एक एंकर बुराड़ी के मोक्ष-घर की कहानी सौवीं बार बता रहा है, कि कहने लगता है कि एक ब्रेकिंग न्यूज आ रही है, कि नवाज शरीफ को दस साल की सजा हो गई है। उनकी बेटी को आठ साल की हो गई है! इसी वक्त दूसरा चैनल भी इसे ‘ब्रेक’ करता है कि शरीफ को दस साल की हुई, लेकिन बेटी को सात साल की हुई है। देखा चमत्कार! एक चैनल से दूसरे तक आते-आते सजा का एक साल कम हो गया! बुराड़ी का फांसीघर। ‘हाउस ऑफ हारर’। मोक्ष घर! सात दिन से कहानी छाई हुई है। चैनलों की मौजें आ गई हैं। इस कहानी ने सारे ‘सनसनी एक्सपर्टों’ और ‘सावधान इंडिया’ टाइपों तक को सनसना दिया है।

सात दिन बाद भी चैनल इस आत्महंता कहानी को बार-बार बेचे जा रहे हैं। एक चैनल ने तो इसका नाटकीय रूपांतरण करके भी दिखाया है। यह खतरनाक है। मोक्ष की यह कहानी पहले से ही लिख दी गई है। सामूहिक आत्महत्या की योजना की दैनिक तैयारी के सूत्रों से रजिस्टर पर रजिस्टर भरे हैं। सब कुछ रजिस्टरों के हिसाब से किया गया लगता है। ललित द्वारा एक एक कदम बता कर ग्यारह लोगों को मोक्ष-द्वार तक ले जाया गया है। ललित परिवार की आत्माओं को मोक्ष दिलाने के लिए बरसों से ‘डिक्टेशन’ देता आ रहा है। बहन लिखती जा रही है।

यह ‘टेक्स्ट-बुक’ के अनुसार एक सुनियोजित ‘मास सुसाइड’ है। चैनल भौचक हैं। क्या पढ़े-लिखे खाते-पीते परिवार में भी यह सब हो सकता है? ग्यारह लोग! ग्यारह पाइपें! ग्यारह ग्रिलें! ऐसे ऐसे करना है और सब मोक्ष के लिए खुशी से तैयार! किसी हालीवुडिया हारर फिल्म के दृश्यों की तरह कहानी खुलती है। कई कई सीसीटीवी फुटेज हैं। घर की दो औरतें उन स्टूलों को लेकर आ रही हैं, जिन पर कुछ देर बाद चढ़ कर लटकना है और कोई चिंता नहीं है। कैसी लोमहर्षक मरणेच्छा! कैसी स्वसमाधि! कैसी आत्महंता इच्छा! कहीं यह मरणेच्छा कोई बड़ा रूपक तो नहीं? सारे देश को हिला कर चले जाते हैं ग्यारह लटके हुए लोग! इंडिया टुडे बताता रहा कि रजिस्टर की ‘टेक्स्ट’ को ‘डिकंस्ट्रक्ट’ करके पुलिस बता रही है कि ललित मास्टर माइंड था। उसे पिता का अवतार मान लिया गया था। वही मोक्ष की क्रियाएं बताता था। वह ‘साइकोटिक डिसआर्डर’ का शिकार था। सब उसके वश में रहते थे। वही आत्महंता विचार और क्रियाओं को ‘डिक्टेट’ करता था। उसकी बात सब आंख मूंद कर मानते थे। आत्माएं मोक्ष चाहती हैं। वह समझता था कि लटक कर भी आत्माएं वापस लौट आएंगी।

कुछ कुछ ‘हिचकॉकियन’ फ्रेम लगता है। ‘साइको’ वाला केस लगता है। प्रतीक्षा करें। मोक्षिस्तान की यह कहानी अभी और खुलनी है। एक ट्रोलिस्तानी ने कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी की बेटी को बलात्कार करने की धमकी दी, तो प्रियंका ने एफआइआर कराई। हाई प्रोफाइल केस होने के कारण पुलिस हरकत में आई और अगले ही दिन ट्रोलिस्तानी को धर पकड़ा। चैनल में वह बड़ी अकड़ से बैठा दिखा। उसने अपना चेहरा छिपाया नहीं। ऐसी हेकड़ी बिना वजह नहीं आती। वह अपने रुतबे को जानता लगा, मानो कहता हो ट्रोलिस्तान जिंदाबाद! इसी सप्ताह एक चैनल ने इस देश को ‘लिंचिंस्तान’ का नाम दिया। एंकर आंकड़े दिखा कर बताती रही कि मई के बाद उन्नीस लोग भीड़ों ने पीट-पीट कर मारे हैं। सबका तरीका एक जैसा है। किसी भी अजनबी को सोशल मीडिया पर अफवाहें फैला करके बच्चा चोर कह कर लक्ष्य बनाया जाता है। भीड़ टूट पड़ती है और अपनी वीरता का बाजाप्ता वीडियो बनाती है और उसे वायरल करती है, ताकि अपनी ‘हीरोइक्स’ को दिखा सके। पुलिस कई बार तुरंत कुछ नहीं करती, कई जगह सिर्फ लाचार नजर आती है।

हम एक नए लिंचिस्तान में हैं। एक चैनल पर एक प्रवक्ता शंका जताता है कि पहले गोरक्षा के नाम पर लिंचिस्तिान बनता था, अब बच्चा चोर के नाम पर बन रहा है। चर्चाएं थमती नहीं कि एक अंग्रेजी चैनल ताजातरीन लिंचिग की तैयारी के फुटेज दिखाता है। फुटेज में तीन गेरुआ वस्त्रधारी बाबा भीड़ द्वारा घेर लिए गए दिखते हैं। उनके हाथ बांध दिए जाते हैं कि सेना के कुछ जवान उनकी जान बचाते हैं। क्या यही नया इंडिया है? दिल्ली के लिए एक राहत भरी कहानी बड़ी अदालत बनाती है। वह केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच फैसला करती है कि तीन विषयों के अलावा बाकी सारे विषयों में दिल्ली की चुनी सरकार का फैसला मान्य होगा। उपराज्यपाल बाधा नहीं बन सकते। केजरीवाल की फतह!

एक अंग्रेजी चैनल ने एक जाने-माने अभिनेता से बातचीत की, तो मालूम हुआ कि बालीवुड तक इस कदर उदार और वामपंथी हो चुका है। अभिनेता को राष्ट्र और राष्ट्रवाद पर बात करने के ‘अपराध’ में काम से वंचित करने लगा। कैसा गजब! ये तो ‘रिवर्स फासिज्म’ किस्म का जुल्म हुआ! जब एंकर ने पूछा कि ऐसे लोगों के नाम बताइए, तो नामी अभिनेता गोल कर गया! अब यही अदा तो मारक है कि अपने को पीड़ित तो दिखाते हैं, लेकिन शिकारी का नाम लेने से कतराते हैं।