अम्मा चिन्नम्मा, अम्मा देवी, चिन्नम्मा खलनायिका, अम्मा अम्मा अम्मा अम्मा, चिन्नम्मा चिन्नमा। अम्मा ठीक। चिन्नम्मा गलत! क्या अम्मा के घर का काम करने वाली सीएम बनेगी? हम पर राज करेगी? एक आकांक्षी कैंडीडेट ने यह बोला तो चैनलों की बन आई और फिर दे मार यही लाइन बार-बार कि क्या घर की नौकरानी सिर पर बैठेगी? ऐसी वर्ग-द्वेषवादी और मिसोजिनिस्टिक लाइनें देख कर भी जिन स्त्रीत्ववादियों का दिल न बोला और न बोल कर पोलिटीकली करेक्ट रह कर एंकर, रिपोर्टर और विचारकों ने अपनी क्रांतिकारी भूमिका निभाई, उनको हमारा नमन! शशिकला का सौभाग्य कि पहले क्षण से वे पांचों अंगरेजी चैनलों के लिए खलनायिका ही बनी रहीं। वे मन्नारगुड़ी माफिया की मल्लिका बताई गर्इं। पापिन बताई गर्इं। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी बताई गर्इं। सारे चैनल राजनीति को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के पवित्र कर्म में जुटे रहे, उनके एंकरों की, रिपोर्टरों की टिप्प्णियों से लगता रहा कि कुछ भी हो जाए, वे शशिकला को सीएम नहीं बनने देंगे। एक टिप्पणीकार ने जरूर कहा कि मीडिया ओपीएस, डीएमके और भाजपा की लाइन ले रहा है! तटस्थता के दावेदार एंकर अगर वक्त पड़ने पर इतना भी पुण्य न कमाएं, तो काहे को एंकर?
तमिल राजनीति ने अभिव्यक्ति की आजादी के हामी एंकरों, रिपोर्टरों तक को विभाजित कर दिया! लगभग हर बाइट शशिकला को खलनायिका बनाती रही। अपने खुले पक्षपाती रवैए पर जब कुछ शर्म लगी, तो कभी-कभी कुछ बैलेंसिंग की। इसके लिए वे सुब्रह्मण्यम स्वामी और वकील संजय हेगड़े की शरण जाते और उनसे बाइटें लेते।
तमिल राजनीति की दस दिन तक लाइव प्रसारित इस वृहद् कलह-कथा में सुब्रह्मण्यम स्वामी और संजय हेगड़े संवैधानिकता की रक्षा करने के लिए राज्यपाल को कहते रहे, लेकिन एंकरों को तो शशिकला को निपटाना था, सो धुलाई करने में लगे रहे! अदालत के फैसल में जो अपराध शशिकला के बताए गए उससे कम अपराध शायद जया के भी नहीं रहे होंगे, लेकिन मजाल कि किसी ने फैसले में जया के बारे में की गई टिप्पणियों को अपेक्षित जगह दी! लेकिन शशिकला भी किसी हंटर वाली से कम नहीं नजर आर्इं। वे रिसॉर्ट में जाकर बोलती दिखीं कि पार्टी को बचाने के लिए अपनी जान दे सकती हैं और कि ओ. पन्नीरसेलवम ‘गद्दार’ हैं। एमएलए उनकी तारीफ में ताली पीटते दिखते!
