रिया का फ्लैट! प्रवेश द्वार पर लोहे का दरवाजा। एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते कैमरामैन!दो रिपोर्टर एक तगड़े से बंदे को वहां खड़े देख आक्रामक हो उठते हैं : बताइए आप यहां क्यों खड़े हैं? रिया कहां है? ताला क्यों लगा रहे हैं? वह बंदा एक शब्द नहीं कहता, लेकिन रिपोर्टर उसके मुंह में गनमाइक ठूंसते रहते हैं कि बताओ रिया कहां है? ये देसी ‘पापराजी’ है!
एक चैनल तीन दिन से हैशटैग चला रहा है : ‘अरेस्ट रिया’! अगली लाइन पिता की कि ‘अरेस्ट रिया’। रिया को गिरफ्तार करो! ये ‘लिंच हैशटेग’ हैं। सारे चैनल सुशांत को ‘तुरंता न्याय दिलाने पर तुले हैं। रिया उनके लिए पहले दिन से ‘खलनायिका’ है, जो एक ही साथ ‘विषकन्या’, ‘ड्रग सप्लायर’, ‘अंडरवर्ल्ड कनेक्टेड मर्डरर’, ‘काला जादू करने वाली’, ‘डायन’ (विच) है, जिसे वे तुरंत ‘लिंच’ कर देना चाहते हैं।
लिंचरों में प्रतियोगिता है: किसने पहले लिंच किया? किसने उसे अंदर करवाया! इसी के दाम हैं। इस ‘मर्डर मिस्ट्री’ को गहराने के लिए नए-नए रहस्य खोले जा रहे हैं, कि मर्डर के तार दुबई के दाउद से जुड़े हैं, कि ड्रग माफिया सक्रिय है, कि जिस दिन मरा है उस दिन उसकी ‘आठ हार्ड डिस्कें’ जबरिया तरीके से साफ की गई हैं, ताकि सबूत न रहे।
शुरू में ईडी, फिर ‘सीबीआइ टीम’, और अब ‘नारकोटिक्स टीम’ भी एक साथ सक्रिय हैं। एक भाजपा-नेता ने ‘एनआइए’ की जांच की मांग भी कर दी है। बीच-बीच में कोई यह भी कह उठता है कि जब तक बिहार का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक यही ‘लिंच राग’ बजना है। ‘लिंच राग’ नया राग है। इसी का मार्केट है। इसी का मजा है। इसमें एंकरों के अहंकार की भी टक्कर साफ नजर आती है!
नीरज, पिठानी, मिरांडा, केशव, संदीप के ‘विजुअल्स’ दिन-रात मिक्स किए जाते हैं। सीबीआइ की तफ्तीश जारी है, लेकिन बाहर कुछ नहीं आ रहा। इस कारण सारे ‘गोपीचंद’ बौखलाए दिखते हैं।
इस मामले को लेकर चैनलों में पहले दिन से ‘कंपटीशन’ है, जो अब एंकरों की ‘फाइट’ से आगे उनकी ‘रंजिश’ तक में बदल रहा है। इस रंजिश का बदलेखोर चेहरा वृहस्पतिवार की शाम सात बजे तब दिखा, जब एक नामी चैनल का नामी एंकर रिया के साथ एक घंटे पैंतालीस मिनट की ‘एक्सक्लूसिव’ बातचीत दिखाने लगा। यह इस ‘महा मर्डर मिस्ट्री’ की ‘द मोस्ट वांटेड’ रिया चक्रवर्ती का सत्तर दिनों में पहला इंटरव्यू था।
रिया की कहानी उसी की जुबानी पहली बार प्रसारित हुई और देखते-देखते एक एंकर का अहंकार इस कदर आहत होता दिखा कि जब वे अपने ‘हैशटेग : अरेस्ट रिया’ में ‘रिया से न पूछे गए सौ सवाल’ पूछने लगे तो शुरू से आखिर तक इस कदर गुस्साए रहे कि समझ न आया कि वे अपने पर नाराज हो रहे हैं कि रियावादी एंकर की ‘रिया से बातचीत’ की ‘तुरुप चाल’ पर! इसे देख एक पैनलिस्ट ने रियावादी एंकर पर आरोप लगाया कि यह इंटरव्यू ‘पेड’ था। चैनल बताए कि कितने पैसे लिए-दिए गए?
