अरुणा कपूर

स्नातक के बाद मीनू को बैंक में अच्छी नौकरी मिल गई थी। शादी भी एक अच्छे परिवार में डाक्टर लड़के से हो गई। मगर शादी के महज पंद्रह दिनों बाद मीनू के पति का ट्रेन हादसे में देहांत हो गया। वह अब ससुराल से मायके आ गई थी। मीनू को दूसरी शादी करने के लिए समझाया गया। शिक्षित थी, सुंदर थी, अच्छी नौकरी में थी, तो कई रिश्ते उसके लिए आने लगे। उसी दौरान अचानक मीनू को उस लड़के का फोन भी आ गया, जिससे वह कालेज की पढ़ाई के दौरान मन ही मन प्यार करती थी।

उस लड़के ने बताया कि वह भी उससे प्यार करता था, लेकिन जता नहीं पाया था। तभी उसके पापा का तबादला हो गया और परिवार के साथ उसे वह शहर छोड़कर जाना पड़ा था। उसकी शादी के बारे में भी वह जानता था और पति के देहांत के बारे में भी जान चुका था। उसने बताया कि अब वह अच्छी कंपनी में बड़े पद पर है। तनख्वाह भी अच्छी है, क्या वह उससे शादी करना चाहेगी?

बात फोन पर हो रही थी। मीनू खुशी के मारे उछल पड़ी। मीनू ने उस लड़के से कहा- ‘आकाश, मैं आपसे बाद में बात करती हूं। अभी दुबारा शादी करने के बारे में मैंने कोई निर्णय लिया नहीं है। आपकी आवाज इतने वर्षों बाद सुन कर बहुत अच्छा लगा।’ कहते हुए मीनू ने फोन काट दिया। उसकी मम्मी पास ही खड़ी थीं।

‘क्या बात है मीनू? किसका फोन था? कौन है ये आकाश?’ ‘यह वह लड़का है जो कालेज में मेरे साथ पढ़ता था। मुझे उससे प्यार हो गया था। मैंने तब आपको बताया भी था।’ … मीनू ने मम्मी को याद दिलाया। ‘मैं उसे दिल की गहराई से चाहती हूं… पर मैंने सोच लिया। मैं आकाश से शादी कभी नहीं करूंगी।’

मीनू के पापा सरकारी अस्पताल में डाक्टर थे और कुछ महीने पहले ही रिटायर हुए थे। वे भी दोनों की बातें सुन रहे थे। उन्होंने सोचा, हो सकता है यह किसी तरह का डिप्रेशन हो और मीनू इस बीमारी की चपेट में आ गई हो। इसके बारे में डा. मेहरा से बात करना ही ठीक रहेगा। और उन्होंने चुपके से अपने साथ अस्पताल में काम कर चुके मनोचिकित्सक डा. सुरेश मेहरा को फोन कर घर पर बुलाया।

डा. मेहरा ने आते ही कहा- ‘यहां से गुजर रहा था तो सोचा, चलो बहुत दिन हो गए, आनंद और भाभी से मिलता चलूं। और बता मीनू, तू कैसी है?’ डा. मेहरा ने अब मीनू के मम्मी-पापा को वहां से जाने के लिए इशारा किया। वे दोनों चले गए और डा. मेहरा मीनू के साथ बाते करने लगे।
‘मीनू, तेरे पति दुर्घटना में चल बसे। बहुत दुख हुआ.. ऊपर वाले की मर्जी है आखिर। अब आगे के लिए क्या सोचा है? जिंदगी कभी किसी के लिए रुकती नहीं है।’

‘अंकल, आप हमारे अपने हैं… आपसे क्या छिपाना? मम्मी-पापा की इच्छा है कि मैं फिर से घर बसाऊं। मैंने भी उनकी बात मान कर दुबारा शादी करने का निर्णय ले लिया है। रिश्ते आ रहे हैं, देखते हैं क्या है भाग्य में।’ ‘मेरी चचेरी बहन के साथ भी ऐसा ही हुआ था। उसकी शादी के चार महीने बाद उसके पति की एक दुर्घटना में मृत्यु हुई थी। बाद में जिससे वह प्यार करती थी उससे शादी कर ली। उसकी शादी की चालीसवीं सालगिरह उसने पिछले साल मनाई। उसके एक पोता और एक दौता भी है।’

‘अंकल मुझे लगता है, आपकी चचेरी बहन ने जिस लड़के से शादी की, वह उससे सच्चा प्यार नहीं करती थी। तो क्या अब तक आपकी चचेरी बहन के पति जिंदा हैं?’ सुन कर डा. मेहरा सन्न रह गए। चचेरी बहन का सच्चा प्यार और उसके पति का जिंदा या मृत होना… इन दोनों को कौन-सी कड़ी से जोड़ रही थी मीनू?…थोड़ी देर रुक कर डा. मेहरा बोले- ‘मीनू, जहां तक मैं जानता हूं, तेरी तो अरेंज मैरिज थी… नहीं? तो मेरी चचेरी बहन और तेरे जीवन में घटी घटना, एक जैसी कैसे हुई?’ ‘अंकल मेरे साथ ठीक ऐसा ही हुआ है। मुझे भी कालेज की पढ़ाई के दौरान एक लड़के से प्यार हुआ था, लेकिन हम एक-दूसरे पर अपना प्यार जाहिर नहीं कर पाए थे।

अचानक वह लड़का आकाश… कालेज छोड़ कर कहीं चला गया। तब मुझे लगा कि मेरा प्यार एकतरफा था।’ ‘एकतरफा ही था… और क्या? अब क्या सोचना! अब पीछे मत देख और जैसे मम्मी-पापा कह रहे है वैसे ही कर।’ डा. मेहरा अपने ढंग से मरीज के साथ पेश आ रहे थे। वे विदा लेकर चले गए, लेकिन मीनू न जाने क्यों डा. मेहरा की चचेरी बहन के पति के बारे में ही सोच रही थी।