शशिकला ने जब कहा कि वे औरत हैं और राजनीति में औरतों को बहुत झेलना पड़ता है, तो इस पर किसी चैनल ने ध्यान नहीं दिया, इसे ड्रामा बताया जाता रहा।
लेकिन इस हंटर वाली ने भी हार नहीं मानी। वे जेल गर्इं, लेकिन जेल जाने से पहले जया की समाधि पर उन्होंने तीन बार जोर से हाथ मार कर पार्टी के गद्दारों से बदला लेने की जो तीन बार सौगंध खाई, वह देखने योग्य थी, लेकिन इसे दिखाया सिर्फ इडिया टुडे के राजदीप ने, अपने खबर कार्यक्रम में! यह बदले की सौगंध थी: ‘जब तक गद्दारों से बदला नहीं ले लेती, तब तक चैन से न बैठूंगी’ जैसा भाव था। वे जो तमिल में बोली थीं, उसमें कुछ ऐसा ही क्षुब्ध किंतु दृप्त क्रोध था! जेल जाने के बाद भी अंगरेजी चैनलों ने शशिकला का पीछा नहीं छोड़ा। एंकर अपनी-सी करते रहे। वे शशिकला द्वारा नामित नए सीएम कैंडीडेट पलनीसामी को उनकी कठपुतली, उनका चमचा कहते रहे और पलनीसामी के शपथग्रहण के बाद भी शशिकला और पलनीसामी को ठोंकने से बाज नहीं आए! इनमें से स्वनियुक्त नैतिकतावादी दारोगा चैनल ने बार-बार लाइनें लगाई कि क्या प्रॉक्सी राज चलेगा? यह जनादेश का अपमान है। तमिल जनता की भावनाओं के खिलाफ है! अरे दारोगा चैनलजी! किसी प्रदेश का सीएम क्या तुम तय करोगे? यह पत्रकारिता है या ठेकेदारी? ऐसे खुले पूर्वाग्रही एंकर किसी चैनल को कहां ले जाएंगे। लेकिन सीएम बनवाने के इस खेल में दो अंगरेजी चैनल पहले वाले से कंपटीशन में रहे!
यूपी के दूसरे चरण के चुनाव ने तमिल कथा से कुछ देर मुक्त किया। यहां भी एक दारोगा एंकरजी ने एक अजीब-सी लाइन लगा कर दो पैनलिस्टिों से फटकार खाई, पर लाइन फिर भी न हटाई! लाइन थी: ‘माइनारिटी डिसाइड्स मेजॉरिटी’? यह यूपी के चुनावों का विश्लेषण कम और ‘मेजॉरिटीवादी’ लाइन का प्रसारण ज्यादा लगता था! ऐसी घोर राजनीतिक लाइन के आगे ‘प्रश्नचिह्न’ लगा देने से लाइनों के माने नहीं बदल जाते! देशभक्ति की बात आए तो चैनल भी दारा सिंह की भाषा बोलने लगते हैं। आतंकवादियों के साथ कश्मीर के स्थानीय लोगों के प्रदर्शन करने के घातक परिणाम को देख कर सेना के चीफ ने एलान किया कि स्थानीय लोग हमारे एक्शन में बाधा बनते हैं। इनके कारण कैजुअल्टीज अधिक होती हैं। जो आइएसआइएस के झंडे लेकर प्रदर्शन करेंगे, हम उनको राष्ट्रविरोधी मानेंगे। हम ऐसे बाधा डालने वालों का पीछा करेंगे! सुनते ही चिदंबरमजी एनडीटीवी को बाइट दिए कि ऐसे अलफाज ‘इंटेंपरेट’ हैं! एनसी ने कहा, सेना को ‘किल’ करने का लाइसेंस नहीं है! इंडिया टुडे के एक एंकर ने प्राइम टाइम में लाइन लिखी: गद्दार-राजनीति बंद करो! पाक-झंडे फहराने वालों का समर्थन बंद करो! टाइम्स नाउ ने लिखा: नेता सेना का अपमान करते हैं। नेता उनको (सेना के चीफ) को संवेदनहीन मानते हैं! एनकाउंटर पर ऐसा एनकाउंटर उलटा पड़ता है! उद्धव ठाकरे टाइम्स नाउ पर भाजपा-मोेदीजी को कोसते दिखे और महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की धमकी देकर गए! अगले रोज टाइम्स नाउ ने सोशल मीडिया में हिट शिवेसना पर बने कार्टून ‘खाऊ सेना’ को बार-बार दिखाया! जवाब में शिवसेना किसका कार्टून बनाती है, यह दर्शनीय होगा! न्यूज एक्स ने बताया कि नीतीशजी ने उवाचा है: न पीऊंगा न पीने दूंगा! बिहार के अफसरों को बिहार के बाहर भी नहीं पीने दूंगा! लेकिन नीतीशजी, किसने कब कहां कैसे पी, इसका पता कैसे करोगे? और, ‘मैं पीता नहीं हूं पिलाई गई है’, गाने वालों को कैसे पकड़ोगे?

