Operation Sindoor: भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिनों बाद पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में मिसाइल हमले करके आतंकी संगठनों के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसमें 100 आतंकी मारे गए जिनमें जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के परिवार के10 लोग मारे गए। भारतीय रक्षा बलों द्वारा निशाना बनाए गए आतंकी शिविरों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन सहित विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों से है। इस कार्रवाई के बाद इन संगठनों की कमर टूट गई है लेकिन जैश का मसूद अजहर, लश्कर का हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन का सैयद सलाहुद्दीन बच गए। भारत को इन तीनों के अलावा दाऊद इब्राहिम भी चाहिए, जिसने 1993 में मुंबई में भयावह बम विस्फोटों को अंजाम दिया था। आतंक के इन चार आकाओं के खिलाफ भारत का अभियान जारी है। आतंकवादियों की कारगुजारियों पर एक निगाह।
मसूद अजहर
जैश-ए-मोहम्मद का अगुआ मसूद अजहर, संगठन का संस्थापक है। वह भारत में कई प्रमुख आतंकी हमलों, जैसे 2001 के संसद हमले, 2016 के पठानकोट हमले, और 2019 के पुलवामा हमले से जुड़ा है। मसूद संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया है। उसे 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद रिहा किया गया था, जिसके बाद उसने जैश की स्थापना की। वर्तमान में, वह पाकिस्तान में छिपा हुआ है। हाल के भारतीय सैन्य हमलों, जैसे आपरेशन सिंदूर में उसके परिवार के कई सदस्य और उसका भाई रउफ असगर मारे गए।
इस अभियान में पाक में 100 से अधिक आतंकवादी मार गिराए गए। लेकिन वह बचा हुआ है। इससे यह संकेत मिलता है कि वह सुरक्षित जगहों पर रह रहा है और पाकिस्तान की खुफिया एजंसी आइएसआइ उसे लगातार स्थानांतरित कर रही है। उसके ठिकाने, जैसे बहावलपुर का मरकज सुभान-अल्लाह, भारतीय हमलों में नष्ट हो गए हैं, लेकिन उसकी सटीक स्थिति का पता नहीं है। आइएसआइ ने उसे परिवार के जनाजे में भी नहीं जाने दिया, जो उसके संरक्षण की गंभीरता को दर्शाता है।
एजंसियों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी भर्ती और प्रशिक्षण केंद्र बहावलपुर (पाकिस्तान) में है, जिसे मसूद अजहर ने मार्च 2000 में इसके गठन के तुरंत बाद स्थापित किया था। भारत ने उसे दो अन्य लोगों के साथ 24 दिसंबर 1999 को अपहृत आईसी-814 विमान के यात्रियों और चालक दल के बदले में रिहा किया था। मसूद के संगठन ने भारत में कई हमलों की साजिश रची।
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इनमें अक्तूबर 2001 में जम्मू और कश्मीर विधानसभा कार विस्फोट, 13 दिसंबर 2001 को लश्कर के साथ समन्वय में संसद पर हमला, जनवरी 2016 में पठानकोट एअरबेस हमला, और 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट शामिल हैं, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के 12 दिन बाद भारतीय बलों ने बालाकोट हवाई हमले से बदला लिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) 1267 समिति ने मई 2019 में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को आतंकी सूची में शामिल किया था, जबकि इस संगठन पर 2001 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। 1 मई, 2019 को अमेरिकी विदेश विभाग ने इस कदम का स्वागत किया था और कहा था कि वह कई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए एक गंभीर खतरा है। इसके मुताबिक जैश को 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में नामित किया गया था और 2001 से इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2010 में अजहर को भी एसडीजीटी के रूप में नामित किया था।
पाकिस्तान ने 2002 में इस समूह पर प्रतिबंध लगा दिया था, जब इसे और लश्कर-ए-तैयबा को 2001 में भारत की संसद पर हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा है कि इस समूह के ओसामा बिन लादेन द्वारा स्थापित अल कायदा और तालिबान के साथ संबंध थे। मसूद के संगठन ने कश्मीर में अनेक आत्मघाती बम विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है, जहां भारत 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से सशस्त्र उग्रवाद से जूझ रहा है, हालांकि हाल के वर्षों में हिंसा में कमी आई है।
आपरेशन सिंदूर पर भारत ने कहा कि उसने बहावलपुर के मरकज सुभान अल्लाह पर हमला किया, जिसे उसने जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय बताया, जो सीमा से लगभग 100 किमी (62 मील) दूर स्थित है। पाकिस्तान द्वारा 2002 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद, अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों का कहना है कि अभी भी वहां खुलेआम गतिविधियां चल रही हैं। अजहर सार्वजनिक रूप से गायब हो गया है, सिवाय इसके कि शहर के निकट उसकी उपस्थिति की छिटपुट खबरें आती रहती हैं, जहां वह एक धार्मिक संस्था चलाता है।
हाफिज सईद
1987-88 में हाफिज सईद द्वारा सह-स्थापित, लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय लाहौर (पाकिस्तान) के पास मुरीदके में है। इसका मूल संगठन मरकज अल दावतुल वल इरशाद है, जिसे बाद में जमात-उद-दावा नाम दिया गया। संसद हमले के अलावा, लश्कर-ए-तैयबा अक्तूबर 2005 में दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के पीछे भी था, जिसमें 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
