वैसे तो धरती पर बहुत सारे प्यारे-प्यारे जीव हैं, लेकिन पांडा उनमें कुछ ज्यादा ही अनोखा और प्यारा है। पांडा शांत स्वभाव वाले एकांत प्रिय जीव हैं जो अधिकांश समय छिप रहते हैं और ज्यादातर रात के समय बाहर निकलते हैं। इनका अपना एक क्षेत्र होता है और वे दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण करके लड़ाई मोल नहीं लेते। पांडा को मीठा खाना बेहद पसंद है । चीन के वैज्ञानिकों ने पांडा के डीएन की रिसर्च के बाद कहा कि उसमें आज भी मीठे स्वाद के रिसेप्टर जीन हैं। पांडा का मुख्य भोजन घास है जो कि हल्का मीठा होता है। पहाड़ों पर मिलने वाले पांडा भले ही शाकाहारी हों, लेकिन उनके पूर्वज मांसाहारी थे जहां वे खरगोश, चूहे, मछली जैसे जीवों को भी खाते थे। जबसे पांडा पहाड़ी इलाकों में रहने लगे तो वहां उन्हें घास और जंगली पौधे खाने को मिलने लगे।

पांडा का शरीर पहाड़ियों में रहने के अनुकूल होता है। मोटे ऊन की फर उन्हें न केवल बर्फ की ठंडक से बचाती है, बल्कि गर्मी भी प्रदान करती है। यहीं नहीं सफेद और काले फर की वजह से उन्हें शत्रुओं से छिपने में आसानी रहती है। पांडा एक दुर्लभ प्राणी भी है और आज इनका अस्तित्व संकट में है। इनकी प्रजनन क्षमता काफी कम होती है। मादा पांडा दो साल में सिर्फ एक बार ही बच्चे को जन्म देती है। जंगलों में महज 1864 पांडा ही बचे हैं। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड की कोशिशों के बावजूद पिछले दस सालों में इनकी संख्या में मात्र 17 फीसद बढ़ोतरी हुई है ।

मादा पांडा गर्भवती होने का नाटक करने में माहिर होती है। ताइवान में एक मादा पांडा ने सबको हैरान कर दिया। मनपसंद खाने और एसी कमरे में अकेले आराम करने के लिए उसने गर्भावस्था का नाटक किया। 90 महीने पहले युआन नाम की इस 11 वर्षीय पांडा को कृत्रिम रूप से मां बनाने की कोशिश की गई थी। उसके बाद पांडा ने गर्भवती होने के लक्षण दिखाने शुरू कर दिए। उसकी भूख घट गई, चलना फिरना कम कर दिया और उसका गर्भाशय भी फूल गया। इसके बाद, पांडा को सारी सुविधाओं से युक्त एसी कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। यहां उसका दिन रात पूरा ख्याल रखा गया। इसके एक महीने बाद जब चीन के विशेषज्ञ उसकी जांच करने पहुंचे तो सबके होश उड़ गए । वह गर्भवती थी ही नहीं। केवल गर्भवती होने का नाटक कर रही थी।

कई देशों में इनकी घटती संख्या चिंता का विषय बनी हुई है। वहां इनके संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं। चीन में तो बाकायदा चेंगडु रिसर्च बेस में एक झूलाघर खोला गया है जहां पांडा का बच्चों की तरह ख्याल रखा जाता है। घोड़ा गाड़ी पर बच्चों की तरह खेलते ये पांडा के छोटे-छोटे बच्चे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।