Ahmedabad Plane Crash: बारह जून को अहमदाबाद-लंदन उड़ान के भयावह हादसे ने एअर इंडिया, विमान निर्माता कंपनी, नियामक और उड्डयन मंत्रालय पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। विमान उड़ने के कुछ ही मिनट बाद अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास एक मेडिकल कालेज की इमारत से टकराकर आग के गोले में बदल गया और 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई। सिर्फ एक यात्री बच सका। विमान के दोनों ब्लैक बाक्स मिल गए हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बताया कि एअर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रपट देनी है। लेकिन इस हादसे के बाद सवाल सुरक्षा को लेकर उठ रहा है। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की भयावह दुर्घटना के बाद एअर इंडिया विमान सुरक्षा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही एअर इंडिया की पिछले हफ्ते विभिन्न कारणों से पांच दिन में 66 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इससे भी चिंता पसरी हुई है।
पहली बार बोइंग ने ड्रीमलाइनर 787 माडल की साख खोई है
भारत में एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर 787 का विमान हादसा ऐसे वक्त हुआ है जब बढ़ती अर्थव्यवस्था की वजह से वह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन गया है। यह पहली बार है जब बोइंग ने ड्रीमलाइनर 787 माडल की साख खोई है। इसमें पहली बार यात्रियों की मौत हुई है, वह भी इतनी बड़ी संख्या में। इस हादसे को एक दशक से भी अधिक समय में सबसे भयावह नागरिक उड्डयन आपदा माना गया है, और वह भी ऐसे दौर के बाद जब उद्योग में बड़े हादसों में कमी आ रही थी।
एअर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन के मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का अच्छी तरह से रखरखाव किया गया था तथा इस विमान की आखिरी बार गहन जांच जून 2023 में की गई थी। अगली जांच इस साल दिसंबर में होनी थी। विमान के दाहिने इंजन की मार्च 2025 में मरम्मत की गई थी। बाएं इंजन की जांच अप्रैल 2025 में की गई थी। विमान और इंजन दोनों की नियमित रूप से जांच की गई थी। विमान और इंजन दोनों में उड़ान से पहले कोई समस्या नहीं नजर आई थी। उनके मुताबिक अगले कुछ सप्ताह के लिए कंपनी के बड़े विमानों के बेड़े के परिचालन में 15 फीसद की कटौती एक अस्थायी कदम है।
कंपनी अपने 33 बोइंग 787 विमानों का गहन सुरक्षा निरीक्षण कर रही है। उन्होंने कहा कि अब तक 26 विमानों का निरीक्षण पूरा हो चुका है और इन्हें परिचालन के लिए मंजूरी दे दी गई है। अब सवाल विमान कंपनी का ही नहीं है, परिदृश्य में देखें तो विमानन क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले मंत्रालय, उसकी एजंसियों में पदों और बजट के स्तर पर जो कमी है, उसने काफी चिंता बढ़ा दी है।
आम बजट में कमी
इस साल के बजट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लिए सरकार ने 10 फीसद की कटौती कर इसे 2,400.31 करोड़ रुपए कर दिया, जबकि क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान के लिए 540 करोड़ रुपए की राशि कम की गई थी। इंडियन एअरोस्पेस एंड डिफेंस बुलेटिन की एक रपट में इस बजट पर विस्तार से जानकारी दी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 में आबंटन संशोधित 2024-25 बजट में 2,658.68 करोड़ रुपए की तुलना में कम है। एक अप्रैल, 2025 से शुरू हुए वित्त वर्ष के लिए कुल आबंटन में से, उड़ान को 540 करोड़ रुपए मिलेंगे, जो एक साल पहले की समान अवधि के 800 करोड़ रुपए की तुलना में 32 फीसद कम है।
कर्मचारियों की कमी
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, विमानन नियामक डीजीसीए और बीसीएएस और सरकारी स्वामित्व वाली एएआइ में कर्मचारियों की भारी कमी है। कुल स्वीकृत पदों में से 37 से 48 फीसद पद खाली हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) में 48 फीसद पद खाली हैं, जबकि नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) और एअरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) में यह आंकड़ा 37 फीसद है। अप्रैल में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल द्वारा लोकसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार डीजीसीए में स्वीकृत 1,692 पदों में से 814 पद खाली हैं। बीसीएएस के मामले में 224 रिक्तियां थीं, जबकि स्वीकृत पद 598 हैं। एएआइ में स्वीकृत 25,730 पदों में से 9,502 पद खाली हैं।
बीमा को लेकर चिंता
