कुछ बड़ा होने वाला है। कुछ बहुत बड़ा होने वाला है।… तीन दिन तक यही लाइनें सबको हैरान करती रहीं। यह एक बहत्तर घंटे लंबी ‘सस्पेंस’ फिल्म थी। क्या होने वाला है? इसे कोई नहीं जानता था। किसी विश्वसनीय जवाब के अभाव में अफवाह का बाजार गर्म होता रहा। चैनलों की बहसों में लोग एक-दूसरे से लड़ते रहे कि क्या होने वाला है? पांच अगस्त से पहले तक यह लंबा रहस्य रोमांच बनाए रखा गया। यह एक जोखिम भरी स्थिति थी, लेकिन इसे वैसे ही रहने दिया गया। सूचना प्रसारण मंत्रालय तक खामोश रहा।

कभी कोई भक्त चैनल उछाल देता कि ‘पैंतीस ए’ पर अध्यादेश आने वाला है। कभी कोई कह उठता कि तीन सौ सत्तर पर आने वाला है। कभी कोई कहता कि सीमा पर कुछ हो सकता है। जवाब में कश्मीरी दलों के प्रवक्ता जूझ मरते कि आप इन धाराओं को हाथ तक नहींं लगा सकते। इनके हटते ही कश्मीर अलग हो जाएगा। एक दिन महबूबा मुफ्ती ट्वीट कर धमकाती रहीं कि अगर किसी ने पैंतीस ए को छेड़ा तो छेड़ने वाले के हाथ ही नहींं, वह खुद भी बारूद से जल जाएगा।…

शून्य बना रहा, लेकिन पक्ष-विपक्ष में बहसें जारी रहीं। हम ‘सूत न कपास आपस में लट्ठमलट्ठा’ होते देखते रहे, लेकिन यह कोई न बताता कि ठीक-ठीक क्या होने वाला है? अफवाहें उड़ती रहतीं। किसी ने न चाहा कि अफवाहें बंद हों। सोशल मीडिया बावला बना रहा। एक से एक बड़ी अफवाह कि पाक से दो-दो हाथ होने वाले हैं, इसीलिए तो सत्ताईस हजार फौजी भेजे गए हैं। एक दिन हर चैनल पर इसी पर बहस होती रही कि कश्मीर में कितने सैनिक हैं? टीडीपी वाले कहते कि दस लाख हैं। विशेषज्ञ साफ करते कि कुल दो-सवा दो लाख पलटन है कश्मीर में। कोई विशेषज्ञ कहता कि पाक पीएम इमरान ने कहा है कि चालीस हजार पाकिस्तानी प्रशिक्षित आतंकी भारत की सीमा में घुसने को तैयार खड़े हैं, उनको रोकने के लिए ये सैनिक भेजे गए हैं। एक दिन खबर आई कि हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान के पांच ‘बैट’ सैनिक मार दिए हैं, कि बाफोर्स तोप अंदर तक मार कर रही है।

क्या यही है, जो बड़ा होने वाला था? क्या युद्ध होने वाला है? इस बीच उस अफसर को सरकार ने हटा दिया, जिसने कुछ पहले कश्मीरियों को चार महीने का एडवांस राशन-पानी इकठ्ठा करने को कहा था, लेकिन आखिर में तो वही होता दिखा, जो उस अफसर ने कहा था। अंदर की बात शायद ‘लीक’ हो गई! इसीलिए दंड का भागी हुआ। लेकिन सस्पेंस फिर भी बना रहा। देश हिलता रहा। हर आदमी डरता रहा और डर-डर के पूछता रहा कि क्या होने वाला है? लेकिन कोई न बताता कि क्या होने वाला है। इससे ऊबते तो चैनल बाढ़ों की खबर देने लगते।

चार अगस्त की शाम को गृहमंत्री के पीएम से मिलने की खबर टूटी कि कल सुबह गृहमंत्री संसद में बोलेंगे। पांच की सुबह गृहमंत्री प्रसन्न वदन संसद पहुंचते दिखे। उनके दाएं हाथ में कुछ कागज थे। एंकर बताते रहे कि कैमरों के आगे गृहमंत्री बहुत ही खुश नजर आ रहे हैं, लेकिन यह फिर भी कोई न बता सका कि आगे क्या होने वाला है? एकदम ‘हिचकाकियन थ्रिलर’ की तरह सब कुछ रहस्यमय रहा। चैनल गृहमंत्री को सुनने के लिए भूमिका बांधते रहे कि इंतजार करें कि राज्यसभा में अब गृहमंत्री बोलने वाले हैं। और सुबह के ग्यारह बजते ही राज्यसभा में गृहमंत्री ने धमाका कर दिया कि वे तीन प्रस्ताव और दो बिल पेश करने वाले हैं। धारा तीन सौ सत्तर हटाई जानी है। तीन सौ सत्तर हटेगी, तो ‘पैंतीस ए’ अपने आप निरस्त हो जाएगा और जम्मू कश्मीर केंद्र शासित के साथ लद्दाख भी केंद्र शासित हो जाएगा।

राज्यसभा में बहस शुरू हो गई। गृहमंत्री की एक एक लाइन पर चर्चा शुरू हो गई कि कश्मीर का टंटा हमेशा के लिए आज खत्म हो जाएगा। कश्मीर का विलय हो जाएगा या कि एक नई समस्या खड़ी हो जाएगी या कि जैसा कि राजद के मनोज झा ने कहा कि उनको डर है कि एक दिन कश्मीर कहीं ‘पैलेस्टाइन’ न बन जाए! गृहमंत्री के प्रस्ताव इतने हिलाने वाले थे कि समूची राज्यसभा हिल उठी। विपक्ष सकते में था और क्षुब्ध था। उसका मानना था कि अगर ऐसा कदम उठाना था तो पहले कश्मीर के ‘स्टेक होल्डरों’ से बात करते कि इससे कश्मीर हाथ से निकल सकता है।… एक अंग्रेजी एंकर खुद ही सरकार बन गई और पूछने लगी कि कश्मीर में किससे बात करते? क्यों आतंकियों से बात करते?

हर दल बोला- एक दल ने ‘वाकआउट’ किया। कुछ दल जानबूझ कर अनुपस्थित रहे। जो एंकर कल तक जिज्ञासा में मरे जा रहे थे कि क्या होने वाला है, वही कहने लगे कि नया कश्मीर बनने वाला है कि कश्मीर अब सचमुच में ‘मुक्त’ होने वाला है।

पूरे दिन की बहस का गृहमंत्री ने दो-टूक जवाब दिया। कश्मीर की दयनीय स्थिति के लिए उन्होंने हर लाइन में धारा तीन सौ सत्तर को जिम्मेदार ठहराया। कश्मीर की जनता को गरीब और पिछड़ा बनाए रखने का सबसे बड़ा कारण धारा तीन सौ सत्तर है। उसे हटाए बिना कश्मीर का विकास संभव नहींं। पीएम की मौजूदगी में सभी विधेयक और प्रस्ताव दो-तिहाई मतों से राज्यसभा में पारित हुए। तीन सौ सत्तर पर कांग्रेस दो फाड़ होती दिखी। विधेयक लोकसभा में भी पास हुए। आठ अगस्त को पीएम ने कश्मीरी जनता को आश्वस्त किया। नौ अगस्त को करफ्यू में कुछ ढील दी गई, लेकिन लोग कम ही दिखे। आगे क्या होगा?
कश्मीर कथा अभी बाकी है मेरे दोस्त!