आभासी दुनिया में सोशल मीडिया की गतिविधियां वास्तविक धरातल पर भी लोगों के मन-मस्तिष्क को जकड़ चुकी है। आभासी संसार में आए दिन किसी न किसी चलन में लोगों की भागीदारी हैरान-परेशान करने वाली होती है। कभी विशेष परिधान पहन कर तस्वीरें साझा करने का चलन चल पड़ता है, तो कभी रंगों-रेखाओं में अपनी छवि को ढालने का जुनून हर ओर छा जाता है।
कभी विशेष तरह की सेल्फी, तो कभी खास तरह के वीडियो। देखने में आता है कि हर आयु वर्ग के लोग चर्चा में आने वाले आभासी चलन का मार्ग पकड़ लेते हैं या ऐसा कहें कि उस चलन की राह पकड़ कर उसे चर्चा में ले आते हैं। निजी जानकारियों, तस्वीरों और अन्य कई तरह के डाटा साझा करने से जुड़े अनगिनत खतरों के बावजूद नासमझी का यह बर्ताव अब आम हो चला है।
जाने कैसी होड़ है कि कोई पीछे नहीं रहना चाहता
बीते दिनों कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से अपनी तस्वीरों को ‘घिबली’ छवि में बदलने का नया चलन सामने आया। कुछ समय पहले साड़ी पहन कर अपनी तस्वीर साझा करने के चलन यानी ‘साड़ी चैलेंज’ का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा था। इतना ही नहीं, पर्व-त्योहारों से लेकर शादी समारोह और यात्राओं तक से जुड़े विशेष चलन तो सामने आते रहते हैं। ‘मी एट ट्वेंटी’ जैसे चलन में लोग बीस साल की उम्र की अपनी पुरानी तस्वीरें और वीडियो साझा कर रहे हैं। ऐसे सभी चलन में वीडियो और तस्वीरों में दिखता एक खास अंदाज हर ओर छा जाता है। जाने कैसी होड़ है कि कोई पीछे नहीं रहना चाहता।
जापान के प्रसिद्ध एनिमेशन स्टूडियो ‘घिबली’ से अपनी छवि बनाने की धुन लोगों पर ऐसी सवार हुई कि ‘चैटजीपीटी’ का सर्वर ही बैठ गया। ‘चैटजीपीटी’ बनाने वाली कंपनी ओपन एआइ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैम आल्टमैन ने बाकायदा उपयोगकर्ताओं से थोड़ा संयम बरतने की अपील की। आल्टमैन ने सोशल मीडिया पर लोगों से सहज और विनोदपूर्ण अंदाज में कहा कि ‘क्या आप सभी कृपया तस्वीरें बनाने में संयम बरत सकते हैं! हमारे समूह को थोड़ी नींद की जरूरत है।’ देखा जाए तो हास-परिहास के अंदाज में किया गया यह आग्रह सोशल मीडिया के चलन में जकड़ती हुई समझ को लेकर गंभीरता से सोचने को विवश करता है।
विडंबना ही है कि किसी चलन पर चल पड़ने की इस आपाधापी में लोग निजता के अर्थ भी भूल रहे हैं। उपयोगकर्ता स्वयं अपनी निजी जानकारियां आभासी दुनिया तक पहुंचा रहे हैं। हर तरह के आभासी चलन का अनुसरण करने की आतुरता बताती है कि यह संसार इंसानी मन-जीवन को नियंत्रित करने लगा है। जबकि ऐसे चलन जीवन को जोखिम में डालने वाले साबित हो रहे हैं। कहीं विशेष तरह की सामग्री तैयार करने के लिए अजब-गजब हरकतें कर दुर्घटनाओं को न्योता दिया जा रहा है।
कहीं निजी सूचनाएं साझा करना अपराध के रास्ते खोल रहा है। दरअसल, शुरुआती दौर में उपयोगकर्ता के व्यवहार और उपभोक्ता आदतों एवं रुचियों को जान कर व्यावसायिक रणनीति बनाने में मदद ली जाती थी, पर अब तो स्थितियां आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तक जा पहुंची हैं। चिंतनीय है कि मनोवैज्ञानिक मोर्चे पर भी ऐसे चलन बहुत से लोगों को असहज करने वाला परिवेश बनाते हैं। ऐसी गतिविधियों में भागीदार न बनने वाले लोगों को औरों से पीछे छूटने की अनुभूति घेरने लगती है।