क्या अदा है? कंगना का इंटरव्यू एकदम ‘निष्पक्ष’ और रिया का इंटरव्यू ‘पेड व प्लांटेड’! चैनलों की चक्की में सुशांत-रिया का मामला पिस रहा है। जब ‘दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय’ तो ‘दस पाटन के बीच में’ क्या साबुत बचना है?
इंटरव्यू में रिया जितनी देर बोली, पूरे आत्मविश्वास से बोली। कई बार वह रोई भी। इस सबसे उसे तटस्थ दर्शकों की यथोचित सहानुभूति भी मिली हो सकती है। जितने आरोप अब तक लगे, सबका उसने तर्क सहित खंडन किया। सभी आरोपों को झूठ, मनगढ़ंत और बदनाम करने वाला बताया। सुशांत ‘क्लॉस्ट्रापफोबिक’ था, ‘डिप्रेशन’ और ‘बाईपोलर’ व्याधि से पीड़ित था, लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं रहता था। बीच-बीच में सामान्य नजर आने लगता था। मैं उसकी मदद करती थी, क्योंकि मैं उसे प्यार करती थी। मुझे जब एक शूट के लिए पेरिस जाना था, तो सुशांत ने उसे अपने ‘यूरोप ट्रिप’ में बदल दिया।
वहां ‘गॉथिक’ डिजाइन के होटल में टिके, जहां वह चैन से न सो सका। हम परेशान हुए। मेरे भाई को उसी ने बुलाया। उसने सत्तर लाख खर्च किए। वो शाही मिजाज का था। ‘किंग साइज लाइफ’ जीने में यकीन करता था। एक बार अपने दोस्तों को थाईलैंड भी ले गया था, जहां उसने सत्तर लाख रुपए खर्च किए थे। वह छोटे शहर से आया था, मैं भी छोटे शहर की हूं। न मैंने उसके घर में किसी को नियुक्त किया, न निकाला। जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब हुई, तो मैंने मनोचिकित्सकों को दिखाया, उन्होंने दवाएं दीं। दवा अक्सर वह खुद ही लिया करता था।
मैं उसे दिल से प्यार करती थी, वह भी करता था। मैं एक ‘छोटा सुश’ भी चाहती थी। हो सकता है, परिवार वालों को यह सब पसंद न रहा हो। उसके साथ जो कंपनी बनाई, उसमें मेरा और भाई का हिस्सा मैंने खुद दिया। कंपनी ने एक पैसे का लेन-देन नहीं किया। सब ‘चैट्स’ और ‘एकाउंट रिकार्ड्स’ मेरे पास हैं। उसके खाते से पंद्रह करोड़ रुपए ट्रांसफर करने की बात निरी बकवास है।
सारे दस्तावेज मैंने ‘ईडी’ को दिए हैं। सीबीआइ को भी दूंगी। वह अपने पिता को पसंद नहीं करता था। एक बार उसकी बहन ने मुझे ‘सेक्सुअली हरेस’ भी किया था। उसके सपने थे। प्लान थे। आठ जून को उसने मुझे घर से जाने को कह दिया। मेरा दिल टूट गया। महेश भट्ट को वह भी बहुत मानता था। वे मुझे बेटी की तरह मानते हैं। उन्होंने मुझे तसल्ली दी।
सब ‘चैट्स’ के ‘रिकार्ड्स’ हैं। जिससे प्यार करती थी, उसके आखिरी दर्शन के लिए ‘मोर्चरी’ जाना क्या गलत है? उसे देख ‘आयम सारी बाबू’ कहना और पैर छूने में क्या गलत है? सब मेरे पीछे पड़े हैं! क्या मुझे अपने को निर्दाेष सिद्ध करने का हक नहीं? मुझे भी न्याय चाहिए। मुझे ईडी, सीबीआइ, अदालत पर भरोसा है। और अंत में एंकर के ‘सत्यमेव जयते’ कहते ही उसने कहा : ‘सत्यमेव जयते’! एक और चैनल ने भी उससे बात की।
शुक्रवार की सुबह रिया को सीबीआइ ने पूछताछ के लिए जैसे ही बुलाया, वैसे ही सारे कैमरे उसका पीछा करते दिखे! गुस्से में उसने कार के शीशे पर कुहनी मारी! न पूछें कि रिया को गुस्सा क्यों आता है?