जुलाई 2006 में मुंबई में हुए ट्रेन धमाकों के पीछे भी सईद के संगठन का हाथ था, जिसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे और नवंबर 2008 में हुए 26/11 के मुंबई हमलों के पीछे भी लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था, जिसमें 166 लोगों की जान गई थी। एजंसियों ने पाया कि सितंबर 2016 में उरी सैन्य अड्डे पर हुए हमले की भी इस संगठन ने साजिश रची थी, जिसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। हाल में हुए पहलगाम हमले, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे, में भी उसका हाथ है।
मई 2005 में, यूएनएससी 1267 समिति ने लश्कर-ए-तैयबा पर इस आरोप में प्रतिबंध लगाया था कि उसका इराक और इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा और उससे जुड़ी संस्थाओं से संबंध है। हाफिज सईद को 10 दिसंबर, 2008 को कई अन्य प्रमुख लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादियों के साथ सूचीबद्ध किया गया था।
अमेरिका ने 24 नवंबर, 2017 को इस बात पर गहरी चिंता जताई थी कि हाफिज सईद को पाकिस्तान में नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। इसमें कहा गया है, लश्कर एक नामित विदेशी आतंकवादी संगठन है जो आतंकवादी हमलों में सैकड़ों निर्दोष नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार है, जिसमें कई अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं। पाकिस्तानी सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे गिरफ्तार किया जाए और उसके अपराधों के लिए उस पर आरोप लगाए जाएं। मई 2008 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के वित्त विभाग ने हाफिज को विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था।
लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब में स्थित है और लंबे समय से कश्मीर में भारत के खिलाफ आतंकवाद फैला रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का कहना है कि उसने 1993 से सैन्य और नागरिक ठिकानों के विरुद्ध अनेक आतंकवादी अभियान चलाए हैं, जिनमें भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में नवंबर 2008 में हुए हमले भी शामिल हैं, जिनमें 166 लोग मारे गए थे। 1990 के आसपास लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना करने वाले हाफिज सईद ने हमले में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया था।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जुलाई 2006 में मुंबई की यात्री ट्रेनों पर हुए हमलों तथा दिसंबर 2001 में भारत की संसद पर हुए हमले में भी लश्कर-ए-तैयबा का हाथ रहा है। ऐसा माना जाता है कि पाक पंजाब की राजधानी लाहौर के ठीक बाहर स्थित मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठनों का 200 एकड़ (81 हेक्टेयर) में फैला मुख्यालय है।
भारत का कहना है कि आपरेशन सिंदूर के तहत उसने मुरीदके के मरकज तैयबा पर हमला किया, जो सीमा से लगभग 25 किलोमीटर (16 मील) दूर है, जहां मुंबई हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया था। मरकज शब्द का अर्थ है मुख्यालय। ठिकानों को हमले में नष्ट कर दिया गया है।
पाकिस्तान का कहना है कि इस समूह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और उसे बेअसर कर दिया गया है। 2019 में गिरफ्तार किए गए सईद को आतंकवाद के वित्तपोषण के कई मामलों में दोषी ठहराया गया और वह 31 साल की जेल की सजा काट रहा है।
सैयद सलाहुद्दीन
आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन, जिसका मुख्यालय पीओजेके के मुजफ्फराबाद में है, की स्थापना 1989 में मुहम्मद अहसान डार ने की थी और इसका वर्तमान प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन है। यह मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय है और 1990 के दशक में बहुत सक्रिय था। इसका कमांडर बुरहान वानी 2016 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान दक्षिण कश्मीर में मारा गया था।
एजंसियों के अनुसार, मुजफ्फराबाद भारत के खिलाफ आतंकवादियों के लिए मददगार के रूप में भी काम करता है। उसके संगठन के ठिकाने, जैसे सियालकोट का महमूना जोया, हाल के भारतीय हमलों में निशाना बने हैं। इन ठिकानों पर 20-25 सक्रिय आतंकवादी हैं, जो जम्मू में घुसपैठ और हथियार प्रशिक्षण में शामिल हैं। उसकी वर्तमान स्थिति के बारे में विशिष्ट जानकारी सीमित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उसके संगठन को गंभीर नुकसान पहुंचा है। आपरेशन सिंदूर के तहत, उसके ठिकानों को पूरी तरह नष्ट करने की खबर है।
दाऊद इब्राहिम
‘डी-कंपनी’ का मुखिया दाऊद इब्राहिम, 1993 के मुंबई बम विस्फोटों (257 मौत) का षड्यंत्रकारी माना जाता है। भारत और अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित है। वह लंबे समय से फरार है और पाकिस्तान में छिपा हुआ माना जाता है। 2025 में उसकी वर्तमान स्थिति अनिश्चित है। एक ‘एक्स’ पोस्ट के अनुसार, वह सर्दियों में अस्तोला द्वीप पर छिपा था और बाद में कराची चला गया, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। महाराष्ट्र में उसके परिवार की संपत्तियों की नीलामी और उसके भाई इकबाल कास्कर की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन उसकी व्यक्तिगत स्थिति पर कोई नई जानकारी नहीं है। यह संकेत देता है कि वह अभी भी पाकिस्तान में छिपा है, लेकिन वहां इसकी सटीक स्थिति पर विवाद है।