घिबली का जब इस्तेमाल बढ़ा तो महाराष्ट्र साइबर विभाग ने कुछ सुरक्षा सलाह की सूची जारी की थी। इसमें घिबली कला के जरिए भारतीयों का डेटा विदेशी कंपनियों तक आसानी से पहुंचने और उसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई गई थी। महाराष्ट्र साइबर विभाग ने लोगों से ऐसे ‘एप’ से बचने का आग्रह किया है।
विशेष रूप उपयोगकर्ताओं को ऐसे एप से बचने की सलाह दी गई है, जो लोगों के तकनीकी उपकरणों तक पहुंचने या संदर्भ चित्र सार्वजनिक करने या सोशल मीडिया पर साझा करने की अनुमति मांगते हैं। साथ ही असत्यापित या अनौपचारिक अनुप्रयोगों से बचने और ऐसी सामग्री साझा करने से भी बचने को कहा है, जिसमें निजी या संवेदनशील जानकारी हो सकती है। व्यक्तिगत डेटा के संभावित दुरुपयोग को लेकर चेताने वाली सुरक्षा सलाहों में उपयोगकर्ता द्वारा साझा की गई तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ को लेकर भी चेतावनी दी गई।
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दरअसल, जाने-अनजाने गोपनीय जानकारियों को साझा करते हुए दी गई सहमति बहुत सी गंभीर चिंता पैदा करती है। सुरक्षा से जुड़े जोखिमों के बावजूद हर तरह के आभासी चलन के अनुसरण में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा होती है। वे पारिवारिक जानकारियां और तस्वीरें खूब साझा करती हैं। जबकि आभासी संसार में किसी भी तरह के शोषण और धोखाधड़ी के आपराधिक मामलों को अंजाम देने वाले अधिकतर महिलाओं को ही जालसाजी का शिकार बनाते हैं।
विशेषकर भावनात्मक जुड़ाव की भूल-भुलैया में हर आयु वर्ग की स्त्रियों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। समझना मुश्किल नहीं कि झूठे भावनात्मक लगाव के रास्ते भी निजी जीवन को जान कर ही तलाशे जाते हैं। दुखद है कि प्रेम के नाम पर संवाद करते हुए महिलाएं इस तरह की धोखाधड़ी के भंवर में फंस कर वित्तीय हानि तक उठाती ही हैं।
भावनात्मक और शारीरिक शोषण का शिकार बनने के मामले तो आए दिन सामने आते हैं। हाल ही में विशाखापत्तनम के कंचरापालम में एक युवक ने एक लड़की की तस्वीरें इंस्टाग्राम से एकत्र कर अश्लील तस्वीरों में बदल दी। फिर उन्हें उसी लड़की को भेज दिया। ऐसे में सहज रूप से साझा की छवियां और जानकारियां हों या सोशल मीडिया के नए-नए चलन, आभासी संसार में जालसाजी के रंग-ढंग विस्तार ही पा रहे हैं।
स्त्रियों के भावनात्मक दोहन से जुड़े इन वाकयों के पीछे आभासी दुनिया में अपने जीवन से जुड़े हर पक्ष को साझा करना भी है। यही वजह है कि कई बार आभासी चलन वास्तविक जीवन में बड़ा नुकसान करने वाले साबित होते हैं। आवश्यक है कि ऐसे किसी भी चलन का हिस्सा बनने में थोड़ा संयम से काम लिया जाए। निजी जानकारियों को साझा करने की अनुमति देने से पहले सजगता बरती जाए।