ठीक पंद्रह दिन बाद डा. मेहरा आए। बताया कि उनकी बहन उषा का जन्मदिन है। वे अपने साथ मीनू को लेकर वहां जाना चाहते हैं। कार में डा. मेहरा की पत्नी सुधा भी थीं। कार एक सुंदर से बंगले के सामने रुकी। बंगले के गेट पर नेम प्लेट थी- कर्नल (रिटायर्ड) सेम्युअल डिसूजा।
‘अंकल, उषा आंटी का ये घर है?… क्या डिसूजा…’

इतने में स्मित हास्य चेहरे पर लिए हुए, सामने से आता हुआ बुजुर्ग युगल दिखाई दिया। दोनों ही पति-पत्नी का हल्के नीले रंग का पहनावा था। मीनू को खासतौर पर डा. मेहरा ने कर्नल साहब और उषा से मिलवाया। वैसे मीनू के आगमन का पता उन दोनों पति-पत्नी को था… इसलिए सिर्फ ‘ये है हमारी छोटी फ्रेंड मीनू’ कहना ही काफी रहा।

कर्नल साहब मीनू को बड़े ही एक्टिव लगे। बात-बात पर उनकी जोरदार हंसी और मजाकिया अंदाज मीनू को बहुत भाया। वे अपनी पत्नी का बहुत ध्यान रख रहे थे। बीच में एक बार उषा से पूछा भी कि ‘आपने दवाई ली… या भूल गई।’ इस पर उषा का ‘माय गाड’ कहना और त्वरित कर्नल साहब का दवाई की गोली और पानी लेकर हाजिर हो जाना, देख कर मीनू गदगद हो उठी।

अब उषा मीनू को एक तरफ अपने बेडरूम में ले गई और बताया कि भैया- डा. मेहरा- ने उसे बताया है कि जो तुम्हारे जीवन में घटीत हुआ है, वही मीनू के जीवन में भी घटीत हुआ है।

‘लेकिन आंटी, हमने आपस में जताया भी नहीं था कि एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उसके बाद अचानक आकाश कालेज छोड़ कर चला गया। मुझे तो कुछ पता भी न चला… मैं समझ रही थी कि मेरा प्यार एकतरफा है। उसके बाद मेरी शादी हुई और… बाद का सब कुछ आप जानती ही हैं। अंकल ने आपको बताया ही होगा।’

इतने में वहां पर कर्नल साहब आ गए और मजाकिया अंदाज में बोले- ‘अच्छा, तो भैया कानाफूसी करते हैं ये पता था, लेकिन भैया इधर की उधर भी करते हैं… ये पता नहीं था।’ ‘क्या आप भी…’ कहते हुए उषा ने अपने कंधे पर झुके हुए कर्नल साहब के गाल पर हल्की-सी थपकी दी। मीनू हंस पड़ी।
उसके बाद रात का खाना हुआ और देर रात डा. मेहरा, सुधा जी और मीनू घर वापसी के लिए कार में बैठ गए।

‘अंकल, क्या उषा आंटी को कर्नल साहब, जो उनके प्रेमी थे, उनके साथ शादी करने से डर नहीं लगा?’ ‘कैसा डर?’ कार चलाते हुए डा. मेहरा ने पूछा। ‘नहीं। वो तो ऐसे ही मुझे लगा कि उषा आंटी को नहीं लगा कि कर्नल साहब को…’ ‘तुमने उन दोनों के साथ कितना एन्जाय किया बताओ। कर्नल साहब की उम्र सत्तर साल की है और वे एक युवा लड़के की तरह कितने एक्टिव है, यह भी तुमने देख लिया।’ डा. मेहरा ने कहा।

‘अंकल, मेरी रिश्ते की बुआ ने कहा था कि मीनू, तेरे भाग्य में शादी का सुख नहीं है। मेरे पड़ोस में रहने वाली नेहा के साथ भी ऐसा ही हुआ। उसकी शादी के दो साल बाद ही किसी बीमारी में उसके पति का निधन हो। घरवालों ने दूसरी शादी कर दी, लेकिन विधि के लेख देखो! दूसरा पति भी ट्रेन हादसे में चल बसा। मुझे लगता है कि कहीं मेरे साथ भी… लेकिन अंकल आपने मुझे उषा आंटी और कर्नल साहब से मिलवाया, तो मुझे लगा कि यह वहम ही है कि सभी के साथ एक जैसा ही घटित होता है।’

‘उषा की बात कहूं तो वह सेम्युअल को चाहती थी और शादी भी करना चाहती थी, लेकिन उस जमाने में हमारे रूढ़िवादी बुजुर्ग नहीं माने। अलग धर्म का सेम्युअल बहुत लायक लड़का था, पर शादी हुई नहीं। फिर उषा की अरेंज मैरेज हुई। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।… और फिर से सेम्युअल उसके जीवन में आया।

दोनों खुशी खुशी जीवन का आनंद उठा रहे हैं, देख! जब कोई मनुष्य अपने मन से मजबूत होता है तब ऐसे डराने वाले लोगों की बातों पर वह ध्यान नहीं देता। उषा ने ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया और आज सुखी है।’

‘अंकल। मैं आकाश के साथ इसी डर की वजह से शादी करना चाहती नहीं थी कि वह भी मुझसे शादी करने के बाद मृत्यु का ग्रास बन गया तो… उसके लिए सच्चा प्यार जो है मेरे मन में।’ मीनू अब पूर्ण रूप से डर मुक्त हो चुकी थी।