विमान दुर्घटना के बाद हवाई यात्रा की सुरक्षा और यात्री बीमा के महत्त्व को लेकर चिंताएं उभरी हैं। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या बीमा को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए? विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रियों के लिए बीमा को गंभीरता से लेने का समय आ गया है। सरकारी नियमों का इंतजार करने के बजाय, व्यक्तियों को खुद ही उचित बीमा हासिल करने की पहल करनी चाहिए।
भारतीय एअरलाइन की सुरक्षा
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) भारत में विमानन सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्राथमिक एजंसी है। बीसीएएस हवाई अड्डों और विमानों की सुरक्षा के लिए मानक और उपाय तय करता है। उनकी निगरानी करता है और सुरक्षा सर्वेक्षण करता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय सुरक्षा सहित पूरे नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए नीतियां और नियम खुद बनाता है।
विमानपत्तन प्राधिकरण
भारत में एअरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) मुख्य रूप से हवाई अड्डों के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। एएआइ नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
संकट बरकरार
एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर 787 पर संकट गहरा गया है। विमानन नियामक, भारतीय नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की जांच, तकनीकी खराबी और हवाई मार्ग बंद होने से हर रोज काफी अधिक संख्या में उड़ानें रद्द हो रही हैं। हादसे वाली उड़ान की संख्या बदलकर फिर शुरू की गई सेवा भी एक दिन बाद रद्द करनी पड़ी।
पांच दिन में 66 उड़ानें रद्द
एआइ-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, कंपनी के ड्रीमलाइनर विमानों की उड़ानों पर संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार 17 जून को ही एअर इंडिया की 13 ड्रीमलाइनर उड़ानों को तकनीकी या संचालन संबंधी कारणों से रद्द करना पड़ा। इनमें वह अहमदाबाद-लंदन मार्ग भी शामिल था, जिसे दुर्घटना के बाद नई उड़ान संख्या ए-159 के साथ बहाल किया गया था। इस उड़ान को दोपहर 1:10 बजे रवाना होना था, लेकिन विमान की अनुपलब्धता के कारण उसे तीन बजे तक टालने के बाद अंतत: रद्द कर दिया गया। एअर इंडिया के अनुसार, जिस विमान को भेजना था, वह लंदन से देरी से लौटा। हवाई मार्ग प्रतिबंध और अतिरिक्त सुरक्षा जांचों ने उड़ानों को और बाधित किया है। डीजीसीए के मुताबिक, एअर इंडिया ने 12 जून से 17 जून तक अपने विमानों की 66 उड़ानें रद्द की हैं। इनमें से ज्यादातर ड्रीमलाइनर थीं।
उच्चस्तरीय बैठक
डीजीसीए और एअर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच पिछले दिनों एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें हादसे के बाद सुरक्षा जांच तेज करने के निर्देश दिए गए। भारतीय, अमेरिकी और ब्रिटिश जांच एजंसियों के साथ बोइंग और इंजन निर्माता जीई की टीमें अहमदाबाद में मौजूद हैं।
जांच में समय लगता है
जानकारों का कहना है कि जब अहमदाबाद में ड्रीमलाइनर गिरा तो डीजीसीए ने एअर इंडिया को निर्देश दिए कि वह कंपनी के तमाम बोइंग 787 विमानों की जांच करे। जाहिर है, जांच में समय लगता है। ऐसे में उड़ानें रद्द करने या उनका संचालन सीमित करने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं था। वैसे विमानों के मार्ग बदलने और रद्द किए जाने के पीछे की एक वजह मध्य-पूर्व में जारी तनावपूर्ण स्थितियां भी थीं।
एअर इंडिया का कहना है कि यूरोप और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में रात के समय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इससे भी उड़ानों पर असर पड़ा है।
विमानों की कमी
इसी साल मार्च में एक साक्षात्कार में एअर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने माना था कि उनकी कंपनी विमानों की कमी से जूझ रही है और यह संकट चार साल के बाद ही दूर हो सकेगा। नए विमान आने में पांच साल तक का वक्त लग सकता है। उनका कहना है कि कंपनी के सामने अभी कई चुनौतियां हैं, जैसे-पुराने हो चुके विमान, कल पुर्जों की कमी और उड़ान में देरी जैसी शिकायतें।
डीजीसीए ने रियल-टाइम डिफेक्ट रिपोर्टिंग सिस्टम लागू करने का सुझाव दिया है, ताकि सुरक्षा विभागों को समय पर जानकारी मिल सके। वहीं एअर इंडिया को अभियांत्रिकी, परिचालन और ग्राउंड हैंडलिंग यूनिट के बीच तालमेल बढ़ाने को कहा है। साथ ही कल पुर्जों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया, ताकि यात्रियों को होने वाली परेशानी कम हो। 2024 में संसद में दिए आंकड़ों के अनुसार, एअर इंडिया में तकनीकी या संचालन कारणों से औसतन रोज चार उड़ानें रद्द होती रही हैं।