इन दिनों एक से एक धांसू ‘डायलॉग’ बरसते हैं। सुनते ही ताली मारने और सीटी बजाने का मन करता है। ऐसा लगता है कि हम चुनाव नहीं, कोई सुपर हिट ‘एक्शन थ्रिलर’ देख रहे हों। एक चैनल ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ फिल्म के ट्रेलर के चुनिंदा डायलॉग बजा रहा है। नरेंद्र मोदी का रोल करते विवेक ओबराय मोदी के ही डायलॉगों को बोलते हैं:
– जो देश को चाहते हैं वो और कुछ नहीं चाहते!
– अब तक तुमने हमारा बलिदान देखा है, अब बदला देखोगे!
– अगर तुमने हाथ उठाया तो हाथ काट डालूंगा!
– हिंदुस्तान आतंक से नहीं, आतंक हिंदुस्तान से डरेगा!
विवेक ओबराय का मेकअप मोदी से मिले न मिले, आवाज मिले न मिले, छप्पन इंच की छाती तो मिलती है, तिस पर वही ‘सुपर डूपर हिट डायलॉग’ जो सबकी छाती को छप्पन की बना दें!

सुनते ही भुजाएं फड़कने लगती हैं। और ये तो अभी ट्रेलर है। जब इतने से विपक्ष उखड़ गया है, तो पूरी पिक्चर क्या गजब न ढाएगी?
एंकर फिल्म पर विवाद कराके मजे लेते हैं। एक बहस में, विपक्ष के प्रवक्ता इसे ‘चुनाव आचार संहिता’ का उल्लंघन कहते हैं। लेकिन भक्तजन जवाब देते हैं कि देखिए, भाजपा ने तो फिल्म बनाई नहीं। कुछ स्वतंत्र लोगों ने बनाई है। खेद है कि ये ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ वाले, आजादी के लिए रोने वाले, दूसरे की आजादी के दुश्मन हो रहे हैं। विपक्षी खबर देते हैं कि चार में से तीन निर्माता भाजपा के सदस्य हैं। जवाब में भक्त कहने लगते हैं कि भाजपा ठहरी दस करोड़ सदस्यों की पार्टी, कौन कहां कब क्या करता है, हम कैसे जानें और फिर यह कला की आजादी का भी सवाल है। इसे कहते हैं चित्त भी मेरी, पट्ट भी मेरी!
दो दिन तक कई चैनलों के प्राइम टाइम में कांय कांय मची रही। कुछ रोते रहे, बाकी उन पर मन ही मन हंसते रहे।
कट टू राहुल की प्रेंस कान्फ्रेंस, जिसे देख हमें तो एक डिटर्जेंट टिकिया के विज्ञापन के उस डायलॉग की याद आ गई, जो कहता था : ‘चौंक गए ना?’ ‘न्यूनतम आय योजना’ की घोषणा करके राहुल ने पत्रकारों को ‘चौंकाया’ अवश्य। कई भक्त एंकर और रिपोर्टर झटक गए। कई कहने लगे कि ‘न्याय’ की इस कहानी से क्या ‘राष्ट्रवाद’ की हिट कहानी पिट जाएगी?

इसके आगे फाइट शुरू थी : वही वही तर्क और प्रतितर्क दुहरे कि साठ साल तक क्यों नहीं किया, जो अब ‘धमाका’ कर रहे हो? इसे करोगे कैसे? कहां से पैसा लाओगे? एक एंकर ने हिसाब लगा कर बताया कि यह किन किन योजनाओं को काट कर लाया जा सकता है?
‘धमाके’ की बाकी धमक को अरुण जेटली ने कांग्रेस को ‘ब्लफ मास्टर’ बता कर किनारे कर दिया!
एक ‘विस्फोट’ कपिल सिब्बल ने करने की कोशिश की। ‘नोटबंदी’ में किसने, कैसे और कितने नोट बदले? कपिल सिब्बल ने अठारह मिनट का एक टेप चलाया, जिसे कुछ ने दिखाया, लेकिन एंकरों ने उसे विचार के योग्य नहीं समझा! अगर टेप ‘फेक’ था, तो सिब्बल को पकड़ते और ‘रीयल’ था तो जिसका नाम था उसे पकड़ते! लेकिन ‘सेफ’ खेलने के उस्ताद चैनल चुप लगा गए।

यों भी चैनलों पर दबाव बनाना उचित नहीं। वे जिसे चाहें ‘बड़ी खबर’ बनाएं, जिसे चाहें न बनाएं, उनकी मर्जी। हां, अगर कांग्रेस की कुटाई वाली कोई कहानी हो, तो हमें जरूर बताएं। हम उसे तुरंत उठाएंगे। असली खबर वह, जिसमें कांग्रेस या आप पार्टी की कुटाई हो, बाकी क्या खबर? कैसी खबर?
इसके बाद ‘टाप क्लास संस्पेंस’ और सनसनी से भरपूर वह सुबह आई, जब प्रधानमंत्री के एक ट्वीट ने सभी एंकरों-रिपोर्टरों को एकदम नर्भसाय दिया। सुबह ग्यारह बजे ट्वीट किया कि आज मैं ग्यारह से बारह के बीच आपसे कुछ कहूंगा। प्रधानमंत्री का ट्वीट आना था कि एंकर-रिपोर्टरों को ब्लडपे्रसर का दौरा पड़ गया कि पता नहीं प्रधानमंत्री अब क्या करने वाले हैं!
हजार तरह की आशंकाएं, हजार तरह के डर, हजार तरह की अफवाहें कि पता नहीं क्या होने वाला है? मोदी न जाने क्या करने वाले हैं? कहीं पाकिस्तान से जंग तो नहीं होने वाली? कुछ ने तो ‘एक्सपर्टों’ की सलाह तक लेनी शुरू कर दी।
बहरहाल, जब प्रधानमंत्री ने बताया कि डीआरडीओ ने अंतरिक्ष में तैर रही एक पुरानी सेटेलाइट को एक मिसाइल से ध्वस्त कर दिया है, तब जाकर चैनलों की उखड़ी सांस वापस आई।
इसके बाद हर चैनल में भारत विश्व की चौथी ‘महाशक्ति’ बन चुका था। कुछ देर पहले तक डरे हुए शूरवीर एंकर अपनी बगलें बजाने लगे, मानो उन्हीं ने मिसाइल दागी हो।
लेकिन सर जी! हमारा सुझाव है कि समय रहते किसी मनोचिकित्सक से अपने नर्भसायमान सिस्टम को दुरुस्त करा लें। जब एक ट्वीट ने आपकी यह हालत कर दी तो ‘आगे कौन हवाल?’

फिर वृहस्पति के दिन प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक तीन रैलियां कर डालीं और एक से एक धांसू डायलॉग मार दिए। जवाब में सुरजेवाला मोदी को उनकी भाषा के लिए कितना भी कायल करें, लेकिन मोदी सिर्फ डायलॉग नहीं मारते, वे उनको ‘चिपकाते’ भी हैं। कुछ चुटीले डायलॉगों का मुलाहिजा फरमाएं :
– सपूत से सबूत मांगते हो… (तालियां)
– चौकीदार हिसाब बराबर करेगा… (तालियां)
– अपना हिसाब दूंगा और उनका हिसाब लूंगा।
– सपा का ‘स’, आरएलडी का ‘रा’ और बसपा का ‘ब’ यानी ‘सराब’ (शराब)से बच कर रहें।
2019 का चुनाव ऐसे ही ‘ डायलॉग’ तय करने वाले हैं!