गर्मी के मौसम में खानपान में लापरवाही की वजह से कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं, जो कई बार घातक साबित होती हैं। उन्हीं में से एक बीमारी है- पीलिया यानी जाइंडिश। गर्मियों में पीलिया बच्चे और बड़े सबको प्रभावित करता है। इसे हेपेटाइटिस ए भी कहते हैं। पीलिया का सबसे बड़ा कारण है दूषित पानी और दूषित भोजन। पीलिया में मरीज की आंखें और नाखून पीले पड़ जाते हैं। पेशाब भी पीले रंग की होती है। इसका सही समय पर इलाज नहीं कराया गया, तो यह बहुत गंभीर रूप धारण कर सकता है।

कारण
पीलिया तब होता है, जब शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ बढ़ जाता है। बिलीरुबिन की अत्यधिक मात्रा होने से लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लिवर की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। बिलीरुबिन धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है, जिससे व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है।
इसके अलावा पीलिया हेपेटाइटिस, पैंक्रियाज के कैंसर, बाइल डक्ट के बंद होने, शराब से संबधी लिवर की बीमारी, दूषित वस्तुएं और गंदा पानी पीने से भी पीलिया हो सकता है। कुछ दवाओं के चलते भी यह समस्या हो सकती है।

लक्षण
पीलिया होने पर-

  • त्वचा, नाखून और आंख का सफेद हिस्सा तेजी से पीला होने लगता है।
  • फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे, मितली आना, पेट दर्द, भूख न लगना और खाना न हजम होना। इसके अलावा वजन घटना, गाढ़ा पीला पेशाब होना, लगातार थकान महसूस करना, बुखार बने रहना, हाथों में खुजली होना भी इसके लक्षण हैं।
    कई लोग मानते हैं कि रक्ताल्पता यानी खून की कमी की वजह से शरीर पीला पड़ रहा है। मगर रक्ताल्पता और पीलिया के लक्षण अलग होते हैं। रक्ताल्पता में रोगी का रंग सफेद-पीला हो जाता है, लेकिन पीलिया में रोगी की त्वचा, आंख, नाखून और मुंह का रंग हल्दी की तरह पीला हो जाता है। रक्ताल्पता में भूख लगती है, लेकिन पीलिया में भूख नहीं लगती।

प्रभाव
पीलिया एक जानलेवा बीमारी नहीं है, मगर कभी-कभी इसका सही समय पर उपचार न हो पाने के कारण यह गंभीर रूप ले सकता है। पीलिया के कारण अन्य बीमारियां हो सकती हैं। पीलिया के कारण फैटी लिवर हो सकता है, जिसमें लिवर में वसा अधिक जमा हो जाता है। यह वसायुक्त भोजन करने, अनियमित दिनचर्या, व्यायाम न करने, तनाव, मोटापा, शराब का सेवन या किसी बीमारी के कारण लंबे समय तक दवाइयां लेने से फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। स्थिति गंभीर होने पर लिवर सिरोसिस भी हो सकता है। तब प्रत्यारोपण ही इसका अंतिम इलाज होता है।

शराब का सेवन, वसायुक्त भोजन और खराब जीवन-शैली की वजह से कई बार लिवर में रेशे बनने लगते हैं, जो कोशिकाओं को अवरुद्ध कर देते हैं, इसे फाइब्रोसिस कहते हैं। इस स्थिति में लिवर अपने वास्तविक आकार में न रह कर सिकुड़ने लगता है, और लचीलापन खोकर कठोर हो जाता है। पीलिया के कारण इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए पीलिया के लक्षणों को अनदेखा न करें, जल्द से जल्द इलाज कराएं।

लिवर की कोई भी बीमारी अगर लंबे समय तक रहे या उसका ठीक से इलाज न हो तो यह अंग काम करना बंद कर देता है। इसे लिवर फेल्योर कहते हैं। यह समस्या दो प्रकार की होती है। पहली, एक्यूट लिवर फेल्योर- इसमें मलेरिया, टाइफाइड, हेपेटाइटिस- ए, बी, सी, डी और ई जैसे वायरल, बैक्टीरियल या फिर किसी अन्य रोग से अचानक हुए संक्रमण से लिवर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। लिवर सिरोसिस होने की एक वजह लंबे समय से शराब पीना है, जिससे लिवर फेल्योर हो सकता है। इसमें बचने की संभावना दस फीसद ही रहती है। दूसरी है- क्रोनिक लिवर फेल्योर। यह लंबे समय से इस अंग से जुड़ी बीमारी के कारण होता है। इन दोनों अवस्थाओं में लिवर प्रत्यारोपण ही स्थायी इलाज होता है।

घरेलू इलाज
पीलिया में गन्ने का रस अत्यंत लाभकारी होता है। अगर दिन में तीन से चार बार सिर्फ गन्ने का रस पिया जाए तो इससे बहुत लाभ होता है। अगर रोगी सत्तू खाकर गन्ने का रस पीए, तो सप्ताह भर में ही पीलिया ठीक हो जाता है। इसके अलावा अगर गेहूं के दाने के बराबर सफेद चूना गन्ने के रस में मिला कर सेवन किया जाए तो भी जल्द से जल्द पीलिया दूर हो जाता है। मगर गन्ने का रस पीते समय ध्यान रखना चाहिए कि रस साफ मशीन से ही निकला हो, नहीं तो उस पर बैठने वाली मक्खियां भी पीलिया रोग पैदा करती हैं। इसके अलावा मूली का रस भी बहुत फायदेमंद होता है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)