्रारंभिक जांच में सुरक्षा खामियां सामने आईं. जैसे कि शिविर के आसपास की घास की अनदेखी और गार्ड चौकियों के बीच समन्वय की कमी। दो पाकिस्तानी नागरिकों को उरी सेक्टर में गिरफ्तार किया गया, जिन्हें जैश-ए-मोहम्मद ने भर्ती किया था, लेकिन उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले।
कार्रवाई : 29 सितंबर 2016 को भारत ने नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमला किया, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ‘लांचपैड’ को नष्ट किया गया। यह पहली बार था जब भारत ने ऐसी कार्रवाई को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। भारतीय सेना के जवान तीन किलोमीटर अंदर तक घुस गए थे। वहां पहुंचकर आतंकियों के शिविरों को बर्बाद किया। 25 कमांडो ने यह कार्रवाई की। 150 और कमांडो मदद के लिए नियंत्रण रेखा पर तैनात थे।
पुलवामा हमला (14 फरवरी 2019)
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफिले पर जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर, आदिल अहमद डार (स्थानीय कश्मीरी युवक), ने विस्फोटक से भरे वाहन से हमला किया। 40 जवान शहीद हुए। एनआइए ने जांच शुरू की और 2020 में 19 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान की भूमिका की पुष्टि हुई।
आत्मघाती हमलावर की पहचान डीएनए नमूनों से हुई, लेकिन विस्फोटकों के स्रोत का पता नहीं चला। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया। डिजिटल और खुफिया सबूतों ने पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश के मुख्यालय की ओर इशारा किया।
कार्रवाई : 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया। यह 1971 के युद्ध के बाद पहली बार था जब भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया।
पहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025)
पहलगाम में चार आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया और 26 की हत्या कर दी। भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित करने जैसे कई कदम उठाए और 15 दिन बाद अपनी सीमा से ही मिसाइलों से पाक में नौ आंतकी केंद्रों को मटियामेट कर दिया। 100 आतंकी मारे गए। इसके बाद भारत ने पाक वायुसेना अड्डों को भी नुकसान पहुंचाया। बाद में संघर्ष विराम हो गया। लेकिन जिन चार आतंकियों ने हमला किया था, उनका अब तक कुछ पता नहीं चला है।