रात को नींद नहीं आने का आपके दिन के साथ पूरा संबंध है। आपकी जीवनशैली, खान-पान और शरीर से जुड़ी कोई अन्य बीमारी सब इसके जिम्मेदार हैं। आज के समय में ज्यादातार लोगों को अनिद्रा की शिकायत होती है। अनिद्रा हमारी सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होती है और नींद क्यों नहीं आती यह सोच-सोच कर भी हम अपनी नींद खराब कर लेते हैं।

बिस्तर से दूर करता दफ्तर
हम सबकी जीवनशैली ऐसी हो गई है कि बस पंजों पर खड़े रहते हैं। काम का बोझ एक ऐसा सच है जो हर कोई अपनी मर्जी से नहीं ढोना चाहता। बहुत लोगों की मजबूरी है कि उन्हें बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है तो कुछ लोगों को लगता है कि ज्यादा से ज्यादा काम करना ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है। लेकिन यह आपकी मजबूरी हो या चुनाव, इसका हल तो आपको निकालना होगा।

कुछ लोगों को सात से आठ घंटे सोना समय की बर्बादी लगती है। लेकिन आप देखेंगे कि अगर काफी दिनों तक ढंग की नींद नहीं लेते हैं तो आपका शरीर किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाता है और डॉक्टर आपकी पर्ची पर बिस्तर पर आराम लिख देते हैं। फिर आपको मजबूरी में बिस्तर पकड़ना पड़ता है। तो ऐसी स्थिति आने से पहले अपने बिस्तर पर पर्याप्त समय दिया करें। नौकरी के तनाव का भी बहुत असर नींद पर पड़ता है। तो यह सोच लें कि तनाव लेने भर से कोई काम आसान नहीं हो जाता है।

नौकरी को लेकर अति संवेदनशील रहने वाले लोग भी अनावश्यक तनाव लेते हैं। एक समय नौ से पांच की नौकरी का मजाक उड़ाने वाली पीढ़ी आज चौबीस गुणे सात के जाल में उलझ गई है। लेकिन अब लोग सेहत और काम के बीच के तनाव के बारे में जागरूक भी हो रहे हैं।

‘आपके दिमाग में क्या है’
सुबह की सैर करते हुए ईयरफोन लगा कर गाना सुन रहे हैं तो गाड़ी चलाते हुए पॉडकास्ट पर राजनीतिक बहस, खाना खाते वक्त फेसबुक पर इसका जवाब दे रहे हैं कि ‘आपके दिमाग में क्या है’ तो दफ्तर जाने के पहले इंस्टाग्राम को भी अद्यतन करना ही है। बीच में टीवी देखना और आनलाइन खबरें पढ़ना। बिस्तर पर जाने के बाद सोशल मीडिया के किसी बहस में उलझ जाना। हमने अपने दिमाग को एक मिनट के लिए खाली छोड़ा ही नहीं है तो फिर नींद पर उन सूचनाओं का एक साथ हमला होने लगता है।

आपको कौन सी सूचना कहां से और कैसे ग्रहण करनी है इसकी प्राथमिकता तय कर लें। सोशल मीडिया के हर मंच पर हमेशा मौजूदगी दर्ज करानी जरूरी नहीं है। बिस्तर पर सोने जाने के एक घंटा पहले किसी भी तरह के स्क्रीन और सोशल मीडिया से दूरी बना लें। अपनी मनपसंद कोई हल्की-फुल्की किताब पढ़ें और किसी भी तरह की विवादित बातें न सोचें। इन दिनों एक मजाक प्रचलित है कि नींद आंखें बंद करने से नहीं इंटरनेट का डाटा बंद करने से आती है। अच्छी नींद के लिए बिस्तर पर जाने से पहले आभासी दुनिया से कट जाने में ही भलाई है।

शारीरिक गतिविधि
अच्छी नींद के लिए शरीर का थकना बहुत जरूरी है। अपनी सेहत और रुचि के हिसाब से कोई भी शारीरिक गतिविधि चुन लें। अगर वक्तनिकाल सकते हैं तो सुबह और शाम दोनों की सैर करें। जो लोग दौड़ सकते हैं वो तो ऐसा करें ही। किसी एक व्यायाम को चुन लें और उसे हफ्ते में कम से कम पांच दिन जरूर करें। शुरुआत में व्यायाम हल्का ही रखें और धीरे-धीरे क्षमता बढ़ाते चलें। अगर नृत्य का कोई रूप पसंद हो तो वो भी एक बेहतरीन कसरत है। नृत्य शरीर के साथ दिमाग को भी तनावमुक्त करता है। लेकिन अपने शरीर को इतना भी न थका लें कि सारी रात दर्द से ही नींद न आए।

खानपान पर भी दें ध्यान
अगर आपको अनिद्रा की शिकायत है तो किसी भी तरह के नशे से दूर रहें। नशा करके नींद लाना सेहत के लिए सबसे नुकसानदेह होता है। शाम होने के बाद ज्यादा चाय-कॉफी से दूर रहें तो बेहतर होगा। सोने जाने के एक घंटे पहले रात का खाना जरूर खा लें। रात को हल्का और सुपाच्य भोजन लें। नींद की समस्या ज्यादा परेशान कर रही है तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें क्योंकि यह किसी और बीमारी का भी लक्षण हो सकता है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)