बरसात का मौसम कई दृष्टियों से संवेदनशील होता है। इस मौसम में वायरस और बैक्टीरिया से तरह-तरह के संक्रमण फैसले हैं। इन्हें फैलाने में मच्छर एक बड़ा जरिया साबित होते हैं। आमतौर पर लोग मानते हैं कि मच्छर केवल मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियां ही फैलाते हैं। मगर ऐसा नहीं है।

ये अन्य कई बीमारियां भी फैलाते हैं। आइए जानते हैं उन बीमारियों और उनसे बचने के उपाय के बारे में। मच्छरों के काटने से जो बीमारियां होती हैं, उनमें से ज्यादातर जानलेवा होती हैं। दुनिया भर में मच्छरों से होने वाली बीमारियों के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। मच्छरों के काटने से निम्नलिखित बीमारियों फैलती हैं-

मलेरिया
मच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारियों में मलेरिया सबसे खतरनाक है। मलेरिया की वजह से हर साल दुनिया भर में करीब चार लाख लोगों की मौत होती है। हालांकि, भारत में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है।

2030 तक मलेरिया को पूरी तरह समाप्त करने की अपनी खोज में, भारत बेड-नेट की मुफ्त पहुंच प्रदान करने, तेजी से निदान के उपयोग का विस्तार करने और शीघ्र उपचार प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। आज तक इस बीमारी का कोई टीका नहीं खोजा जा सका है। इसलिए यह और खतरनाक हो जाती है। हमारे देश में दूर-दराज के गांवों और शहरों की मलिन बस्तियों में यह रोग अक्सर बरसात के समय खतरनाक रूप ले लेता है।

डेंगू बुखार
भारत में डेंगू के मामलों में भारी वृद्धि हुई है। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, 2017 में डेंगू के मामले एक लाख से बढ़ कर एक लाख साठ हजार हो गए। डेंगू बुखार के मामले में भारत सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र है। स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय मच्छर निगरानी और प्रबंधन बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है। मगर लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए खुद सतर्कता बरतनी चाहिए। डेंगू के लिए भी कोई टीका उपलब्ध नहीं है। डेंगू के लक्षण दिखाई देते ही इसका इलाज जरूरी है।

पीला बुखार
पीला बुखार फ्लेविवायरस की वजह से होता है। यह बुखार अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और कैरेबिया के कुछ हिस्सों में होता है। भारत में इस बीमारी के पिछले कुछ दशकों से कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे खासकर बरसात के मौसम में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से पहले पीला बुखार के लिए टीका लगवाएं। इस बीमारी का कोई ज्ञात इलाज नहीं है।

इंसेफेलाइटिस
यह भी एक मच्छर जनित बीमारी है, जिसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आसपास सूजन हो जाती है और अगर तुरंत इलाज न मिले तो रोगी को खतरा हो सकता है। इंसेफेलाइटिस भारत में चिंता का कारण बन रहा है। इस बीमारी की वजह से हाल ही में गोरखपुर और आसपास के जिलों में सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई। कमजोर प्रतिरक्षा वाले बच्चों और बुजुर्गों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। इसका संक्रमण होने पर बुखार, भ्रम, उनींदापन, सिरदर्द, थकान या कमजोरी, दौरे, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

जीका
भारत में अब जीका का वायरस भी पैठ बना चुका है। जयपुर में जीका ने करीब डेढ़ सौ लोगों को संक्रमित किया था। कुछ ही समय में यह समस्या पूरे भारत में फैल गई और स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई। इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और इसमें बुखार, लाल आंखें, दाने, मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द जैसे लक्षण आमतौर पर दिखाई देने लगते हैं।

चिकनगुनिया
चिकनगुनिया सबसे ज्यादा अफ्रीका, एशिया और भारत में पाया होता है। 2018 में भारत में इस बीमारी के एक लाख से अधिक मामले सामने आए थे। जलवायु परिवर्तन की वजह से यह बीमारी अधिक फैलती है। इस रोग से बचाव के लिए उपचार और प्रबंधन के अलावा, सवाधानी की जरूरत होती है। चिकनगुनिया के लिए भी अभी कोई पक्का इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। इसके लक्षणों में लगातार जोड़ों का दर्द, बुखार, मितली, सिरदर्द, आदि हैं।

मच्छरों से मुकाबला
हालांकि सरकारें मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए लगातार जनजागरूकता अभियान चलाती रहती हैं, फिर भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता। मच्छरों से बचाव के लिए सबसे जरूरी काम यह है कि उन्हें पनपने से रोका जाए। मच्छर नमी वाली जगहों पर पनपते हैं, इसलिए ऐसी जगहों का विशेष ध्यान रखा जाए और वहां साफ-सफाई मच्छरमार दवाओं का छिड़काव आदि कराते रहें।

सोते समय मच्छरदानी का उपयोग मच्छरों से बचने का सबसे कारगर उपाय है। इसके अलावा घर के अंदर और बाहर जमा पानी को खत्म करना, घर में मच्छरमार दवाओं का उपयोग करना, कीटनाशक का इस्तेमाल आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

भारत में मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई चल रही है। मगर जलवायु परिवर्तन, तेजी से शहरीकरण, स्वच्छता की कमी और कचरा निपटान ठीक से न होने की वजह से ये बीमारियां बढ़ती हैं। मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए हर व्यक्ति को खुद सावधान रहने की जरूरत होती है। खासकर बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)