एक तरफ कानून सभी को अपने ढंग से शादी करने, जीने, मतदान करने आदि का अधिकार देता है। कानून की नजरों में बालिग वह है जिसे अपने फैसले लेने का अधिकार है। अधिकतर देशों में यह उम्र अठारह साल ही है। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी प्रेम विवाह या अपनी मर्जी से विवाह करने पर लोगों की हत्या कर दी जाती है। जिस राज्य में प्यार की वजह से सबसे ज्यादा हत्याएं हुर्इं, उनमें हरियाणा आगे हैं। बिहार में सबसे ज्यादा लोग संपत्ति विवाद में मारे गए। पूर्वोत्तर का मुख्य दरवाजा कहे जाने वाले असम में जातिगत दुश्मनी के चलते सबसे ज्यादा लोग मारे गए। जिसमें शिक्षित युवाओं की संख्या ज्यादा रही।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में हर साल होने वाले पांच हजार मान-हत्या के मामलों में से एक हजार यानी हर पांचवां मामला भारत का होता है। ये वे मामले हैं जिन्हें दर्ज किया गया है, असली संख्या और भी हो सकती है, क्योंकि बहुत सारे मामले दर्ज ही नहीं हो पाते। यह कौन सी इज्जत है जो अपने ही बच्चे की जान लेने पर मजबूर कर देती है? यह कौन सा समाज है जिसकी इज्जत हत्या कर के बढ़ जाती है? ध्यान रहे, जो शादियां जबरन नहीं होती हैं, उनके कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं। लेकिन अपने आसपास देखेंगे तो शायद हर दूसरा मामला ऐसा दिख जाएगा जो शादियां जबरन होती हैं। भारतीय दंड संहिता की दफा 302 से 304 के तहत हत्या के लिए सजा का प्रावधान है। यह प्रावधान यह नहीं देखता कि हत्या किस मकसद से की गई है। हर हत्या के लिए सजा बराबर है।

दरअसल जिस क्रूरता के साथ ये अपराध किए जाते हैं, वह किसी बीमार दिमाग की ही उपज होती है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान हमारे युवाओं का होता है। पवित्र समझा जाने वाला प्यार आखिर इन हत्याओं की वजह क्यों बन रहा है। इसका एक कारण है समाज में असहिष्णुता का बढ़ना। विजातीय युवक-युवतियों का प्रेम संबंध अब भी लोगों के गले नहीं उतरता। इसलिए ऐसे संबंधों में हत्या एक सामाजिक रू ढ़ि बन गई है। इक्कीसवीं सदी में पहुंचने के बावजूद बहुत लोगों की मानसिकता में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। यह दो बालिग युवाओं के निजी, वैध और कानूनी फैसले को स्वीकार नहीं कर पाने का परिणाम होता है जिसमें अहंकार छिपा होता है। उन दो बालिग युवाओं की न तो किसी से दुश्मनी होती है और न ही उनके साथ रहने के फैसले से किसी को नुकसान पहुंचता है। इसमें कोई संपत्ति विवाद भी नहीं होता है, फिर भी उनकी हत्या इसलिए कर दी जाती है क्योंकि उनके फैसले से उनके परिवार वाले और समाज असहमत होते हैं।

किसी के फैसले से असहमत होने पर उसकी हत्या कर देने का यह तरीका कितना भयावह है? इस पर आज विचार करने की जरूरत है। प्रेम और शारीरिक संबंधों की वजह से हजारों लोगों का मारे जाने से साफ है कि समाज अभी तक अपनी पुरातन सोच से नहीं उबर सका है। इज्जत के नाम पर होने वाली हत्याओं के लिए हरियाणा कुख्यात है। पश्चिम बंगाल प्रेम के मामले में काफी हद तक उदार है। शायद इसलिए यहां प्रेम की वजह से होने वाली हत्याएं दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे कम हैं। (विजन कुमार पाण्डेय)